कितने खतरनाक हैं तुर्किए के वो ड्रोन, जिनसे पाकिस्तान ने भारत पर किया अटैक
India Pakistan News: भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की परिस्थिति में कर्नल सोफिया कुरैशी ने बताया है कि बीते दिन पाक ने जिन ड्रोन का इस्तेमाल किया वो तुर्किए के थे. चलिए जानें कि ये कितने खतरनाक हैं.

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव पूरी से बरकार है. दोनों देशों के बीच में युद्ध के हालात बने हैं. पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया था. इसके जवाब में बीते दिन पाकिस्तान ने भारत पर ड्रोन के जरिए हमला कर दिया था. इसके जवाब में भारत ने उसके सभी ड्रोन को हवा में ही उड़ा दिया था. आज (शुक्रवार) शाम MEA की प्रेस कॉन्फ्रेंस में कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने बीती रात हुई घटना की ऑफिशियल ब्रीफिंग दी. इस ब्रीफिंग में उन्होंने बताया कि 8-9 मई की रात पाकिस्तानी सेना ने हमला करने की कोशिश की थी. पाकिस्तान ने सीमा पर भारी गोलीबारी की और घुसपैठ की भी कोशिश की थी.
भारत ने मार गिराए पाकिस्तान के तुर्किए बेस्ड ड्रोन
कर्नल सोफिया कुरैशी ने आगे कहा कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान के ड्रोन को मार गिराया है, क्योंकि इसका मकसद खुफिया जानकारी इकट्ठा करना था. ये ड्रोन तुर्की के बने थे. हवाई हमले के लिए 300-400 ड्रोन का इस्तेमाल किया. भारत ने इनमें से कई ड्रोन को मार गिराया है. सोफिया कुरैशी ने आगे बताया कि मारे गए ड्रोन के मलबे की फॉरेंसिक जांच की जा रही है. लेकिन शुरुआती रिपोर्ट्स से ऐसा पता चला है कि ये ड्रोन्स तुर्किए के अस्सिगार्ड सॉन्गर ड्रोन हैं. आइए जानें कि ये ड्रोन कितने खतरनाक हैं.
पाकिस्तान ने तुर्किए के कौन से ड्रोन का किया इस्तेमाल
अस्सिगार्ड सॉन्गर एक कम ऊंचाई वाला, क्वाड्रोट , मानव रहित लड़ाकू हवाई वाहन है जिसे तुर्की के सशस्त्र बलों के लिए विकसित किया गया था. सॉन्गर को अंकारा बेस्ड डिफेंस इंडस्ट्री सप्लायर अस्सिगार्ड के द्वारा बनाया गया है. इसमें एक क्वाड्रोटर UAEV, एक ग्राउंड-कंट्रोल स्टेशन और ग्राउंड-सपोर्ट उपकरण का एक सेट होता है. इसको स्वचालित और मैनुअल फ्लाइट मोड दोनों के जरिए संचालित किया जा सकता है. सोंगार की ऑपरेशनल रेंज लगभग 10 किमी है और यह डेलाइट और इंफ्रारेड दोनों कैमरों से लैस है. इसमें कई प्रकार के इन-बिल्ट हथियारों है और दूर से लक्ष्यों को नष्ट कर सकता है.
कितना ताकतवर है अस्सिगार्ड सॉन्गर
उड़ान के दौरान इसका डाइमेंशन उड़ान के दौरान 105 सेमी × 62 सेमी × 75 सेमी तक होता है. पूरी तरह से तैयार होने के बाद और सशस्त्र होने पर इसका अधिकतम टेकऑफ वजन 45 किलोग्राम है. यह समुद्र तल से 2,800 मीटर (9,200 फीट) की अधिकतम ऊंचाई पर 400 मीटर (1,300 फीट) की जमीनी स्तर से ऊपर की ऊंचाई में काम कर सकता है. इसमें जीपीएस और ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (ग्लोनास)-संगत नेविगेशन क्षमता है. सोंगार में एक स्वचालित गन स्टेबलाइजर, रिकॉइल डंपिंग और बैरल को 0-60 डिग्री वर्टिकल एक्सिस में झुकाने की क्षमता होती है. इसमें एक 10 मैग्नीफिशियन का पायलट कैमरा और गन कैमरा होता है. इसमें लगी मशीन गन वर्जन 556 MM के एडजस्टबल बर्स्ट मोड में 200 राउंड्स तक फायर कर सकता है. यह ड्रोन अपने साथ गोलियों की मैग्जीन कैरी कर सकता है, जो कि आसानी से बदले जा सकते हैं.
मिनी मिसाइल दाग सकती हैं इसमें लगी मिसाइलें
अस्सिगार्ड ड्रोन ऑपरेशन के बाद के नुकसान का आकलन करता है और वास्तविक समय की तस्वीरें लेता है. असिगार्ड सॉन्गर ड्रोन 170 मिमी (6.7 इंच) लंबाई और 40 मिमी (1.6 इंच) की छह मिनी मिसाइलों को दाग सकता है, जिन्हें ट्रॉय टेक्नोलॉजी द्वारा विकसित किया गया था. प्रत्येक मिसाइल और उसकी ट्यूब का वजन लगभग 0.5 किलोग्राम (1.1 पाउंड) होता है. मिनी मिसाइल के साथ सोंगार का इस्तेमाल बिना बख्तरबंद और हल्के बख्तरबंद वाहनों, इमारतों और छोटी संरचनाओं जैसे निश्चित लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए किया जाता है.
यह भी पढ़ें: लाहौर में फट जाए परमाणु बम तो क्या होगा, पाकिस्तान का कितना हिस्सा हो जाएगा तबाह?
Source: IOCL
























