'पद्मावती' के बहाने एक बार फिर निशाने पर है बॉलीवुड, दांव पर लगे हैं 150 करोड़

मुंबई: संजय लीला भंसाली की हालिया ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की फिल्म ‘पद्मावती’ के मुद्दे पर चल रहे विवादों के बीच बॉलीवुड से जुड़े लोगों का मानना है कि इस तरह की किसी फिल्म की रिलीज से पहले फिल्मकारों को विस्फोटक हालातों से गुजरना होता है और भंसाली की ‘पद्मावती’ इसका ताजा उदाहरण मात्र है.
इसकी वजह कुछ भी हो सकती है, चाहे वह तोड़ मड़ोड़ कर पेश किया गया इतिहास, धार्मिक भावनाएं आहत करने वाला संवाद या फिर पसंदीदा मुद्दा पाकिस्तान हो सकता है.
फिर चाहे वह महिलाओं पर आधारित छोटे बजट की फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’ हो या अतिथि भूमिका में पाकिस्तानी कलाकार की मौजूदगी वाली बड़े बजट की करण जौहर की फिल्म ‘ए दिल है मुश्किल’. ऐसी हर फिल्म को संकट का सामना करना पड़ा.

संजय लीला भंसाली की हालिया भव्य ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की फिल्म ‘पद्मावती’ पर इतिहासकार बंटे हुए हैं कि उनका (पद्मावती का) अस्तित्व था भी या नहीं लेकिन इससे नाराज राजपूत समूह फिल्म को उनके सम्मान पर आघात करने वाला बता रहे हैं.
कारोबारी सूत्रों के अनुसार राजपूत रानी पद्मिनी पर आधारित दीपिका पादुकोण-रणवीर सिंह-शाहिद कपूर अभिनीत फिल्म पर 150 करोड़ रुपये का दांव लगा है. रानी पद्मिनी का वर्णन मलिक मोहम्मद जायसी के 16वीं सदी के ऐतिहासिक काव्य ‘पद्मावत’ में मिलता है.
फिल्म के खिलाफ राजस्थान से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन समूचे गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक तक फैल चुका है.
मुंबई के ट्रेड एनालिस्ट अमोद मेहरा ने कहा कि यह सिर्फ रचनात्मक अभिव्यक्ति के बारे में नहीं है बल्कि यह सैकड़ों लोगों की मेहनत और निर्माताओं के पैसे का भी सवाल है. यही बात वितरकों के लिये भी लागू होती है.
मेहरा ने कहा, ‘‘इन तत्वों ने थिएटर मालिकों को उनकी संपत्ति की तोड़ फोड़ करने की धमकी दी है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत भव्य और महंगी फिल्म है. इसमें काफी मेहनत, समय और पैसा लगा है. ‘पद्मावती’ जैसी कोई महंगी फिल्म शादी की उम्र के लायक बेटी के समान होती है. इसे समय पर रिलीज करने का आप पर दबाव होता है.’’ फिल्म प्रदर्शक अक्षय राठी ने कहा कि मौजूदा हालात में बातचीत ही एकमात्र तरीका है.
ये फिल्म एक दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है.
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