ज़िंदगी भर कृष्ण भक्ति में डूबी रही थी औरंगज़ेब की बेटी, गुस्साए बादशाह ने दी थी ये सजा
जेबुन्निसा, औरंगजेब और बेगम दिलरस बानो की सबसे बड़ी बेटी थीं. इनके बारे में कहा जाता है कि ये बचपन से ही होनहार थीं. इनका मन शुरू से ही साज-श्रृंगार से ज्यादा पढ़ाई लिखाई में लगता था.
औरंगजेब का नाम मुगलों के सबस कट्टर शासकों मे आता है. कहा जाता है कि मुगलों के दौर का ये आखिरी बादशाह था, जिसमें मुगल मजबूत रहे. इसके बाद से मुगलों का पतन शुरू हो गया था. हालांकि, औरंगजेब जब तक रहा उसने मजहबी कट्टरता को सबसे ऊपर रखा. स्थिति ये थी कि इस कट्टरता से उसकी खुद की बेटी भी नहीं बच पाई. चलिए आज इस आर्टिकल में हम आपको औरंगजेब की बेटी जेबुन्निसा की कहानी बताते हैं, जो जिंदगी भर कृष्ण भक्ति में डूबी रही और इसके लिए पिता से ताउम्र सजा पाती रहीं.
कौन थीं जेबुन्निसा
जेबुन्निसा, औरंगजेब और बेगम दिलरस बानो की सबसे बड़ी बेटी थीं. इनके बारे में कहा जाता है कि ये बचपन से ही होनहार थीं. इनका मन शुरू से ही सबसे ज्यादा पढ़ाई लिखाई में लगता था. यही वजह है कि इन्होंने दर्शन, भूगोल, इतिहास जैसे विषयों को पढ़ने की पूरी कोशिश की.
हालांकि, औरंगजेब ने इनकी मंगनी चचेरे भाई सुलेमान शिकोह से कर दी थी. लेकिन सुलेमान शिकोह की कम उम्र में ही मौत हो गई. इसके बाद जेबुन्निसा ने अपना पूरा ध्यान पढ़ाई लिखाई और शायरियों में लगा दिया.
मिली ताउम्र कैद में रहने की सजा
औरंगजेब को अपनी बेटी से प्रेम था, लेकिन उसको ये पसंद नहीं था कि उसकी बेटी शायरियां करे और मुशायरों में जाए. कहा जाता है कि एक दिन औरंगजेब को भनक लगी कि उसकी बेटी किसी हिंदू बुंदेला राजा के साथ प्रेम में है, तो वो आगबबूला हो गया. इसके बाद उसने अपनी बेटी को कैद करवा लिया. वो इस कैद में लगभग 20 साल रहीं. कहते हैं कि कैद में रहते हुए वो कृष्ण भक्ति में लीन हो गईं और उन्होंने कृष्ण भक्ति में कई सारी रचनाएं लिखीं. बाद में ‘दीवान-ए- मख़फ़ी’ नाम से इन्हें प्रकाशित भी किया गया. हालांकि, 1702 में जेबुन्निसा की मौत हो गई.
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