क्या वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद कोरोना संक्रमण का खतरा टल जाता है? जानें इस सवाल का जवाब
COVID-19 Vaccine Second Dose: क्या कोविड-19 वैक्सीन की दोनों डोज लगवाने से कोरोना संक्रमण का खतरा खत्म हो जाता है? शोधकर्ताओं ने रिसर्च के जरिए बताया है कि संक्रमण का खतरा कम जरूर होता है, लेकिन जीरो नहीं होता. उन्होंने स्वास्थ्यकर्मियों के जत्थे पर टीकाकरण से होनेवाले असर का मूल्यांकन किया.
संक्रमण के ज्यादा खतरे का दर जोखिम बढ़ानेवाले व्यवहार जैसे बिना पर्याप्त मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के सामाजिक मेलजोल से जोड़ा गया है. 23 मार्च को न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसीन में ऑनलाइन प्रकाशित चिट्ठी के मुताबिक, शोधकर्ताओं के एक ग्रुप ने बताया है कि कोविड-19 का संक्रमण दर वैक्सीन लगवा चुके स्वास्थ्य कर्मियों के जत्थे में बहुत कम पाया गया.
वैक्सीन की दोनों डोज से क्या मिल जाती है पूरी तरह सुरक्षा?
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 36,659 स्वास्थ्यकर्मियों में कोविड-19 के संक्रमण दर का मूल्यांकन किया. उन्हें मॉडर्ना या फाइजर/बायोएनटेक की वैक्सीन का कम से कम एक डोज 16 दिसंबर, 2020 से 9 फरवरी, 2021 के बीच लगाया गया था. इस पूरी अवधि में 28,184 (77 फीसद) स्वास्थ्यकर्मियों ने वैक्सीन का दूसरा डोज इस्तेमाल किया. संयोग से उस वक्त सैन डिएगो और लॉस एंजिल्स में कोविड-19 संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे थे.
सैन डिएगो और लॉस एंजिल्स के कैंपस में चले टीकाकरण के 1 या कई दिनों बाद कोविड-19 की वैक्सीन का डोज ले चुके 36,659 स्वास्थ्यकर्मियों में से 379 (1.0 फीसद) कोरोना की जांच में पॉजिटिव पाए गए, 71 फीसद में पहले डोज के शुरुआती दूसरे सप्ताह के अंदर संक्रमण की पुष्टि हुई. कोविड-19 वैक्सीन की पूरी दोनों डोज लेनेवाले 28,184 स्वास्थ्यकर्मियों में मात्र 37 (0.1 फीसद) कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई, जबकि उनमें से 22 स्वास्थ्यकर्मी 1-7 दिन कोरोना की जांच में पॉजिटिव पाए गए.
टीकाकरण के बाद संक्रमण का कम खतरा, लेकिन जीरो नहीं 8-14 दिनों के बाद आठ स्वास्थ्य कर्मियों में कोरोना संक्रमण का मामला उजागर हुआ और 7 स्वास्थ्यकर्मियों में इसी तरह की घटना कम से कम 15 दिनों बाद देखने को मिली. माना जाता है कि दोनों वैक्सीन के दो डोज से अत्यधिक इम्यून सुरक्षा हासिल हो जाती है. शोधकर्ताओं ने टीकाकरण के बाद कोरोना वायरस से पॉजिटिव होने के पूर्ण खतरे का अनुमान लगाया. उन्होंने कहा कि सैन डिएगो के स्वास्थ्यकर्मियों को 1.19 फीसद खतरा था और लॉस एंजिल्स के स्वास्थ्यकर्मियों में कोरोना पॉजिटिव के खतरे का 0.97 फीसद खुलासा हुआ.दोनों दर मॉडर्ना और फाइजर के मानव परीक्षण के दौरान पहचान में आए खतरे के मुकाबले ज्यादा थे, हालांकि दोनों कंपनियों का मानव परीक्षण स्वास्थ्यकर्मियों तक सीमित नहीं था. एक शोधकर्ता ने कहा, "इस ज्यादा खतरे की कई संभावित व्याख्या हैं." कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी सैन डिएगो की प्रेस रिलीज में शोधकर्ता के हवाले से बताया गया, "हम संक्रमण की दर वास्तविक दुनिया के परिप्रेक्ष्य में बता पाने में सक्षम रहे, जहां संक्रमण के उछाल के साथ टीकाकरण जारी था. हमें पूरी तरह से डोज इस्तेमाल कर चुके स्वास्थ्य कर्मियों में कम समग्र सकारात्मकता दर दिखाई दिया, जिससे इन वैक्सीन से ऊंची सुरक्षा दर का समर्थन मिलता है."
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