Nepal Kumari Devi: नेपाल में कैसे होता है कुमारी देवी का चयन, जिन्होंने पहले ही कर दी थी अनहोनी की भविष्यवाणी?
Nepal Kumari Devi: नेपाल में कुमारी देवी का चयन बेहद रहस्यमयी और कड़े नियमों से होता है. कहा जाता है, इस बार चुनी गई कुमारी ने पहले ही आने वाली अनहोनी की भविष्यवाणी कर सबको चौंका दिया था.

Nepal Kumari Devi: हाल ही में नेपाल में प्रदर्शन की आग देखने को मिली है, जिससे कि वहां की राजनीति में एकबार फिर भूचाल आ चुका है. देश की तमाम इमारतों को Gen-Z प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया. नेपाल में हुई इस तबाही की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भरी हुई हैं. लोग नेपाल के बारे में तरह-तरह की बातें कर रहे हैं. वहीं कुछ लोग इसे धर्म के एंगल से भी जोड़ रहे हैं. सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि नेपाल में कुमारी देवी ने पहले ही इस अनिष्ट का संकेत दे दिया था. चलिए जानें कि क्या हुआ था.
सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया जा रहा है. इस वीडियो में ऐसा दावा किया ज रहा है कि इंद्र जात्रा के दौरान कुमारी देवी भावुक सी नजर आ रही हैं, इसीलिए यह किसी अनिष्ट का इशारा है. चलिए जानें कि नेपाल में कुमारी देवी का चयन कैसे होता है.
सदियों पुरानी परंपरा
नेपाल में कुमारी देवी का चयन कोई साधारण प्रक्रिया नहीं है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, जिसमें नेवार समुदाय की शाक्य जाति की छोटी बच्ची को देवी ‘तलेजु’ का प्रतीक माना जाता है. बच्ची का चयन 2 से 5 साल की उम्र में किया जाता है और वे अपने मासिक धर्म शुरू होने तक जीवित देवी के रूप में पूजी जाती है.
चयन की प्रक्रिया
कुमारी बनने की प्रक्रिया बेहद जटिल और कड़े मानदंडों पर आधारित होती है. सबसे पहले बच्ची का परिवारिक और धार्मिक बैकग्राउंड देखा जाता है. इसके बाद उसके शारीरिक स्वास्थ्य और रूप-रंग का परीक्षण होता है, जिसे ‘32 पूर्णताएं’ कहा जाता है. इसमें साफ त्वचा, सुन्दर दांत, मधुर आवाज और कोई जन्मचिह्न न होना शामिल है.
बच्ची को अंधेरे, जानवरों के सिर और डरावने माहौल में ले जाकर यह देखा जाता है कि वह डरती है या नहीं. माना जाता है कि असली कुमारी में डर का भाव नहीं होना चाहिए. ज्योतिषी उसकी जन्म कुंडली का मिलान भी करते हैं ताकि यह तय किया जा सके कि वह धार्मिक दृष्टि से अनुकूल है या नहीं.
देवी के रूप में जीवन
चुनी गई बच्ची को कुमारी घर यानी विशेष महल में रखा जाता है. वह सामान्य जीवन से अलग हो जाती है और सिर्फ त्योहारों या खास अवसरों पर जनता के सामने आती है. इंद्र जात्रा और दशैं जैसे पर्वों में उनका दरबार लगता है. भक्त उन्हें देवी का स्वरूप मानकर आशीर्वाद लेते हैं.
विवाद और आलोचना
आलोचकों का कहना है कि यह परंपरा बच्चियों के सामान्य जीवन और शिक्षा पर असर डालती है. कई बार चयन प्रक्रिया और भविष्यवाणियों को लेकर विवाद खड़े होते हैं. हाल की घटना में कुमारी देवी द्वारा की गई अनहोनी की भविष्यवाणी ने राजनीतिक और धार्मिक दोनों मामलों में सवाल खड़े कर दिए हैं. नेपाल के आधुनिक समाज में यह बहस तेज है कि क्या इतनी छोटी बच्ची पर इतना बड़ा बोझ डालना सही है.
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Source: IOCL

























