(Source: Poll of Polls)
भारत के खास दोस्त इजरायल का 'वो' एक फैसला और देश में बढ़ जाएगी जबरदस्त महंगाई
अगर ईरान औ इजरायल के बीच तनाव बढ़ता है तो ये तनाव सिर्फ इन्हीं दो देशों के बीच नहीं रहेगा बल्कि पूरा मध्य-पूर्व प्रभावित होगा. इससे सऊदी अरब, इराक, कतर और यूएई तक असर देखने को मिल सकता है.

Iran Israel Tensions: इजरायल और भारत के बीच दोस्ती किसी से छिपी नहीं है. मुसीबतों के वक्त भारत के साथ हमेशा ये छोटा देश चट्टान बनकर खड़ा रहा है. लेकिन, इजरायल और ईरान के बीच जिस तरह से आज तनाव बढ़ रहा है, उसके बाद इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल के दाम में फिर से तेजी देखी जा रही है.
पिछले दिनों ऐसी रिपोर्ट आयी है कि ईरान के परमाणु ठिकाने पर इजरायल अब मिलिट्री एक्शन की तैयारी कर रहा है. इस खबर के बाद तेल की कीमतों में ये तेजी देखी गई है. डब्ल्यूटीआई क्रूड और ब्रेंट क्रूड दोनों में ही करीब 1.06 प्रतिशत से ज्यादा का उछाल आया है और ये 66.07 डॉलर पर आ गया है. पिछले दिनों कच्चे तेल की कीमत 60 डॉलर से भी कम पर आ गई थी.
टकराव से बढ़ेगी महंगाई
अगर ईरान औ इजरायल के बीच तनाव बढ़ता है तो ये तनाव सिर्फ इन्हीं दो देशों के बीच नहीं रहेगा बल्कि पूरा मध्य-पूर्व प्रभावित होगा. इससे सऊदी अरब, इराक, कतर और यूएई तक असर देखने को मिल सकता है. ये सभी वो देश हैं, जहां से भारत सबसे ज्यादा कच्चे तेल का आयात करता है. ऐसे में तेल की आपूर्ति कम हो जाएगी. मांग और सप्लाई में अंतर से बाजार में तेल के दाम बढ़ेंगे और सीधा आमलोगों पर इसका असर देखने को मिलेगा.
भारत और वेस्ट एशिया के बीच ट्रेड करीब 195 अरब डॉलर का है. तेल के मामले में भारत दुनिया का सबसे बड़ा आयातक देश है और पिछले साल 137 अरब डॉलर तेल आयात किया था. उससे एक साल पहले 133.4 अरब डॉलर का आयात किया था.
मुद्रा भंडार पर भी असर
इसके अलावा, अगर ईरान-इजरायल के बीच लड़ाई होती है तो भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर भी असर होगा. केन्द्र ने लोकसभा में बताया था कि 2023 के दिसंबर तक यूएई, सऊदी अरब, ओमान, कतर, बहरीन और कुवैत से 120 अरब अमेरिकी डॉलर आया था. इन देशों में काफी संख्या में भारतीय कामगार रहते हैं, जो अपने घर पैसे भेजते रहते हैं. ऐसे में युद्ध के हालात में इन कामगारों को वहां छोड़कर वापस आना होगा और भारत के लिए ये भी एक नई चुनौती बन जाएगी.
इसके अलावा व्यापार पर भी असर होगा, क्योंकि इजरायल और ईरान तनाव का असर लाल सागर पर पड़ेगा. जहाजों का आवाजाही वहीं से होती है. अमेरिका से लेकर यूरोपी, अफ्रीका और पश्चिम एशिया तक से व्यापार के लिए भारत को इसी लाल सागर पर निर्भर रहना पड़ता है.
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