Stock Market: कल शेयर बाजार में निवेशकों को लगा पांच लाख करोड़ रुपये का चूना, आगे के लिए क्या कहते हैं जानकार
Stock Market Loss to investors: शेयर बाजार में लगातार गिरावट बढ़ती ही जा रही है और कल की कमजोरी में बाजार के निवेशकों के करीब 5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा स्वाहा हो गए. जानें आगे का मार्केट आउटलुक कैसा है.

Stock Market Loss: कल घरेलू शेयर बाजार के दो फीसदी से अधिक टूटने के कारण गुरुवार को निवेशकों ने पांच लाख करोड़ रुपये गंवा दिये. अमेरिका में महंगाई दर के उच्चतम स्तर पर बने रहने के कारण वैश्विक बाजारों में रही गिरावट के बीच भारत में खुदरा महंगाई दर में तेजी की संभावना, कंपनियों का निराशाजनक प्रदर्शन और डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट निवेश धारणा पर पूरे दिन हावी रही.
कैसे बंद हुए सेंसेक्स और निफ्टी
बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैपिटलाइजेशन भारी बिकवाली के कारण 5.25 लाख करोड़ रुपये घटकर 2,40,90,199.39 करोड़ रह गया. कल मार्केट कैपिटलाइजेशन 2,46,31,990.38 करोड़ रुपये रहा था. बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 1,158 अंक यानी 2.14 फीसदी की गिरावट में 53 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे 52,930 अंक पर बंद हुआ. बीएसई की मंझोली और छोटी कंपनियों में भी बिकवाली का जोर रहा.
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 359 अंक यानी 2.2 फीसदी की गिरावट में 15,808 अंक पर बंद हुआ. निफ्टी में 50 में से पांच कंपनियां हरे निशान में रहीं जबकि बाकी 45 गिरावट में रहीं. बीएसई के सभी 20 समूहों के सूचकांक गिरावट में रहे. बिजली क्षेत्र में चार फीसदी से अधिक की गिरावट रही.
बाजार के गिरने के अन्य कारण
सेंसेक्स की कंपनियों में बिकवाली इस कदर हावी रही कि 30 में से 29 कंपनियां लाल निशान में रहीं. सिर्फ विप्रो के शेयर में 0.55 फीसदी की तेजी दर्ज की गई. ब्याज दर बढ़ने की आशंका और कंपनियों के कमजोर प्रदर्शन से निवेशकों का रुझान शेयर बाजार में कम हो गया है. अमेरिकी डॉलर भी इस बीच 20 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. डॉलर की तुलना में रुपया तेजी से गिरकर 77.63 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर आ गया है.
कल विदेशी बाजारों में भी गिरावट
विदेशी बाजारों में भी गिरावट देखी गई. जापान का निक्केई, हांगकांग का हैंगशैंग, चीन का शंघाई कंपोजिट, ब्रिटेन का एफटीएसई और अमेरिका का एसएंडपी 500 सब गिरावट में रहे. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के बिकवाल बनने से भी मार्केट सेंटीमेंट पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.
आगे के लिए क्या है जानकारों का कहना
बाजार विश्लेषकों के मुताबिक, निवेशकों को आशंका है कि केंद्रीय बैंक बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिये ब्याज दरों में और तेजी ला सकते हैं, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हो जायेगी. रेलीगेयर ब्रोकिंग की उपाध्यक्ष (कमोडिटी एंड करेंसी रिसर्च) सुगंधा सचदेवा ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में तेजी , यूक्रेन में जारी युद्ध के कारण भू-राजनीतिक परिदृश्य पर हावी अनिश्चितता और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा मौद्रिक नीति में और सख्ती किये जाने की संभावना का निवेश धारणा पर प्रतिकूल प्रभाव रहा. उन्होंने कहा कि निवेशकों को आशंका है कि ब्याज दर में बढ़ोतरी करने से वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास की गति धीमी हो जायेगी.
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Source: IOCL





















