आंध्र प्रदेश में लगातार दूसरी बार कांग्रेस अपना खाता नहीं खोल पाई
कांग्रेस लगातार दूसरी बार आंध्र प्रदेश में अपना खाता खोलने में भी सफल नहीं हो पाई. इससे पहले 2014 में भी कांग्रेस का राज्य से सफाया हो गया था.
नई दिल्लीः आंध्र प्रदेश में लगातार दूसरी बार कांग्रेस अपना खाता खोलने में भी सफल नहीं हो पाई. इससे पहले 2014 में भी कांग्रेस का राज्य से सफाया हो गया था.
कांग्रेस 2019 के चुनाव में जनता से इस वादे के साथ वोट मांग रही थी कि अगर वह सत्ता में आती है तो आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देगी लेकिन लोगों ने उन पर विश्वास नहीं करते हुए 2014 के मुकाबले 2019 में कांग्रेस के पक्ष में कम मतदान किया.
कांग्रेस को विधानसभा की सभी 175 सीटों पर हुए चुनाव में 3,68,878 मत मिले हैं. यहां पड़े कुल 3.13 करोड़ वोटों का यह महज 1.17 फीसदी है. 2014 के मुकाबले यह और भी खराब स्थिति है. पार्टी को 2014 में 8,02,072 मत मिले थे जो कि 2.77 फीसदी मत था.
आपको बता दें कि राज्य में नोटा का प्रदर्शन (4,01,969) कांग्रेस के मुकाबले अच्छा था. नोटा का इस्तेमाल राज्य में 1.28 फीसदी लोगों ने किया. वहीं भाजपा मोदी लहर पर सवार होकर भी राज्य में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई.
2014 में हुए चुनाव में भाजपा तेदेपा के साथ मिलकर 6,32,599 मत (2.18 फीसदी) हासिल करके चार सीट जीतने में सफल हुई थी. लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को राज्य में सिर्फ 0.96 फीसदी वोट मिले जबकि कांग्रेस को 1.29 फीसदी मत मिले. लोकसभा चुनाव में भी नोटा का इस्तेमाल 1.49 फीसदी लोगों ने किया. वाईएसआर कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में 49.9 फीसदी मत और लोकसभा चुनाव में 49.1 फीसदी मत मिले. तेदेपा को विधानसभा चुनाव में 39.2 फीसदी और लोकसभा में 39.6 फीसदी मत मिले.