बढ़ रहा निवेशकों का भरोसा, जानें कैसे भारतीय कंपनियों ने विदेशी बाजार से जुटाए 58 हजार करोड़
आंकड़ों के मुताबिक, फाइनेंशियल ईयर 2024-2025 में सबसे बड़ा जारीकर्ता एग्जिम बैंक था. इसने 8643.68 करोड़ रुपये जुटाएं थे, जिसके बाद एसबीआई, श्रीराम फाइनेंस का स्थान रहा.

भरतीय बाजार की ओर लगातार विदेश निवेशकों को रुझान बना हुआ है. यही है वजह है कि हाल के दिनों में शेयर बाजार में भारी उछाल देखने को मिली और निवेशकों के नुकसान की भरपाई हो पायी. भारतीय कंपनियों ने हाल में समाप्त हुए वित्त वर्ष के दौरान विदेशी पूंजी बाजार से करीब 58 हजार करोड़ रुपये जुटाए. इसके चलते उच्च प्रतिफल वाली प्रतिभूतियों और हेजिंग लागत में वैश्विक निवेशकों की मजबूत मांग दिखी.
प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान देसी कंपनियों ने 57 हजार 815 करोड़ रुपये जुटाए, जो फाइनेंशियल ईयर 2024 के मुकाबले 28.5% ज्यादा है. भारतीय कंपनियों ने फाइनेंशियल ईंयर 2023 में इसके जरिए 15 हजार 592 करोड़ जुटाए.
बिजनेस स्टैंडर्ड की खबर के मुताबिक, इस बारे में रॉकफोर्ट फिनकैप के एलएलपी के संस्थापक और मैनेजमेंट पार्टनर वेंकटकृष्णन श्रीनिवासन ने कहा कि रणनीतिक, विनियामक बदलाव, विविधिकरण और वैश्विक तरलता की स्थिति में सुदार से भारतीय जारीकर्ता ऑफशोर बॉण्ड बाजारों में वापसी कर रहे हैं.
उन्होंने आगे बताया कि AAA रेटिंग वाली नवीकरणीय ऊर्जा कंपनियां और सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाएं लंबी अविध के वित्त पोषण के लिए अपटतीय बांड बाजारों का उपयोग जारी रखे हुए हैं, तो वहीं दूसरी तरफ घरेलू तरलता की कमी का सामना कर रहा है.
आंकड़ों के मुताबिक, फाइनेंशियल ईयर 2024-2025 में सबसे बड़ा जारीकर्ता एग्जिम बैंक था. इसने 8643.68 करोड़ रुपये जुटाएं थे, जिसके बाद एसबीआई, श्रीराम फाइनेंस का स्थान रहा.
एसबीआई ने नवंबर 2023 में एनबीएफसी को दिए जानेवाले बैंक ऋणमों के लिए जोखिम भार को बढ़ा दिया था, जिससे शैडो बकों के ट्रेडिशनल बैंक लोन से परे फाइनेंश सोर्स में विविधता लाने के लिए प्रेरित किया गया. इस विनियामकीय कदम से एनबीएफसी को घरेलू और विदेशी बॉण्ड बाजारों समेत विकल्पिक फाइनेंस के रास्ते तलाशने के लिए प्रेरित किया था.
भारतीय रिजर्व बैंक ने 2023 के नवंबर महीने में एनबीएफसी को दिए जाने वाले बैंक लोन के लिए जोखिम भार को बढ़ा दिया था. इसका परिणाम ये हुआ कि पारंपरिक बैंक लोन से परे शैडो बैंकों को अपने फाइनेंस सोर्स में विविधता लाने के लिए प्रेरित किया गया था. एनबीएफसी को इस विनियामकीय पहले ने विदेश बॉण्ड समेत घरेलू बाजारों में वित्त पोषण के रास्ते तलाशने पड़े थे.
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