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क्या आप भी निराशा और डिप्रेशन के बीच फर्क को नहीं समझ पाते, यहां जानें कैसे पहचानें

सुख और दुख मनुष्य के जीवन का हिस्सा होते हैं. ये दिन-रात की तरह से बदलते रहते हैं. ऐसे ही निराशा भी जीवन का एक हिस्सा है. यह आती है और चली जाती है. लेकिन जब यह डिप्रेशन में बदल जाती है तो इसे दूर करने के लिए मदद की आवश्यकता होती है. इसके साथ ही निराशा और डिप्रेशन में अंतर को समझना भी जरूरी होता है.

सुख और दुख मनुष्य के जीवन का हिस्सा होते हैं. ये दिन-रात की तरह से बदलते रहते हैं. लेकिन जब आपको हर दिन एक संघर्ष की तरह लगे और चीजें आपके फेवर में नहीं तो भी अपने मनोबल को ऊंचा रखना और जीवन के अगले चैप्टर की ओर आगे बढ़ना संतुष्ट रखता है. निराशा जीवन का एक हिस्सा है. लेकिन जब यह अवसाद (डिप्रेशन) और गंभीर एंग्जाइटी में बदल जाता है तो इसे दूर करने मदद ली जानी चाहिए.

निराशा और डिप्रेशन के बीच अंतर बहुत से लोग निराशा (सेडनेस) और अवसाद को लेकर कंफ्यूज रहते हैं. निराशा, अवसाद का एक छोटा सा हिस्सा है जो एंग्जाइटी, पश्चाताप और डिजेक्शन की भावनाओं को बढ़ावा देता है. इसे अवसाद नहीं माना जा सकता है.

निराशा एक अस्थायी भावना है जो स्वयं प्रकट होने के बजाय ट्रिगर हो सकती है. यह एक ऐसा एहसास है जो कुछ क्षणों के लिए आता है और चला जाता है. वहीं डिप्रेशन किसी भी समय, बिना किसी कारण के आ सकता है और सबसे लंबे समय तक रह सकता है. यह मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है.

निराशा है या डिप्रेशन, समझे डिप्रेशन कई रूपों में आ सकता है. सेडनेस भी उसी का एक हिस्सा है. यह आपके जीवन के प्रति एक निराशाजनक दृष्टिकोण को ट्रिगर कर सकता है. आप अपने दिन-प्रतिदिन के जीवन के विभिन्न पहलुओं के प्रति अरुचि महसूस कर सकते हैं. कुछ संकतों से इसको समझा जा सकता है कि आप रेगुलर निराशा या फिर डिप्रेशन से पीड़ित हैं.

बहुत ज्यादा निराश होना सेडनेस एक सामान्य संभावना है जो सभी आयु समूहों में हो सकती है. यह अस्थायी है और इसे अपने दिमाग को विचलित करने वाली गतिविधियों से हटाकर दूर किया जा सकता है. हालांकि, डिप्रेशन अत्यधिक भावनाओं का एक सेट है, जिसमें ऑरिजन का कोई स्रोत नहीं है. यह भ्रम और भटकाव की स्थिति को जन्म दे सकता है. यह लंबे समय तक रहता है जिसमें आपके निगेटिव इमोशंस हावी हो जाते हैं.

बिना किसी कारण के निराश रहना नियमित रूप से निराश रहने के पीछे हमेशा एक कारण होता है. धीरे-धीरे आपको पता चल जाता है कि आप ऐसी भावनाओं को क्यों महसूस कर रहे हैं. लेकिन डिप्रेशन के मामले में आप अचानक भावनाओं से अलग हो जाते हैं जिसका कोई कारण नहीं होता है.

प्रोडेक्टिव वर्क से रोकता है डिप्रेशन जब काम पूरा करना एक काम है.जहां तक निराशा का सवाल है, यह काम पूरा कार्य के पूरा होने पर खत्म हो जाती है. हालांकि डिप्रेशन व्यक्ति को सोचने और दिमाग को कुछ भी प्रोडेक्टिव करने से रोकता है. जीवन के व्यर्थ होने के विचार से व्यक्ति प्रभावित होता है और इसलिए चीजों को छोड़ना पसंद करता है.

दोस्तों में रुचि का कम होना निराशा में लोग अपने दोस्तों और परिवार में कंफर्ट रहते हैं लेकिन अवसाद में प्रियजनों से बचने की कोशिश करते हैं. दिमाग नकारात्मक भावनाओं से इतना भर जाता है कि आप खुद को लोगों के आसपास रहने से अलग करना पसंद करते हैं. इससे डिप्रेशन के अधिक गंभीर होने की आशंका बढ़ जाती है.

अपने आप दूर नहीं होता डिप्रेशन निराशा अस्थायी हैय यह आती है और चली जाती है. लेकिन जब डिप्रेशन की बात आती है तो अपने आप दूर नहीं जाता है. यदि आप जानते हैं कि कोई व्यक्ति डिप्रेशन में है, तो से इससे बाहर निकलन में आपकी सहायता की आवश्यकता होगी. यह ऐसी चीज नहीं है जो एक व्यक्ति खुद कर सके.

हर चीज में फोकस की कमी तनाव और चिंता के कारण डिप्रेशन आपको उस चीज़ पर फोकस कर करने देता है जिस पर आप अपना दिमाग लगाते हैं. यह फोकस करने की क्षमता से दूर करता है और तर्कशीलता को दूर ले जाता है. निराशा और डिप्रेशन किसी न किसी तरह से आपस में जुड़े हो सकते हैं. लेकिन आपको अपनी निराशा के कारण की पहचानने और इसे दूर करना चाहिए.

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