कोरोना वायरस से रिकवर होने के बाद 80% मरीजों में हार्ट इश्यूज आए सामने- स्टडी
रिसर्चर्स ने हार्ट पर कोविड-19 के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए एमआरआई, बल्ड टेस्ट और हार्ट टिश्यू बायोप्सी सहित कई टूल्स को यूज किया.
कोविड-19 ने विश्वभर मे उथल-पुथल मचा रखी है. अब तक इसके विश्व स्तर पर 16.7 मिलियन से अधिक इंफेक्शन के मामले सामने आए हैं. यह हाई रिस्क कैटगरी या पहले से बीमार लोगों के लिए सबसे घातक माना जाता है. यह वायरस शरीर पर रेस्पायरेटरी इंफेक्शन के रूप में अटैक करना शुरू कर देता है. यह नर्वस सिस्टम पर हमला कर सकता है. साथ ही डाइजेस्टिव सिस्टम और ब्रैन को भी अफेक्ट कर सकता है.
80 प्रतिशत मामलों में डैमेज
अब, नए रिसर्च से पता चला है कि कोविड -19 के लॉन्ग-टर्म रिजल्ट्स कहीं अधिक खतरनाक हो सकते हैं. जिसमें रोगियों को सीरियस हार्ट प्रॉब्लम्स और 80 प्रतिशत मामलों में डैमेज की बात सामने आई है.
जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (जेएएमए) , ने सैंपल स्टडी के लिए अप्रैल-जून के महीनों के बीच फ्रैंकफर्ट, जर्मनी के 100 कोविड रोगियों के एमआरआई रिजल्ट्स की जांच की. इन सभी रोगियों को 40-50 की उम्र के बीच स्वस्थ माना गया था और इंफेक्शन से सफलतापूर्वक रिकवरी की थी.
इन 100 में से 67 मरीजों को मध्यम लक्षण थे और घर पर रिकवर हुए थे जबकि बाकी 23 को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. रिसर्चर्स ने हार्ट पर कोविड-19 के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए एमआरआई, बल्ड टेस्ट और हार्ट टिश्यू बायोप्सी सहित कई प्रकार के टूल्स का उपयोग किया. ऑब्जर्वेशन का कंपेरिजन 50 स्वस्थ स्वयंसेवकों के ग्रुप और 57 रिस्क वाले लोगों से किया गया.
यह ऑब्जर्व किया गया कि रिकवरी वाले 100 में से 78 रोगियों में हार्ट डैमेज और सूजन के लक्षण पाए गए. रिसर्चर क्लाइड डब्ल्यू, यैंसी, एमडी और ग्रीग सी के अनुसार तथ्य यह है कि इतने ज्यादा प्रतिशत में लोगों ने खराब हृदय स्वास्थ्य के लक्षणों को रिकॉर्ड होना इस बात का प्रमाण देते हैं कि बहुत कुछ है जो हम अभी भी संक्रमण के लॉन्ग टर्म रिजल्ट्स के बारे में नहीं जानते हैं जो कि विशेष रूप से महत्वपूर्ण अंगों से संबंधित हैं
स्टडी से यह भी पता चला है कि संक्रमण की गंभीरता, डायग्नोस या टाइम टेकन टू रिकवरी (टीटीआर) के सभी पार्टिसिपेंट्स को कुछ प्रकार के हार्ट कॉम्लीकेशन्स का सामना करना पड़ा.
अभी और अधिक स्टडी की जरूरत
हालांकि ये स्टडी से प्रारंभिक निष्कर्ष हैं. वायरस के लॉन्ग टर्म परिणामों के बारे में अभी भी बहुत कुछ पता नहीं है. वैज्ञानिक अभी भी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या बैड हार्ट हेल्थ से संबंधित लक्षण अस्थायी रूप से मौजूद हैं या लंबे समय तक बने रहते हैं. आयु वर्ग (40-50) के नतीजों को ध्यान से देखते हुए यह कहा जा सकता है कि कोरोनो वायरस हाई रिस्क कैटेगरी, बुजुर्गों या अन्य बीमारियों वाले लोगों के लिए घातक साबित हो सकता है.
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