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IN PICS: जानें- कैसे होता है राष्ट्रपति का चुनाव और क्या है इसमें वोटों का गणित

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केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी को शिवसेना, तेलुगू देशम पार्टी, अकाली दल, लोक जनशक्ति पार्टी, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी सहित 14 अन्य पार्टी का समर्थन प्राप्त है. इस तरह उनके सांसदों और विधायकों के वोटों की संख्या 5,37,614 है. इसके बाद भी उनके पास जीत के लिए 11,828 वोट की कमी है. ऐसे में जरूरी है कि बीजेपी को कुछ और छोटे दलों का समर्थन मिले तभी राष्ट्रपति पद के लिए जरूरी वोट हासिल कर पाएंगे और तभी पीएम मोदी अपने पसंद का राष्ट्रपति बनवा पाएंगे.  (Photos: http://rashtrapatisachivalaya.gov.in)
केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी को शिवसेना, तेलुगू देशम पार्टी, अकाली दल, लोक जनशक्ति पार्टी, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी सहित 14 अन्य पार्टी का समर्थन प्राप्त है. इस तरह उनके सांसदों और विधायकों के वोटों की संख्या 5,37,614 है. इसके बाद भी उनके पास जीत के लिए 11,828 वोट की कमी है. ऐसे में जरूरी है कि बीजेपी को कुछ और छोटे दलों का समर्थन मिले तभी राष्ट्रपति पद के लिए जरूरी वोट हासिल कर पाएंगे और तभी पीएम मोदी अपने पसंद का राष्ट्रपति बनवा पाएंगे. (Photos: http://rashtrapatisachivalaya.gov.in)
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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि लोकसभा और राज्य सभा के 771 सांसदों के कुल 5 लाख 45 हजार 868 वोट हैं. जबकि पूरे देश में 4120 विधायकों के 5 लाख 47 हजार 786 वोट. इस तरह कुल वोट 10 लाख 93 हजार 654 हैं और जीत के लिए आधे से एक ज्यादा यानी 5 लाख 46 हजार 828 वोट चाहिए.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि लोकसभा और राज्य सभा के 771 सांसदों के कुल 5 लाख 45 हजार 868 वोट हैं. जबकि पूरे देश में 4120 विधायकों के 5 लाख 47 हजार 786 वोट. इस तरह कुल वोट 10 लाख 93 हजार 654 हैं और जीत के लिए आधे से एक ज्यादा यानी 5 लाख 46 हजार 828 वोट चाहिए.
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चंद दिनों में राष्ट्रपति चुनाव की तारीखों का एलान हो जाएगा और ये संभव है कि जुलाई तक हमें पता चल जाएगा कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की जगह कौन लेगा. इस सबके बीच सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर राष्ट्रपति का चुनाव होता कैसे है? यहां जानिए कि किस तरह से देश के सबसे बड़े संवैधानिक पद के लिए चुनाव होता है.
चंद दिनों में राष्ट्रपति चुनाव की तारीखों का एलान हो जाएगा और ये संभव है कि जुलाई तक हमें पता चल जाएगा कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की जगह कौन लेगा. इस सबके बीच सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर राष्ट्रपति का चुनाव होता कैसे है? यहां जानिए कि किस तरह से देश के सबसे बड़े संवैधानिक पद के लिए चुनाव होता है.
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राष्ट्रपति का चुनाव 5 सालों में एक बार होता है, सामान्य परिस्थितियों में आमतौर पर ये चुनाव जुलाई के महीने में होते हैं. चुनाव आयोग जल्द ही राष्ट्रपति चुनाव की तारीखों का एलान करने वाला है. संभवत: जुलाई के दूसरे सप्ताह में राष्ट्रपति का चुनाव हो सकता है.
राष्ट्रपति का चुनाव 5 सालों में एक बार होता है, सामान्य परिस्थितियों में आमतौर पर ये चुनाव जुलाई के महीने में होते हैं. चुनाव आयोग जल्द ही राष्ट्रपति चुनाव की तारीखों का एलान करने वाला है. संभवत: जुलाई के दूसरे सप्ताह में राष्ट्रपति का चुनाव हो सकता है.
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विधायक के मामले में जिस राज्य का विधायक हो उसकी 1971 की जनगणना के हिसाब से आबादी देखी जाती है. आबादी को चुने हुए विधायकों की संख्या से भाग दिया जाता है, अब जितना रिजल्ट आए उसकों 1000 से भाग किया जाता है. अब जो आंकड़ा हाथ लगता है, वही उस राज्य के एक विधायक के वोट का मूल्य होता है. सांसदों के वोटों के वेटेज का गणित अलग है. चुने लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों के वोटों का मूल्य फिक्स होता है. एक सांसद के वोट का मूल्य 708 होता है.
विधायक के मामले में जिस राज्य का विधायक हो उसकी 1971 की जनगणना के हिसाब से आबादी देखी जाती है. आबादी को चुने हुए विधायकों की संख्या से भाग दिया जाता है, अब जितना रिजल्ट आए उसकों 1000 से भाग किया जाता है. अब जो आंकड़ा हाथ लगता है, वही उस राज्य के एक विधायक के वोट का मूल्य होता है. सांसदों के वोटों के वेटेज का गणित अलग है. चुने लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों के वोटों का मूल्य फिक्स होता है. एक सांसद के वोट का मूल्य 708 होता है.
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आपको जानकर खुशी होगी कि हमारे देश में राष्ट्रपति के चुनाव का तरीका सबसे अनूठा और पारदर्शी है, एक तरह से इसे आप सर्वश्रेष्ठ संवैधानिक तरीका कह सकते हैं. इसमें विभिन्न देशों की चुनाव पद्धतियों की अच्छी बातों को चुन-चुन कर शामिल किया गया है. अपने यहां राष्ट्रपति का चुनाव एक इलेक्टोरल कॉलेज करता है, इसके सदस्यों का प्रतिनिधित्व वेटेज होता है.
आपको जानकर खुशी होगी कि हमारे देश में राष्ट्रपति के चुनाव का तरीका सबसे अनूठा और पारदर्शी है, एक तरह से इसे आप सर्वश्रेष्ठ संवैधानिक तरीका कह सकते हैं. इसमें विभिन्न देशों की चुनाव पद्धतियों की अच्छी बातों को चुन-चुन कर शामिल किया गया है. अपने यहां राष्ट्रपति का चुनाव एक इलेक्टोरल कॉलेज करता है, इसके सदस्यों का प्रतिनिधित्व वेटेज होता है.
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राष्ट्रपति में आम जनता वोट नहीं डालती है, जनता की जगह उसके प्रतिनिधि वोट डालते हैं यानि ये सीधे नहीं बल्कि अप्रत्यक्ष चुनाव हैं. राष्ट्रपति को राज्यों के चुने हुए प्रतिनिधि यानि विधायक, लोकसभा और राज्यसभा के सांसद चुनते हैं. राज्यसभा, लोकसभा विधानसभा के मनोनीत सांसद और विधायक राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं डालते हैं.
राष्ट्रपति में आम जनता वोट नहीं डालती है, जनता की जगह उसके प्रतिनिधि वोट डालते हैं यानि ये सीधे नहीं बल्कि अप्रत्यक्ष चुनाव हैं. राष्ट्रपति को राज्यों के चुने हुए प्रतिनिधि यानि विधायक, लोकसभा और राज्यसभा के सांसद चुनते हैं. राज्यसभा, लोकसभा विधानसभा के मनोनीत सांसद और विधायक राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं डालते हैं.
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