Sunderkand Path: सुंदरकांड की ये चौपाई दिलाएगी हर मुश्किल से मुक्ति, जानें अर्थ!
Hanuman: हनुमान जी की आराधना से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं. खासतौर पर सुंदरकांड के पाठ को चमत्कारी माना गया है, जिसमें हनुमान जी की अद्भुत शक्ति और साहस का वर्णन मिलता है.

Sunderkand Path: हिन्दू धर्म के मुताबिक सप्ताह का हर दिन अलग-अलग देवी देवताओं को समर्पित होता है. ऐसे में मंगलवार और शनिवार का दिन हनुमान जी महाराज को समर्पित है. वैसे तो हनुमान जी की पूजा हर दिन कर सकते हैं.
मगर मंगलवार के दिन विधि विधान से हनुमान जी महराज की पूजा अराधना कर हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करने से जीवन में सुख शांति मिलने के साथ परेशानियों से छुटकारा मिलता है और हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
सुंदरकांड चौपाई किसी चमत्कार से कम नहीं
हर रोज सुंदरकांड का पाठ करने से आप भी इनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं. सुंदरकांड की अनेक ऐसी चौपाई और दोहे हैं, जो काफी चमत्कारी माने जाते हैं. आइए जानते है ऐसी ही एक चौपाई के बारे में.
हिंदू धर्म के मुताबिक सुंदरकांड में एक चौपाई है, जो इस प्रकार का है-
जोजन भरि तेहिं बदनु पसारा, कपि तनु कीन्ह दुगुन बिस्तारा, सोरह जोजन मुख तेहिं ठयऊ, तुरत पवनसुत बत्तिस भयऊ.
इस दोहे में हनुमान जी महाराज की अद्भुत शक्ति और उनकी बुद्धि-विवेक को दर्शाया गया है.
मगर मान्यताओं के हिसाब से अगर कोई व्यक्ति सुंदरकांड का पाठ कर रहा है और उसे दोहे या चौपाई का अर्थ नहीं पता तो उसको पुण्य की प्राप्ति नहीं होगी. आइए इस दोहे के बारे में विस्तार से जानते है.
जाने दोहे का अर्थ
जोजन भरि तेहिं बदनु पसारा, कपि तनु कीन्ह दुगुन बिस्तारा- इस दोहे का अर्थ यह है कि जब हनुमान जी महाराज लंका की ओर जा रहे थे, तब समुद्र के पास सुरसा नाम की एक रक्षास से उनकी मुलाकात होती है. जो अपना मुंंह फैला लेती है, तब हनुमान जी ने अपना रूप बड़ा कर लिया था.
रामायण के सुंदरकांड में हनुमान जी और सुरसा संवाद का उल्लेख मिलता है. मान्यता है कि जब सुरसा ने अपना मुख सोलह योजन तक फैला लिया, तो पवनपुत्र हनुमान ने तुरंत ही अपने स्वरूप को बत्तीस योजन तक बढ़ा लिया.
यह प्रसंग हनुमान जी की बुद्धि, शक्ति और साहस का अद्भुत प्रतीक माना जाता है.
सुंदरकांड का नियमित पाठ बड़े बदलाव से कम नहीं
हिंदू शास्त्र के मुताबिक नियमित रूप से सुंदरकांड का पाठ करने से व्यक्ति को कई गुना आध्यात्मिक फल प्राप्त होता है. इसके साथ ही जीवन में भय का नाश होता है और हर प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है.
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