एक्सप्लोरर
विदेशी एयरलाइंस के हवाले नही होंगे ‘महाराजा’
ध्यान रहे कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एयर इंडिया के विनिवेश को सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दे दी है. इसके बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई में एक कमेटी बनायी गयी जो विनिवेश के तौर-तरीकों की रुपरेखा तय करेगा और फिर उसके सिफारिशो के आधार पर कैबिनेट अंतिम फैसला करेगा.

नई दिल्लीः मोदी सरकार एयर इंडिया को विदेशी एयरलाइंस के हवाले करने के पक्ष में नहीं दिखती. विदेशी निवेश पर ताजा स्पष्टीकरण में सरकार के रुख से तो यही लगता है सरकार ने सोमवार को विदेशी निवेश से जुड़े नियमों का एकीकृत रपट नए सिरे से जारी किया. हालांकि इसमें किसी भी क्षेत्र से जुड़े विदेशी निवेश की ना तो सीमा और ना ही शर्तों मे कोई बदलाव किया गया है, लेकिन विमानन के क्षेत्र में विदेशी निवेश से जुड़ी शर्तं में खास तौर पर एयर इंडिया का फिर से जिक्र किया जाना अहम है. विदेशी निवेश से जुड़े दिशानिर्देशो के मुताबिक, वैसे तो तय समय-सारणी के हिसाब से घरेलू रास्तों पर हवाई सेवा देने वाली विमानन कंपनी (शेडयूल डोमेस्टिक एयरलाइंस जैसे इंडिगो, जेट, स्पाइसजेट, गो, एयर इंडिया वगैरह) में 100 फीसदी तक विदेशी निवेश की इजाजत है, लेकिन विदेशी एयरलाइंस के लिए ये सीमा 49 फीसदी है और वो भी सरकार की मंजूरी के बाद ही. यहां पर रपट में साफ तौर पर लिखा गया है, ‘ये प्रावधान एयर इंडिया पर लागू नहीं होगा.‘ ध्यान रहे कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एयर इंडिया के विनिवेश को सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दे दी है. इसके बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई में एक कमेटी बनायी गयी जो विनिवेश के तौर-तरीकों की रुपरेखा तय करेगा और फिर उसके सिफारिशो के आधार पर कैबिनेट अंतिम फैसला करेगा. सरकारी सूत्र पहले भी ये साफ कर चुके हैं कि एयर इंडिया के साथ एक भावनात्मक लगाव जुड़ा है और ऐसे में इसे किसी भी विदेशी एयरलाइंस को बेचना सही नहीं होगा. दूसरी ओर घरेलू विमानन बाजार की सबसे बड़ी कंपनी इंडिगो ने एयर इंडिया में दिलचस्पी दिखायी है, वैसे उसकी नजर मुख्य रुप से एयर इंडिया औऱ अलायंस एयर के अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय पर है. इंडिगो के पहले टाटा समूह की भी एयर इंडिया में हिस्सा लेने की दिलचस्पी सुर्खियां बटोर चुकी है. लेकिन इस बात की पुष्टि अब तक न तो सरकार ने की है और न ही टाटा समूह ने. एयर इंडिया के बेड़े में 118 विमान है जबकि बाजार हिस्सेदारी महज 13 फीसदी वहीं 135 विमानों के साथ इंडिगो की बाजार हिस्सेदारी 41 फीसदी से भी ज्यादा है. एयर इंडिया का कुल घाटा 50 हजार करोड़ रुपये से भी ऊपर पहुंच चुका है. साथ ही कंपनी का कर्ज करीब 52 हजार करोड़ रुपये है. परिसंपत्ति की बात करें तो एयर इंडिया के पास करीब 20 हजार करोड़ रुपये के विमान हैं जबकि जमीन-भवन और दूसरी संपत्तियो को मिलाकर ये रकम 26 हजार करोड़ रुपये तक पहुंचती है. एयर इंडिया की बड़े परेशानी कर्ज को लेकर को है. इसीलिए चर्चा हो रही है कि विनिवेश के पहले आधा कर्ज माफ कर दिया जाए. गौरतलब है कि एयर इंडिया से सरकार के निकलने की चर्चा काफी समय से गरमायी रही और इसे तब बल मिला जब वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बयान दिया कि महज 14 फीसदी बाजार हिस्सेदारी के लिए 55.000 करोड़ रुपये खर्च करने का कोई औचित्य नहीं बनता. जेटली का ये बयान ऐसे समय में आय़ा जब नीति आयोग ने भी एयर इंडिया के विनिवेश के बारे में सिफारिश की और उनके बयान के कुछ ही दिनों के भीतर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एयर इडिया में सरकारी हिस्सेदारी बेचे जाने को हरी झंडी दिखा दी. इंडिगो ने एयर इंडिया में हिस्सेदारी खरीदने के लिए दिलचस्पी दिखायी केंद्र का फैसला, निजी हाथों में जाएगी Air India, टाटा ग्रुप ने दिखाई हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी! एयर इंडिया में हिस्सा बेचने के लिए सरकार की कवायद तेजः भेजा कैबिनेट नोट एयर इंडिया पर अपना नियंत्रण बनाए रख सकती है सरकार वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दिया एयर इंडिया को जल्द बेचने का संकेत
हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें ABP News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ लाइव पर पढ़ें बॉलीवुड, लाइफस्टाइल, बिजनेस और खेल जगत, से जुड़ी ख़बरें
और पढ़ें
टॉप हेडलाइंस
इंडिया
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड
विश्व
क्रिकेट
Source: IOCL























