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क्या है लीलावती अस्पताल और HDFC का विवाद? कर्ज को लेकर बैंक पर लगाए गए बड़े आरोप
Mumbai News: HDFC बैंक के प्रवक्ता ने कहा कि ट्रस्ट की तरफ से लगाए गए आरोप पूरी तरह से असत्य और दुर्भावनापूर्ण हैं और न तो बैंक और न ही इसके सीईओ ने कोई अवैध या अनैतिक गतिविधि की है.

Lilavati Hospital Trust Accuses HDFC Bank: मुंबई के प्रतिष्ठित लीलावती अस्पताल का प्रबंधन करने वाले ट्रस्ट ने एचडीएफसी बैंक के प्रबंध निदेशक (MD) और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) शशिधर जगदीशन पर नया हमला करते हुए बुधवार (11 जून) को कहा कि एक अकेले ऋण के बारे में किए गए बैंक के दावे असंगत हैं और बैंक ने कभी भी अदालत में कोई आधिकारिक ऋण खाता या समझौता पेश नहीं किया है.
क्या है पूरा मामला?
हालांकि, HDFC बैंक के प्रवक्ता ने कहा कि ट्रस्ट की तरफ से लगाए गए आरोप पूरी तरह से असत्य और दुर्भावनापूर्ण हैं और न तो बैंक और न ही इसके सीईओ ने कोई अवैध या अनैतिक गतिविधि की है. लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट ने बयान में कहा कि निजी क्षेत्र के बैंक के विभिन्न दस्तावेजों में ऋण राशि में भारी विसंगति है. शुरुआत में 4.8 करोड़ रुपये, फिर 450 करोड़ रुपये और अब 65.22 करोड़ रुपये के कर्ज का उल्लेख किया गया है.
ट्रस्ट के स्थायी ट्रस्टी प्रशांत मेहता ने सवाल उठाया कि देश का सबसे बड़ा बैंक एक ही ऋण के बारे में तीन अलग-अलग दावे कैसे कर सकता है, और इसे मूल समझौते से समर्थित क्यों नहीं कर सकता है.
एचडीएफसी बैंक से कभी कोई ऋण नहीं लिया
ट्रस्ट और मेहता ने यह भी दोहराया कि उन्होंने एचडीएफसी बैंक से कभी कोई ऋण नहीं लिया था और ये विसंगतियां उनके दावे का समर्थन करती हैं. ट्रस्ट ने यह आरोप भी लगाया कि बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी जगदीशन को चेतन मेहता समूह को ट्रस्ट पर अवैध नियंत्रण बनाए रखने में मदद करने के लिए 2.05 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई थी.
हालांकि, एचडीएफसी बैंक ने इन आरोपों का खंडन किया है. बैंक के प्रवक्ता ने कहा कि ट्रस्टियों की तरफ से लगाए गए आरोप ‘पूरी तरह से असत्य, दुर्भावनापूर्ण, झूठे और मानहानिकारक’ हैं और न तो बैंक और न ही इसके सीईओ ने कोई अवैध या अनैतिक गतिविधि की है. इसके साथ ही बैंक ने चेतावनी दी है कि वह ऐसे निराधार आरोप लगाने या प्रचारित करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करेगा.
Source: IOCL
























