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Secret Of Tying Kalava: पूजा के समय बंधने वाला कलावा जानें किस हाथ में बांधना होता है शुभ, सिर्फ इस दिन ही बदल सकते हैं मौली
Rules Of Tying Kalava: किसी भी शुभ और मांगलिक कार्य के दौरान पूजा के समय हाथ में कलावा बांधा जाता है. घर में की जाने वाली हर छोटी से छोटी पूजा में भी मौली का विशेष महत्व है.
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Rules Of Tying Kalava: किसी भी शुभ और मांगलिक कार्य के दौरान पूजा के समय हाथ में कलावा बांधा जाता है. घर में की जाने वाली हर छोटी से छोटी पूजा में भी मौली का विशेष महत्व है. हिंदू धर्म में कलावा को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है. मान्यता है कि पूजा के दौरान हाथ पर कलावा बांधने से जीवन में आने वाले संकट से रक्षा होती है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार हाथ में मौली बांधने से त्रिदेवों और तीन महादेवियों की कृपा प्राप्त होती है. तीन देवी मां लक्ष्मी, मां सरस्वती और महाकाली से धन सम्पति, विद्या-बुद्धि और शक्ति की प्राप्ति होती है.
कलावा बांधने से जान लें ये नियम
क्या आप जानते हैं हाथ में कलावा बांधने या बदलने से पहले कुछ खास नियम होते हैं? नहीं, तो जान लें. इन नियमों को ध्यान में रखकर ही पूजा के दौरान कलावा बांधना और बदलना चाहिए. कलावा बदलने से पहले दिन देखना जरूरी है, कुछ लोग हाथ में बंधा कलावा सिर्फ इसलिए बदल देते हैं कि वे देखने में पुराना लग रहा है या फिर अच्छा नहीं लग रहा. लेकिन ऐसा करना अशुभ माना जाता है. धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि धार्मिक कर्म कांड शुरु करने से पहले हाथ में कलावा बांधना जरूरी होती है. इतना ही नहीं, किसी भी मांगलिक कार्य के दौरान भी हाथ में कलावा बांधा जाता है. ऐसा माना जाता है कलावा हाथ में बांधने से संकटों से बचाव होता है.
कलावा बांधने के लिए ये दिन है शुभ
धार्मिक पुराणों के अनुसार हाथों में बंधा हुआ कलावा सिर्फ मंगलवार और शनिवार के दिन बदलना ही शुभ होता है. मान्यता है कि इसे बांधने से सकारात्मक ऊर्जा जीवन में मिलती है. पुरुष और औरतें दोनों को अलग-अलग हाथ में कलावा बांधा जाता है. जहां पुरुषों और अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में कलावा बांधा जाता है. वहीं, विवाहित स्त्री के बाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए.
बंधवाते समय इन बातों का रखें ध्यान
मान्यता है कि जिस हाथ में कलावा बंधवाते समय उस हाथ की मुट्ठी बंधी होनी चाहिए और दूसरे हाथ को सिर पर रखना चाहिए. साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखे कि मौली को सिर्फ तीन बार ही लपेटना चाहिए. इसके साथ ही ध्यान रखें कि पुरानी मौली को कभी फेंकना नहीं चाहिए बल्कि इसे पीपल के पेड़ के नीचे डाल देना चाहिए.
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