कांस में पहुंची असम की फिल्म ‘विलेज रॉकस्टार’

कांस: फिल्ममेकर रीमा दास और उनकी फिल्म ‘विलेज रॉकस्टार’ का असम के छोटे से गांव से कांस तक का सफर काफी असाधारण रहा है. ‘विलेज रॉकस्टार’ को कांस फिल्म उत्सव के ‘हांगकांग गोज टू कांस’ कार्यक्रम में आधिकारिक तौर पर दिखाया गया. इसमें एशिया की चार ऐसी चुनिंदा फिल्मों का चयन किया गया है जिनपर अभी काम जारी है.
इस साल मार्च में ‘हांगकांग एशिया फिल्म फाइनेंस फोरम’ (एचएएफ) में अन्य फिल्मों के साथ असमी फिल्म का भी चयन किया गया था. फिल्म में रीमा के गांव छाय्गओं की ही एक नन्हीं कलाकार हैं. फिल्म की कहानी एक गरीब लेकिन एक साहसी लड़की की है जो एक गिटार खरीद कर संगीतकार बनना चाहती है.
इसके अलावा चुनी गई अन्य तीन फिल्में इस्राइल की ‘इकोस’, जापान:ताइवान की ‘ओमोतेनाशी’ और वियतनाम की ‘द थर्ड वाइफ’ हैं.
रीमा दास ने फिल्म के अंश (20 मिनट के) प्रस्तुति करने से पहले कहा, ‘‘गांव में अपनी पहली फिल्म की शूटिंग करते समय इस फिल्म का विचार मेरे दिमाग में आया था. मैं इन अद्भुत बच्चों से मिली और तभी से बड़े पर्दे पर इन बच्चों की कहानी दिखाने के लिए उत्साहित हो गई.’’ ‘विलेज रॉकस्टार’ 10 साल की धुनू की कहानी है जिसकी देखरेख उसकी विधवा मां करती है.
गरीबी में उसका पालन-पोषण करना और बार-बार प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना, वह एक मजबूत शख्सियत वाली महिला थी. उसकी दृढ़ता, समझौता न करने की प्रवृत्ति उसे और अधिक मजबूत बना देती है.’’ रीमा दास जो हमेशा मुंबई से बाहर काम करती हैं, ‘विलेज रॉकस्टार’ के जरिए उन्हें एकबार फिर अपनी जड़ों से जुड़ने का मौका मिला.
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL






















