फ्लाइट कैंसिल करने पर एयरलाइन को कितना नुकसान, किन चीजों का देना पड़ता है एक्स्ट्रा चार्ज?
आए दिन हमें सुनने को मिलता रहता है कि इस कारण से फ्लाइट कैंसल हो गई है. चलिए, आपको बताते हैं कि फ्लाइट कैंसल करने पर एयरलाइन कंपनियों को कितना नुकसान होता है.

हवाई यात्रा अब आम लोगों के जीवन का हिस्सा बन चुकी है. लेकिन अगर किसी वजह से कोई फ्लाइट रद्द (कैंसल) हो जाती है चाहे वो खराब मौसम की वजह से हो, तकनीकी खामी के कारण हो या एयरलाइन की आंतरिक गड़बड़ी की वजह से तो इसका असर सिर्फ यात्रियों पर ही नहीं, बल्कि खुद एयरलाइन कंपनी की जेब पर भी पड़ता है. क्या आपने कभी सोचा है कि एक फ्लाइट कैंसल होने पर एयरलाइन को कितना नुकसान होता है और उन्हें किन-किन चीजों पर एक्स्ट्रा खर्च करना पड़ता है?
रिफंड और मुआवजा
पिछले कुछ समय से देशभर में कई फ्लाइट को अलग अलग रीजन के कारण कैंसल कर दिया जा रहा है. यात्रियों के साथ एयरलाइन कंपनियों को भी इसका नुकसान उठाना पड़ रहा है. जैसे ही कंपनियां फ्लाइट को कैंसल करती हैं तो उन्हें या तो रिफंड देना होता है या फिर दूसरे किसी फ्लाइट में यात्रियों को सीट ऑफर करनी होती है.
इसके अलावा कई बार कंपनियों को यात्री की मांग पर कंपींसेशन के तौर पर होटल, खाना और परिवहन की व्यवस्था भी करनी पड़ती है. इसका अतिरिक्त चार्ज उनको ही भरना होता है. भारत में DGCA के नियमों के अनुसार, यदि एयरलाइन फ्लाइट कैंसल करती है और इसकी सूचना 24 घंटे पहले नहीं देती, तो उसे यात्री को फुल रिफंड देना पड़ता है. इसके साथ मुआवजा भी देना पड़ सकता है.
क्रू, ग्राउंड स्टाफ और स्लॉट का नुकसान
फ्लाइट कैंसल होने के बाद सिर्फ यात्रियों के टिकट से ही एयरलाइनंस कंपनियों को नुकसान नहीं होता, इसके अलावा उनको पायलट, कैबिन क्रू, ग्राउंड स्टाफ और टेक्निकल टीम को फिर भी पेमेंट देना पड़ता है. इसके अलावा इससे शिफ्ट का शेड्यूल बिगड़ता है, जिसका असर अगली उड़ानों पर भी असर पड़ता है. इसके अलावा फ्लाइट किस रनवे से उड़ान भरेगी और कितने बजे भरेगी, इसका भी पहले से शेड्यूल तय होता है फ्लाइट रद्द होने से इसका भी नुकसान होता है, इसके लिए एयरलाइंस इन स्लॉट्स के लिए मोटी रकम चुकाती हैं, जो बर्बाद हो जाती है.
ईंधन और मेंटेनेंस
फ्लाइट को उड़ान भरने के लिए पहले से तैयार किया जाता है, उसमें फ्यूल और बाकी चीजों को देखा जाता है. एक बार फ्लाइट रद्द होने के बाद बचे हुए फ्यूल का बाद में तो इस्तेमाल होता है, लेकिन प्लेन को फिर से उड़ाने से पहले नई मेंटेनेंस और सिक्योरिटी चेकिंग की जरूरत होती है, जो एक्स्ट्रा खर्चा है. इसके साथ ही बार बार फ्लाइट कैंसल होने की वजह से उसके ब्रांड इमेज पर भी इसका प्रभाव देखने को मिलता है.
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