ट्रंप की 100% टैरिफ लगाने की धमकी के बाद क्या बिना रुस से तेल खरीदे रह सकता है भारत?
भारतीय पेट्रेलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरुवार को कहा कि भारत अमेरिकी प्रतिबंधों की धमकियों से बेपरवाह है क्योंकि तेल बाजार में पर्याप्त आपूर्ति बनी हुई है.

Sanctions On Russian Oil: यूक्रेन-रूस जंग के बीच अमेरिका की तरफ से इसे खत्म करने के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा है. मॉस्को ने जब यूक्रेन पर साल 2022 में अटैक किया, उसके बाद पश्चिमी देशों ने जहां उसके ऊपर प्रतिबंध लगाए तो वहीं दूसरी तरफ उससे तेल की खरीदारी भी बंद कर दी. लेकिन, भारत ने इसके विपरीत रूस से क्रूड ऑयल की खरीदारी और बढ़ा दी.
भारत को रूस से मिले सस्ते कच्चे तेल ने उसे आर्थिक मोर्चे पर जबरदस्त राहत पहुंचाई. करीब 85 प्रतिशत तेल के आयात पर निर्भर रहने वाले भारत के लिए खाड़ी के देश तेल के प्रमुख सप्लायर रहे, लेकिन पिछले करीब तीन साल से इसकी जगह रुस ने ले ली.
लेकिन, अब रूस से सस्ता तेल खरीदने पर भारत और चीन को धमकियां दी जा रही हैं. अमेरिका की तरफ से कहा जा रहा है कि रूस के साथ जो भी देश तेल खरीदेगा उसके ऊपर 100 प्रतिशत का टैरिफ लगाया जाएगा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन-रूस जंग को खत्म करने के लिए लगातार रूस के प्रसिडेंट व्लादिमीर पुतिन पर इस तरह का दबाव बनाने में लगे हुए हैं.
सस्ता तेल पर लगेगा ब्रेक?
हालांकि, इसके लिए फिलहाल ट्रंप ने 50 दिनों की मोहलत दी है. उन्होंने कहा कि हम रूस से काफी नाराज हैं और अगर पचास दिनों के अगर यूक्रेन के साथ रूस का शांति समझौता नहीं हो पाता है तो हम बेहद ऊंची टैरिफ की दरें लगाने जा रहे हैं. टैरिफ ने इसे सेकेंडरी टैरिफ करार दिया. नाटो के सेक्रेटरी जनरल मार्क रुट्टे ने भी रूस के साथ इसी तरह से तेल खरीदने पर भारत-चीन और ब्राजील के ऊपर 100 प्रतिशत के सेकेंडरी टैरिफ लगाने की धमकी दी है. साथ ही, वे इन देशों से कहा कि वे राष्ट्रपति पुतिन को यूक्रेन के साथ शांति समझौता के लिए समझाएं.
दूसरी तरफ ट्रंप के समर्थक सीनेटर लिंडसे ग्राहम लगातार रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों के ऊपर टैरिफ लगाने वाले कानून Sanctioning Russia ACT of 2025 की वकालत कर रहे हैं. उन देशों के ऊपर 500 प्रतिशत टैरिफ लगाने की बात कर रहे हैं, जो देश रूसे से तेल, गैस, यूरेनियम या फिर पेट्रोकैमिकल खरीद रहे हैं.
क्या भारत बंद कर देगा रूस से तेल?
दरअसल, भारतीय पेट्रेलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरुवार को कहा कि भारत अमेरिकी प्रतिबंधों की धमकियों से बेपरवाह है क्योंकि तेल बाजार में पर्याप्त आपूर्ति बनी हुई है. इसके साथ ही पुरी ने कीमतों में गिरावट आने की उम्मीद की. सेकेंडरी टैरिफ के बारे में बात करते हुए पुरी ने कहा कि वैश्विक तेल का करीब 10 प्रतिशत हिस्सा रुस से आता है. ऐसे में अगर रूस को तेल की सप्लाई से बाहर किया जाता है तो इसकी कीमत 130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच जाएगी. उन्होंने कहा कि तुर्की, चीन, ब्राज़ील और यूरोपीय संघ (EU) ने भी रूस से तेल और गैस की खरीद जारी रखी है.
उन्होंने कहा कि इसके दो विकल्प है- पहला तो ये कि रूस पर प्रतिबंध के बाद दुनिया या तो फिर 10 प्रतिशत तेल और गैंस का उपभोग कम कर देगी. इसका मतलब ये होगा कि सर्दियों में हीटर नहीं चलेंगे, गर्मी में एसी नहीं चलेगा. कुछ यातायात को बंद करना पड़ेगा. या फिर जो बाकी के 90 प्रतिशत सप्लाई कर रहे देश हैं, उन्हें उसकी आपूर्ति बढ़ानी होगी. यानी इसका सीधा मतलब होगा कि तेल की कीमतें आसमान छूएंगी.
लेकिन, अगर रूस पर सचमुच अमेरिका की तरफ से ये प्रतिबंध लगाया जाता है तो फिर भारत को अपने पुराने पारंपरिक तेल सप्लायर वेस्ट एशियन देशों की तरफ रुख करना होगा. इसमें ब्राजील की अहम भूमिका हो सकती है.
सीआरईए के मुताबिक, भारत इस समय अपनी जरूरतों का करीब 33 प्रतिशत से ज्यादा रुस से आयात पर निर्भर है. रूस के तेल पर बैन के बाद चीन उससे 47 प्रतिशत, भारत 38 प्रतिशत, यूरोपीय यूनियन 6 प्रतिशत और तुर्की 6 प्रतिशत तेल खरीद रहा है. लेकिन साल 2022 में भारत में तेल के आयात का सिर्फ 2.1 प्रतिशत ही रूस से आता था. यानी तेल के आयात में ये उछाल वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान आया जब तेल आयात में 35.1 का इजाफा हुआ है.
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Source: IOCL






















