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Lok Sabha Election 2024: 370 का लक्ष्य हासिल करना बीजेपी के लिए संभव या असंभव? जानिए क्या कहते हैं समीकरण

Lok Sabha Election 2024: 2024 में बीजेपी को 83 % स्ट्राइक रेट चाहिए तभी 370 का टारगेट पूरा होगा. पिछली बार 2019 के चुनाव में  बीजेपी का स्ट्राइक रेट 69 फीसद था.

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 की जीत को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) में गजब का कॉन्फिडेंस है. तभी प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी ने डंके की चोट पर कहा कि शपथ के दूसरे दिन ही देश में धमाधम काम शुरू हो जाएगा. वैसे कॉन्फिडेंट तो BJP इस बात को लेकर भी है कि अबकी बार 400 सीट जीतेंगे. फैक्ट ये भी है कि ये टारगेट तभी पूरा हो सकता है जब बीजेपी अकेले 370 सीट जीते, लेकिन ये लक्ष्य संभव है या असंभव? इसके लिए उत्तर और दक्षिण के बीच चुनावी चैलेंज का परीक्षण करते हैं.

उत्तर भारत में लोकसभा की 242 सीट हैं. 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 183 सीट जीतीं. दक्षिण भारत में लोकसभा की 132 सीट हैं और पिछली बार में बीजेपी को महज 29 सीट पर जीत मिली. यानी 103 सीट पर हार का मुंह देखना पड़ा. अब आपको बताते हैं कि 370 का लक्ष्य बीजेपी के लिए कितनी टेढी खीर है. जो फैक्ट्स हम आपके लिए लेकर आए हैं, उनसे पूरी पिक्चर क्लियर हो जाएगी.

2024 का चुनाव जीतने के लिए बीजेपी को 83 फीसद का स्ट्राइक रेट चाहिए
2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी अकेले 436 सीटों पर लड़ी. 436 में से 303 सीट पर जीत मिली. इस हिसाब से 2019 के चुनाव में  बीजेपी का स्ट्राइक रेट 69 फीसद था. अब आपको बताते हैं कि 370 का टारगेट पूरा करने के लिए  बीजेपी को इस बार क्या करना होगा. 2024 में बीजेपी को 83 % स्ट्राइक रेट चाहिए तभी 370 का टारगेट पूरा होगा. पिछली बार 436 और इस बार 446 सीट पर  बीजेपी लड़ रही है यानी पिछली बार से सिर्फ 10 सीट ज्यादा हैं. इनमें भी 367 सीट ऐसी हैं जहां  बीजेपी कभी न कभी जीती, लेकिन 2024 में  बीजेपी इन 367 सीट में 339 पर ही लड़ रही है. यानी पहले जीती हुई 28 सीटों पर BJP नहीं उसके सहयोगी लड़ रहे हैं. एक और खास बात पैन इंडिया 176 सीट ऐसी हैं जहां बीजेपी कभी नहीं जीती. 2024 में   बीजेपी इनमें से 106 सीट पर चुनाव लड़ रही है.

दक्षिण में क्या है बीजेपी की स्थिति?
देश के 7 ऐसे राज्य हैं जहां लोकसभा की 87 सीट हैं. इन राज्यों को साधे बिना  बीजेपी का 370 का लक्ष्य हासिल कर पाना असंभव है? बीजेपी के लिए ये सूबे क्यों चैलेंज है और कहां कितनी चुनौती है. हमने इसका भी परीक्षण किया
पहले दक्षिण के राज्यों की बात करते हैं.

केरल में लोकसभा की 20 सीट हैं. 16 सीट ऐसी हैं जहां  बीजेपी कभी नहीं जीती. तमिलनाडु में लोकसभा की 39 सीट हैं, इनमें से 16 सीट पर कभी कमल नहीं खिला. तेलंगाना में लोकसभा की 17 सीट हैं, इनमें 10 सीटों पर BJP ने हमेशा हार का मुंह देखा. ओडिशा में लोकसभा की 21 सीट हैं, इनमें से 10 सीट ऐसी हैं जहां BJP कभी नहीं जीती. आंध्र प्रदेश में 25 लोकसभा सीट हैं. यहां 3 सीटें ऐसी हैं जहां हर बार बीजेपी हारी.

उत्तर भारत में कैसी है बीजेपी की हालत?
बीजेपी के लिए चुनौतियों की दीवार उत्तर भारत में भी खड़ी है. उत्तर में कहां कहां बीजेपी की टेंशन बढ़ सकती है इसे भी ध्यान से देखिए. पंजाब में लोकसभा की 13 सीट हैं. 10 सीट ऐसी हैं, जहां बीजेपी कभी नहीं जीती. पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 42 सीट हैं. 2019 के चुनाव में  बीजेपी 22 पर जीती थी. आकंड़ों से साफ है कि उत्तर से  लेकर दक्षिण के 7 राज्यों में बीजपी की स्थिति कमजोर है और अगर 370 सीट जीतनी हैं तो इन राज्यों में बीजेपी को अपनी परफॉर्मेंस सुधारनी होगी. 

प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी जानती है कि अपने बूते पर 370 सीटें जीतना नामुमकिन है, इसीलिए  बीजेपी विपक्षी दलों को छोड़कर आ रहे हर चेहरे का स्वागत कर रही है और  बीजेपी को चैलेंज देने में विपक्ष भी हर मुमकिन कोशिश में लगा है. इसे समझने के लिए आपको ये दो तस्वीरें देखना जरूरी है, बीजेपी में आज एक बार फिर पंजे का पुनर्जन्म हुआ.

पार्टियों में पाला बदलने का सिलसिला जारी
कल तक राहुल गांधी के पोस्ट शेयर करने वाले बॉक्सर विजेंदर सिंह आज  बीजेपी हेडक्वार्टर जाकर पार्टी मेंबर बन जाते हैं. सवाल पूछा जाता है इतनी जल्दी मन कैसे बदला, तो विजेंदर कहते हैं परिवर्तन के लिए 1 सेकेंड ही काफी होता है. दूसरी तरफ  बीजेपी सांसद अजय निषाद की है, जिन्होंने  कांग्रेस का हाथ थाम लिया, मुजफ्फरपुर से  बीजेपी ने निषाद का टिकट काट दिया, तो कांग्रेस ने निषाद को ही बीजेपी  के खिलाफ हथियार बना लिया. पार्टियों में पाला बदलने का सिलसिला जारी है, इसके रीजनल, सीजनल, ग्रास रूट लेवल तक के दलों को,  बीजेपी और एनडीए में शामिल करवा रही है क्योंकि  बीजेपी नहीं चाहती है कि किसी भी सीट पर वोटों का बिखराव मुश्किल पैदा करे.

2019 में कांग्रेस और बीजेपी के अलावा 38 पार्टियों ने 188 लोकसभा सीटें जीतीं. इनमें से 51 सीट जीतने वाले 14 दल इस बार NDA का हिस्सा हैं. 78 सीटें जीतने वाली 16 पार्टियां INDIA गठबंधन में शामिल हैं. 59 सीटें जीतने वाली 8 पार्टियां किसी गठबंधन में नहीं हैं. अकेले चुनाव लड़ने वाली दक्षिण भारत की 4 पार्टियां YSR कांग्रेस, BRS, AIMIM और AIADMK हैं, जबकि उत्तर भारत के 4 दल BJD, BSP, AIUDF और शिरोमणि अकाली दल किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं

गठबंधन भारत की राजनीति की सबसे बड़ी जरूरत क्यों बन गया?
इसे समझने के लिए बीते 6 लोकसभा चुनावों के नतीजों पर नजर डाल लेते हैं-

  • 1998 में अन्य दलों के 41 फीसद सांसद जीते, गठबंधन सरकार बनी
  • 1999 में अन्य दलों के 45 फीसद सांसद थे, गठबंधन सरकार बनी
  • 2004 में अन्य दलों के 48 फीसद सांसद जीते, UPA सरकार बनी
  • 2009 में अन्य दलों के 41 फीसद सांसद जीते, दोबारा UPA सरकार बनी
  • 2014 में BJP ने अकेले स्पष्ट बहुमत हासिल किया, तो मुख्य विपक्षी दल और अन्य दलों के सांसद भी घटे और वोट शेयर भी घटा
  • यही 2019 में भी हुआ BJP की सीटें और बढ़ीं, तो अन्य दलों के सांसद घट गए.

बीते 6 चुनाव नतीजों का औसत निकालें तो भी अकेले 42 फीसद सांसद अन्य दलों ने जीते, जो बीजेपी और कांग्रेस से काफी ज्यादा था. यही वजह है कि बीजेपी के अकेले दम पर स्पष्ट जनादेश हासिल करने के बावजूद देश में एनडीए यानी गठबंधन की सरकार है और इस बार भी  बीजेपी के लिए हर क्षेत्रीय और छोटी-छोटी पार्टियों की अहमियत बरकरार है.

बीजेपी के लिए एक और चैलेंजिंग सिचुएशन हमेशा रही. चुनाव में मुकाबला जब भी चौतरफा हुआ बीजेपी की परफॉर्मेंस को बट्टा लगा. खास कर तब जब  बीजेपी को कांग्रेस के साथ क्षेत्रिय दलों से टक्कर मिली. हालांकि, जहां बीजेपी और कांग्रेस में सीधी टक्कर होती है, वहां पलड़ा बीजेपी का भारी रहता है. 

12 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेश में लोकसभा की 161 सीट हैं. 2019 चुनाव में यहां  बीजेपी का स्ट्राइक रेट 91% रहा. 161 सीट में बीजेपी ने 147 सीट जीती थीं. कांग्रेस के खाते में 9 और अन्य को 5 सीट मिली थी. अब BJP को क्षेत्रीय दलों से मिलने वाले चैलेंज का परीक्षण करते हैं, जिससे पूरी पिक्चर क्लियर हो जाएगी कि क्षेत्रीय दल कैसे बीजेपी का खेल बिगाड़ते आए हैं.

क्षेत्रीय दलों से बीजेपी को मिली चुनौती
5 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश में लोकसभा की 198 सीट हैं. 2019 में बीजेपी को 198 में से 116 पर ही जीत मिली. तब बीजेपी का स्ट्राइक रेट रहा 59 फीसद. कांग्रेस को महज 6 सीट मिली थी, जबकि क्षेत्रीय दलों और अन्य ने 76 सीटों पर कब्जा किया था. अब जहां कांग्रेस, बीजेपी और क्षेत्रीय दलों के बीच चौतरफा मुकाबला होता है वहां  बीजेपी कहां स्टैंड करती है. इसका परीक्षण भी हमने किया है. देश के 6 राज्यों में लोकसभा की कुल 93 सीट हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में  बीजेपी को 40 सीट पर जीत मिली तब बीजेपी का स्ट्राइक रेट 43 फीसद रहा था. कांग्रेस को इस चुनाव में 12 सीटें ही मिली थीं, जबकि अन्य के खाते में 41 सीटें गई थी. यानी कांग्रेस से वन टू वन में बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा रहा, लेकिन चुनौती क्षेत्रीय दलों और चौतरफा मुकाबलों में जरूर मिलती रही है.

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