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Karhal से Akhilesh Yadav लड़ेंगे चुनाव, जानिए- ग्राउंड जीरो से विधानसभा सीट का हाल

UP Election 2022: करहल विधानसभा सीट (Karhal assembly seat) से अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) चुनावी मैदान में हैं. ऐसे में जानिए ग्राउंड जीरो से विधानसभा सीट का हाल.

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) मैनपुरी (Mainpuri) की करहल विधानसभा सीट (Karhal assembly seat) से चुनाव लड़ने वाले हैं. ये पहला मौका है जब अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. इससे पहले वो जब 2012 में मुख्यमंत्री (Chief Minister) बने थे तब विधान परिषद के रास्ते सदन पहुंचे थे. वर्तमान में अखिलेश यादव आजमगढ़ (Azamgarh) लोकसभा सीट से सांसद हैं. ऐसे में अपने पिता मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की कर्मभूमि और लोकसभा सीट मैनपुरी (Mainpuri) से अखिलेश यादव के चुनाव लड़ने को लेकर करहल के लोग क्या सोचते हैं, इस ख़बर के बाद क्या माहौल है, इसकी पड़ताल के लिए एबीपी न्यूज़ की टीम करहल पहुंची.

मैनपुरी जिला मुख्यालय से करीब 35 किमोमीटर दूर इटावा के बगल में स्थित करहल नगर पंचायत क्षेत्र है. यानी शहरी और ग्रामीण आबादी का मिलाजुला असर इस विधानसभा सीट पर दिखाई देता है. करहल का माहौल दिखाने से पहले यहां के कुछ आंकड़े आपको बता देते हैं.

करहल विधानसभा सीट पर कुल वोटर 3 लाख 71 हज़ार के करीब हैं. इसमें 1 लाख 44 हज़ार यादव, 34 हज़ार शाक्य, 25 हज़ार राजपूत, 33 हज़ार जाटव, 16 हज़ार पाल, 14 हज़ार ब्राह्मण,14 हज़ार मुस्लिम और 10 हज़ार लोधी वोटर हैं. लखनऊ आगरा एक्सप्रेसवे इसी करहल इलाक़े के3 बीच से गुज़रता है. इससे लगा एक हाइवे भी है जो इटावा और मैनपुरी ज़िले को जोड़ता है. करहल में शिक्षा व्यवस्था बेहतर है क्योंकि यहां 30 के क़रीब इंटर कॉलेज और 20 के क़रीब डिग्री कॉलेज मौजूद हैं.

माना जा रहा है कि अखिलेश यादव ने 2 वजहों से करहल को अपनी कर्मभूमि बनाने का फ़ैसला किया है. पहली वजह ये कि सपा का गढ़ होने की वजह से उन्हें सिर्फ नामांकन करने की ज़रूरत है, चुनाव प्रचार के लिए उन्हें करहल की गलियों में घूमने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी. ऐसे में वो पूरे प्रदेश में आसानी से पार्टी के लिए प्रचार कर सकते हैं.

दूसरी वजह ये है कि मैनपुरी से लड़कर वो अवध के अलावा पश्चिमी यूपी में असर डाल सकते हैं. ऐसे में पूर्वांचल में उनकी पार्टी को लेकर सर्वे बता रहे हैं कि वो बीजेपी को टक्कर दे रहे हैं. यानी अखिलेश के मैनपुरी आने से अवैध और पश्चिमी यूपी को भी वो साधने की कोशिश कर सकते हैं.

मैनपुरी नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव की कर्मभूमि रही है. मैनपुरी के करहल क्षेत्र में नेताजी ने शुरुआती पढ़ाई लिखाई की और जिस जैन इंटर कॉलेज से वो पढ़े, बाद में उसी में शिक्षक बन गए. इसी करहल क्षेत्र के रहने वाले नत्थू सिंह यादव ने उन्हें राजनीति में लाने का काम किया. नत्थू सिंह यादव के बेटे और पूर्व मंत्री सुभाष यादव अखिलेश के फ़ैसले को लेकर बेहद खुश हैं.

सुभाष यादव ने कहा कि अखिलेश सिर्फ नामांकन कर दें, बाक़ी चुनाव यहां की जनता जिताने का काम करेगी. उन्होंने नेताजी के 1967 के चुनाव से लेकर अबतक के इतिहास का ज़िक्र करते हुए कहा कि अखिलेश के करहल को कर्मभूमि बनाने से इसका असर बड़े स्तर पर पड़ेगा और सपा की सरकार बनेगी.

यादव परिवार ने करहल क्षेत्र के लिए कई ऐसे काम किये हैं. विवादों में रहे सैफई महोत्सव में जो फ़िल्म स्टार्स मुम्बई से आते थे, वो जिस गेस्ट हाउस में रहते थे वो अखिलेश यादव ने 2013 में 6 करोड़ की लागत से बनवाया था. 12 बीघा ज़मीन पर बना ये अति विशिष्ठ अतिथि गृह लखनऊ आगरा एक्सप्रेसवे के बिल्कुल नज़दीक है. यहां से सैफई की दूरी मात्र 6 किलोमीटर है.

मैनपुरी और इटावा अगल बगल के ज़िले हैं. इटावा ज़िले के सैफई गांव में मुलायम सिंह यादव का पैतृक घर है. सैफई से करहल की दूरी मात्र 5 किलोमीटर है. इसी वजह से जिला और विधानसभा क्षेत्र भले बदल जाये लेकिन घर घर में मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव को लेकर लोगों में सकारात्मक प्रभाव है.

सैफई के विकास का भी फ़ायदा करहल के लोगों को मिला है. ऐसे में अपने पैतृक आवास से नज़दीक की विधानसभा सीट से चुनाव लड़कर अखिलेश ने पूरा फोकस प्रदेश में रखने हुए आसानी से विधानसभा चुनाव जीतने की रणनीति बनाई है.

इटावा और मैनपुरी यादव परिवार का गढ़ है. इन दोनों ज़िलों को जोड़ने के लिए 4 लेन सड़क भी अखिलेश के कार्यकाल में बनी. ये 60 किलोमीटर लंबी सड़क 2016 में बनकर तैयार हुई और इसकी लागत क़रीब 431 करोड़ रुपये की है. इसके बन जाने से इटावा और मैनपुरी के लोगों को एक्सप्रेसवे आने जाने में काफी सहूलियत हो गई है.

समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी के करहल क्षेत्र में स्थिति जैन इंटर कॉलेज से पढ़ाई भी की और शिक्षक बनकर पढ़ाया भी. जैन इंटर कॉलेज में एक प्रेक्षागृह मुलायम सिंह यादव के नाम पर बनाया गया है. यहां के मैनेजमेंट से जुड़े लोग, स्टाफ़ और शिक्षक अखिलेश के करहल आने के फैसले से बेहद खुश हैं. इनका कहना है कि अखिलेश के अच्छा फैसला किया है. करहल से चुनाव लड़कर वो बिना प्रचार चुनाव भी जीतेंगे और अपना पूरा ध्यान अन्य जगहों पर चुनाव प्रचार में लगा पाएंगे. जैन इंटर कॉलेज के लोगों का कहना है कि अखिलेश चाहें तो ऑनलाइन नामांकन कर लें, उन्हें करहल आने की भी ज़रूरत नहीं है.

जैन इंटर कॉलेज के छात्र पूरी तरह सपा के रंग में रंगे नज़र आ रहे हैं. पहली बार वोट करने जा रहे छात्र इस बात से ख़ुश हैं कि उनका पहला वोट अपने पसंदीदा नेता अखिलेश यादव के पक्ष में जायेगा. युवकों का कहना है कि करहल में विकास बहुत हो गया है, ज़रूरत है सिर्फ युवाओं को रोज़गार देने की. युवकों का आरोप है कि योगी सरकार में भर्तियां ठीक से नहीं निकाली गईं. ऐसे में अब अखिलेश यादव सिर्फ करहल के युवाओं को रोज़गार और नौकरी दे दें तो उन्हें और कुछ नहीं चाहिए.

करहल विधानसभा सीट के मुख्य बाज़ार में भी माहौल अखिलेश यादव के पक्ष में दिखाई दे रहा है. यहां दर्जनों लोगों की भीड़ खुलकर अखिलेश का समर्थन करती दिखती है. कैमरा देखकर इकट्ठी हुई इस भीड़ में 2 बीजेपी समर्थक आये और उन्होंने दावा किया कि बीजेपी ने काम बहुत किया है. लेकिन बीजेपी समर्थकों पर सपाई भारी पड़ते दिखे और खुलकर अखिलेश यादव के पक्ष में माहौल होने का दावा करते हैं. लोगों का कहना है कि इस इलाक़े में बिना चुनाव लड़े ही यादव परिवार ने इतना काम किया है जो कोई कर नहीं सकता.

ज़ाहिर है सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए मैनपुरी की करहल सीट बेहद सुरक्षित सीट है. उन्हें कोई मेहनत किये बिना आसानी से यहां से जीत मिल सकती है. अब सवाल ये है कि लोकसभा सांसद रहते हुए विधानसभा लड़ने का दांव चलकर क्या अखिलेश सत्ता वापसी की जो कोशिश कर रहे हैं, वो मुमकिन हो पाएगी? इसके जवाब का इंतज़ार सबको है और जवाब 10 मार्च को ही मिल पायेगा जब चुनाव के परिणाम आएंगे.

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