कोरोना के झटके से रिकवरी के मामले में चीन की कंपनियां सबसे आगे, भारत पिछड़ा
फूड, ड्रिंक और वाहन निर्माता कंपनियां कोरोना वायरस संक्रमण से उबरने में सबसे आगे दिखी हैं वहीं होटल, रेस्तरां और कंज्यूमर आधारित सर्विस सेक्टर की कंपनियों की रिकवरी में देरी हो रही है.
कोविड की वजह से लगे आर्थिक झटकों से उबरने में चीन और अमेरिका की कंपनियां सबसे आगे रहेंगी. ग्लोबल आउटपुट में जो कमी है, उसकी बड़ी वजह चीन की फैक्टरियों में कोरोना की वजह से कम उत्पादन रही है. अमेरिकी इकनॉमी में भी कमोबेश यही स्थिति है. मार्केट इंटेलिजेंस प्रोवाइडर कंपनी IHS Markit ने अपने ताजा सर्वे में कहा है कि अमेरिका और चीन की तुलना में भारतीय कंपनियों की रिकवरी में ज्यादा समय लगेगा.
फूड, ड्रिंक और वाहन निर्माता कंपनियां रिकवरी में सबसे आगे
IHS Markit के कराए गए सर्वे के तहत दुनिया भर के 12 देशों की 6,650 कंपनियों के सर्व किए गए हैं. सर्वे के मुताबिक फूड, ड्रिंक और वाहन निर्माता कंपनियां कोरोना वायरस संक्रमण से उबरने में सबसे आगे दिखी हैं वहीं होटल, रेस्तरां और कंज्यूमर आधारित सर्विस सेक्टर की कंपनियों की रिकवरी में देरी हो रही है. सर्वे अक्टूबर के आखिर में हुआ था और यह कंपनियों के जवाब पर आधारित है. सर्वे में रिटेल और एनर्जी कंपनियां शामिल नहीं है. साथ ही सरकारी कंपनियों को भी शामिल नहीं किया गया है.
भारतीय कंपनियां रिकवरी के मामले में पिछड़ीं
सर्वे से पता चलता है कि चीन की कंपनियां कोरोना की वजह से पैदा आर्थिक अस्थिरता से उबरने में सबसे आगे रहेंगी. इसके बाद अमेरिकी कंपनियां इससे उबरने में सफल रहेंगी. भारतीय कंपनियां इस लिहाज से पीछे हैं. स्पेन,जापान, इटली और यूके भी भारत से पीछे हैं. संक्रमण की ऊंची दर और यूरोप में कोरोना की दूसरी लहर ने यहां की कंपनियों को रिकवरी की राह में पीछे दिया है.
दुनिया भर में 51 फीसदी कंपनियां अपने प्री-कोविड लेवल प्रोडक्शन के ऊंचे स्तर से पीछे चल रही हैं. बाकी 49 फीसदी में से सिर्फ 14 फीसदी ऐसी हैं, जहां उत्पादन पिछले उच्च स्तर से ऊपर चल रहे हैं. सिर्फ आठ फीसदी है, जिसने जून का ऊंचा स्तर हासिल किया है. सिर्फ 11 फीसदी कंपनियां एक साल के अंदर पूरी तरह रिकवरी करने की उम्मीद कर रही है. नौ फीसदी को इसमें 12 से 24 महीनें लग सकते हैं.चार फीसदी को लग रहा है कि उन्हें दो साल से ऊपर का वक्त लगेगा.
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