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Crude Oil Price Update: महंगे पेट्रोल डीजल से मिल सकती है निजात, कच्चे तेल के दामों में बड़ी गिरावट के आसार
Crude Oil Price Latest News: 2023 के आखिर तक दाम घटकर 45 डॉलर प्रति बैरल तक आ सकता है. यानि अपने मौजूदा लेवल 105 डॉलर प्रति बैरल से कच्चे तेल के दाम घटकर 58 फीसदी नीचे आ सकता है.
![Crude Oil Price Update: महंगे पेट्रोल डीजल से मिल सकती है निजात, कच्चे तेल के दामों में बड़ी गिरावट के आसार Relief From Costly Petrol Diesel Likely As Crude Oil Price To Fall At 45 Dollar Per Barrel Says Citigroup Crude Oil Price Update: महंगे पेट्रोल डीजल से मिल सकती है निजात, कच्चे तेल के दामों में बड़ी गिरावट के आसार](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/07/06/91dc27588e2cb4fbc5a78a2de5e22dd01657100595_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Crude Oil Price Today: भारत के लिए आने वाले दिनों में राहत की खबर आ सकती है. आम लोगों को महंगाई (Inflation) से राहत मिल सकती है. दरअसल सिटीग्रुप (Citigroup) ने भविष्यवाणी की है कि कच्चे तेल के दामों में बड़ी गिरावट आ सकती है. सिटीग्रुप (Citigroup) के मुताबिक 2022 के आखिर तक कच्चे तेल के दाम ( Crude Oil Price) फिसलकर 65 डॉलर प्रति बैरल तक गिर सकता है. तो 2023 के आखिर तक दाम घटकर 45 डॉलर प्रति बैरल तक आ सकता है. यानि अपने मौजूदा लेवल 105 डॉलर प्रति बैरल से कच्चे तेल के दाम घटकर 58 फीसदी नीचे आ सकता है.
सिटीग्रप के मुताबिक वैश्विक मंदी ( Global Recession) के चलते कच्चे तेल की मांग में भारी कमी आ सकती है. वैसे भी कच्चे तेल के दामों के इतिहास पर नजर डालें तो जब जब वैश्विक अर्थव्यवस्था ( Global Economy) पर संकट आया है कच्चे तेल के दामों में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. 2008 में आए मंदी के दौरान कच्चा तेल 149 डॉलर प्रति बैरल से घटकर 35 डॉलर प्रति बैरल तक फिसलकर आ गया था. तो कोराना महामारी ( Covid-19 Pandemic) के दौरान दुनियाभर में लॉकडाउन ( Lockdown) के चलते कच्चे तेल के दाम गिरकर 20 डॉलर प्रति बैरल तक आ चुका था. मंगलवार को आर्थिक संकट और मंदी के चलते अमेरिका में कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आ चुका था.
बहरहाल कच्चे तेल के दामों में गिरावट आई तो भारत के लिए सबसे अच्छी खबर होगी. भारत अपने खपत का 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है. उसे अपने विदेशी मुद्रा भंडार का बड़ा हिस्सा कच्चे तेल के आयात पर खर्च करना होता है. कच्चे तेल के दामों में गिरावट से जहां आम लोगों को सस्ता पेट्रोल डीजल उपलब्ध हो सकेगा. विदेशी मुद्रा भंडार की बचत होगी सरकार का वित्तीय घाटा कम होगा.
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