Goldman Sachs Report: ट्रंप का टैरिफ बम अमेरिका को करेगा तबाह, Goldman Sachs की नई रिपोर्ट ने पूरी दुनिया के उड़ा दिए होश
गोल्डमैन सैक्स ने अमेरिका की आर्थिक विकास दर 2025 के लिए 1.5 फीसदी से घटाकर 1.3 फीसदी कर दी है. वहीं JP Morgan का अनुमान है कि 2025 में अमेरिकी अर्थव्यवस्था 0.3 फीसदी तक सिकुड़ सकती है.

Goldman Sachs Report: अमेरिका की अर्थव्यवस्था को लेकर दुनिया भर में चिंता बढ़ती जा रही है. अब ग्लोबल इनवेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैक्स (Goldman Sachs) ने अमेरिका में मंदी (Recession) की आशंका 35 फीसदी से बढ़ाकर 45 फीसदी कर दी है. ये लगातार दूसरी बार है जब उन्होंने एक ही हफ्ते में ये अनुमान बढ़ाया है. बताया जा रहा है कि इसके पीछे की वजह है अमेरिका और बाकी देशों के बीच बढ़ता ट्रेड वॉर और ट्रंप सरकार द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ.
पूरी दुनिया में मंदी की संभावना
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को उम्मीद से ज्यादा सख्त टैरिफ का ऐलान किया था, जिससे न सिर्फ अमेरिका बल्कि ग्लोबल मार्केट में भी हलचल मच गई है. शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखने को मिली और इसके बाद एक के बाद एक निवेश बैंकों ने मंदी की आशंका जतानी शुरू कर दी. JP Morgan का तो कहना है कि अमेरिका और पूरी दुनिया में मंदी की संभावना 60 फीसदी तक पहुंच गई है.
ट्रंप के टैरिफ से न सिर्फ अमेरिका में महंगाई (Inflation) बढ़ सकती है, बल्कि चीन जैसे देश जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं, जिससे स्थिति और बिगड़ने का खतरा है. गोल्डमैन सैक्स ने अमेरिका की आर्थिक विकास दर 2025 के लिए 1.5 फीसदी से घटाकर 1.3 फीसदी कर दी है. वहीं JP Morgan का अनुमान इससे भी चिंताजनक है. वे मानते हैं कि 2025 में अमेरिकी अर्थव्यवस्था 0.3 फीसदी तक सिकुड़ सकती है.
ट्रेड वॉर की आग अब अमेरिकी इकॉनॉमी तक पहुंची
अब नजर है अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व (Fed) पर. गोल्डमैन सैक्स को उम्मीद है कि फेड जून से ब्याज दरों में कटौती शुरू करेगा और लगातार तीन बार 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती हो सकती है. JP Morgan और Wells Fargo भी अब मानते हैं कि 2025 में तीन से पांच बार तक ब्याज दरें घट सकती हैं, ताकि बाजार को सपोर्ट दिया जा सके.
एक तरह से कहा जाए तो ट्रेड वॉर की आग अब अमेरिकी इकॉनॉमी तक पहुंच चुकी है. अगर यही हाल रहा, तो पूरी दुनिया के लिए आर्थिक मुश्किलें बढ़ सकती हैं. भारत जैसे देशों को इस स्थिति में स्मार्ट रणनीति बनानी होगी, ताकि ग्लोबल स्लोडाउन का असर कम हो और नए मौके तलाशे जा सकें.
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