Lok Sabha Elections 2024: 1957 से 16 गुना बढ़ी महिला उम्मीदवारों की संख्या, चुनाव आयोग के आंकड़े कर देंगे हैरान
Lok Sabha Elections 2024: अब तक किसी भी लोकसभा चुनाव में महिला उम्मीदवारों की कुल संख्या एक हजार का आंकड़ा नहीं छू पाई है. 2019 में केवल 9 फीसदी उम्मीदवार महिलाएं थीं. यह 1957 से 16 गुना ज्यादा है.
Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 में सभी राजनीतिक दलों ने कई महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है. तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी हमेशा की तरह इस मामले में काफी आगे हैं लेकिन भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने भी कई महिलाओं को सियासी मैदान में उतारा है. महिला उम्मीदवारों में अधिकतर अभिनेत्रियां या किसी चर्चित व्यक्ति की रिश्तेदार हैं.
बीजेपी ने कंगना रणौत और हेमा मालिनी को टिकट दिया है. दोनों अभिनेत्रियां हैं. टीएमसी की अधिकर महिला उम्मीदवार अभिनेत्री ही हैं. इसके अलावा बाहुबली नेताओं की पत्नी या बेटियों को भी काफी टिकट मिले हैं. राजघराने की महिलाएं भी लोकसभा चुनाव 2024 में अपनी किस्मत आजमा रही हैं. हालांकि, पुरुषों से तुलना करें तो अभी भी चुनाव में महिलाओं की भागीदारी बेहद कम है.
क्या हैं चुनाव आयोग के आंकड़े?
चुनाव आयोग के अनुसार 1957 में कुल 45 महिलाओं ने लोकसभा चुनाव लड़ा था. 2019 में यह संख्या 726 थी. इस दौरान पुरुषों की संख्या 1474 से बढ़कर 7,322 तक पहुंच चुकी है. पिछले चुनाव में 9 फीसदी उम्मीदवार महिलाएं थीं, जबकि 1957 में यह आंकड़ा 2.9 फीसदी था. 62 साल में पुरुष उम्मीदवारों की संख्या 5 गुना और महिला उम्मीदवारों की संख्या में 16 गुना का इजाफा हुआ है. हालांकि, अब तक किसी भी चुनाव में महिला उम्मीदवारों की संख्या 1000 का आंकड़ा नहीं छू पाई है.
2019 में 6.4 फीसदी पुरुष उम्मीदवार जीते
1957 में 45 में से 22 महिलाएं चुनाव जीतने में सफल रही थीं. सफल महिला उम्मीदवारों का प्रतिशत 48.88 था. 2019 में यह घटकर 10.74 रह गया है. पिछले चुनाव में 726 महिला उम्मीदवारों में सिर्फ 78 ही जीत हासिल कर पाईं. 1957 में 31.7 फीसदी पुरुष उम्मीदवार जीते थे, लेकिन 2019 में 6.4 फीसदी उम्मीदवारों को ही जीत मिली. इससे साफ होता है कि चुनाव में लोगों की भागीदारी बढ़ रही है और यह लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत है.
संसद में भागीदारी बढ़ी
1957 में देश की संसद में महिलाओं की भागीदारी सिर्फ 5.4 फीसदी थी. 2019 तक यह बढ़कर 14.4 फीसदी हो चुकी है, लेकिन अभी भी यह बेहद कम है. संसद में महिला आरक्षण का कानून पास होने पर 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. इस स्थिति में कम से कम 181 सांसद महिलाएं होंगी.
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