ISRO का वो SpaDex मिशन जिसने एलिट क्लब में पहुंचा दिया, दुनिया के 4 देशों में शामिल हुआ भारत
पिछले साल अक्टूबर के महीने में केन्द्र सरकार ने ये ऐलान किया था कि 2035 तक भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा, जिसे ‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन’ के नाम से जाना जाएगा.

भारत ने अंतरिक्ष की दुनिया में एक और कामयाबी हासिल करते हुए इतिहास रच दिया. इसरो ने भविष्य में भारत के महत्वाकांक्षी अभियानों की दिशा में बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए 16 जनवरी 2025 यानी गुरुवार को स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पेडेक्स) के तहत उपग्रहों की ऐतिहासिक डॉकिंग को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है.
इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अंतरिक्ष की दुनिया में भारत ने वो कर दिखाया जो अब तक सिर्फ तीन ही देश अमेरिका, रुस और चीन कर पाए थे. 'चेजर' और 'टागरेगट' नाम के उपग्रहों की सफल डॉकिंग के बाद भारत एलिट देशों के समूह में चौथे देश के रुप में जुड़ गया है. दरअसल, अंतरिक्ष में तेज गति से चक्कर लगा रहे दो उपग्रहों को आपस में जोड़ने में इसरो को कामयाबी मिली है. इसे ही डॉकिंग कहा जाता है.
अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने ये ऐलान किया कि डॉकिंग के बाद एक ही वस्तु के रुप में दो उपग्रहों पर नियंत्रण हासिल करने की प्रक्रिया सफल रही. साथ ही, इसरो ने सोशल मीडिया एक्स पर कहा- भारत ने अंतरिक्ष में इतिहास में अपना नाम दर्ज कर लिया. सुप्रभात भारत, इमसरो के SpaDex मिशन ने 'डॉकिंग' में ऐतिहासिक कामयाबी हासिल की. इस पल का गवाह बनकर गर्व की अनुभूति हो रही है.
इस मौके पर इसरो ने आगे कहा कि आने वाले दिनों में ‘अनडॉकिंग’ और ‘पावर ट्रांसफर’ परीक्षण किया जाएगा.’’ दरअसल, अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग’ टेक्नॉलोजी तब आवश्यक होती है जब सामान्य मिशन उद्देश्यों को हासिल करने के लिए कई रॉकेट प्रक्षेपणों की आवश्यकता होती है. ‘डॉकिंग’ प्रयोग चंद्रयान-4, गगनयान, अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने के साथ ही चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्री उतारने समेत भविष्य में देश के कई अन्य महत्वाकांक्षी अभियानों के सुचारू संचालन के लिए काफी महत्वपूर्ण है.
इससे पहले 12 जनवरी को अंतरिक्ष एजेंसी ISRO ने उपग्रहों को ‘डॉक’ करने के परीक्षण के तहत 2 अंतरिक्ष यानों को 3 मीटर की दूरी पर लाकर और फिर सुरक्षित दूरी पर वापस भेजा था. इसरो की तरफ से 30 दिसंबर, 2024 को ‘स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट’ (स्पेडेक्स) मिशन को सफलतापूर्वक शुरू किया था.
दो छोटे उपग्रहों, एसडीएक्स01 (चेजर) और एसडीएक्स02 (टारगेट) को 24 पेलोड के साथ लेकर जाने वाले PSLV C60 रॉकेट ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले प्रक्षेपण स्थल से उड़ान भरी थी. उड़ान भरने के लगभग 15 मिनट बाद करीब 220 किलोग्राम वजन वाले दो छोटे अंतरिक्ष यानों को लक्षित तरीके से धरती से 475 किलोमीटर ऊपर पृथ्वी की गोलाकार कक्षा में प्रक्षेपित किया गया. इसरो के मुताबिक, SpaDex मिशन 2 छोटे अंतरिक्ष यानों का उपयोग कर अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग’ के लिए एक किफायती प्रौद्योगिकी मिशन है, जिसे PSLV के जरिये प्रक्षेपित किया गया था.
पिछले साल अक्टूबर के महीने में केन्द्र सरकार ने ये ऐलान किया था कि 2035 तक भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा, जिसे ‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन’ के नाम से जाना जाएगा. पीएम मोदी ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में इस उपलब्धि के लिए वैज्ञानिकों को बधाई भी दी थी. पीएम मोदी ने कहा, ‘‘उपग्रहों की अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग’ के सफल प्रदर्शन के लिए इसरो के हमारे वैज्ञानिकों और पूरे अंतरिक्ष समुदाय को बधाई. यह आने वाले वर्षों में भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है.’’
ISRO की तारीफ करते हुए केंद्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं अंतरिक्ष राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, ‘‘बधाई ISRO. हमने आखिरकार कर दिखाया. SpaDex ने अविश्वसनीय कार्य किया है... ‘डॉकिंग’ पूरी हो गई है... और ये पूरी तरह स्वदेशी ‘भारतीय डॉकिंग प्रणाली’ है.’’ भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने आगे कहा कि इस सफलता से भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन, चंद्रयान 4 और गगनयान सहित भविष्य के महत्वाकांक्षी मिशन के सुचारू संचालन का मार्ग प्रशस्त होगा. इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने भी मिशन को सफल बनाने वाली टीम को बधाई दी.
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर एक पोस्ट करते हुए कहा, ‘‘हमें इसरो के वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष इंजीनियरों के असाधारण काम पर बेहद गर्व है, क्योंकि उन्होंने स्पेडेक्स मिशन के तहत उपग्रह ‘डॉकिंग’ को सफलतापूर्वक पूरा किया.’’ उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण उपलब्धि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसे वर्षों की मेहनत से तैयार किया गया है और यह राष्ट्र की सामूहिक उपलब्धि है.
Source: IOCL






















