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Budget 2021: बजट से आम लोगों को हैं बड़ी उम्मीदें, कोरोना संकट के कारण सरकार के पास टैक्स कम करने के विकल्प कम
इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना संकट की वजह से राजस्व को हुए नुकसान को देखते हुए इस बार, टैक्स में कमी की गुंजाइश बहुत सीमित है. वहीं दूसरी और कोविड सेस भी लगाया जा सकता है. "कुल मिलाकर, कर की दरें ज्यादातर बरकरार रहने की ही उम्मीद है.
![Budget 2021: बजट से आम लोगों को हैं बड़ी उम्मीदें, कोरोना संकट के कारण सरकार के पास टैक्स कम करने के विकल्प कम Budget 2021: Common people have high expectations from the budget, the government has less choice due to Corona crisis Budget 2021: बजट से आम लोगों को हैं बड़ी उम्मीदें, कोरोना संकट के कारण सरकार के पास टैक्स कम करने के विकल्प कम](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2019/12/19133612/budget.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
कोविड 19 महामारी के बीच 1 फरवरी 2021 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण केंद्रीय बजट 2021-22 पेश करने जा रही हैं. ऐसे में हर सेक्टर आगामी बजट से काफी उम्मीदें लगाए हुए है. हालांकि, आर्थिक मंदी और राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की वजह से राजस्व को हुई हानि के कारण, सरकार के पास इस बार बजट में बहुत अधिक प्रोत्साहन देने की गुंजाइश सीमित है.
इस बार टैक्स में कमी की गुंजाइश सीमित
इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना संकट की वजह से राजस्व को हुए नुकसान को देखते हुए इस बार, टैक्स में कमी की गुंजाइश बहुत सीमित है. वहीं दूसरी और कोविड सेस भी लगाया जा सकता है. "कुल मिलाकर, टैक्स की दरें ज्यादातर बरकरार रहने की ही उम्मीद है. रिपोर्ट के मुताबिक सरकार आयकर को लेकर कई घोषणाएं कर सकती है, ताकि सरकार की वित्तिय जरूरतें भी पूरी हो जाएं.
टैक्स सेविंगि इंवेस्टेंट लिमिट्स में बढ़ोतरी- मोदी सरकार विभिन्न वर्गों - जैसे सेक्शन 80सी, सेक्शन 80सीसीडी (1B) आदि के तहत कर-बचत निवेश की सीमा बढ़ाकर आसानी से एक निश्चित दर पर दीर्घकालिक धन प्राप्त कर सकेगी. इससे आगे निवेश आधारित कटौती और व्यय आधारित राहत का अनुमान लगाया जा सकता है.
कोविड-संबंधी खर्चों पर कटौती- कोविद -19 से संक्रमित होने के बाद आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहे लोगों की मदद करने के लिए बजट में राहत दी जा सकती है.इसके तहत केंद्र सरकार द्वारा बजट में कोविड की वजह से अस्पताल में भर्ती होने वाले खर्चों को कर में कटौती के रूप में मंजूरी दी जा सकती है.
टैक्स-सेविंग बॉन्ड की एक नई श्रेणी- अपने संसाधनों को बढ़ाने के लिए सरकार बजट में नई श्रेणी की टैक्स सेविंग बॉन्ड लॉन्च कर सकती है. जैसे कि कोविड बॉन्ड. इन बॉन्ड्स पर सरकार द्वारा टैक्स डिडक्शन की सुविधा दी जा सकती है.
नॉन रेजिडेंट निवेशकों के लिए टैक्स इंसेंटिव- विभिन्न क्षेत्रों में विदेशी पूंजी को आकर्षित करने के लिए, सरकार कंप्लॉयंस को कम कर सकती है और अनिवासी निवेशकों के लिए आकर्षक इंसेंटिव्स की घोषणा कर सकती है.
रिपोर्ट के मुताबिक सरकार टैक्स स्लैब में भी कुछ बदलाव कर सकती है
वर्क फ्रॉम होम खर्चों पर टैक्स इंसेंटिव्स: कर्मचारियों को नियोक्ता द्वारा किए गए वर्क फ्रॉम होम (डब्ल्यूएफएच) अलाउंसेंज या रिइंबर्समेंट्स कर्मचारी के लिए स्पष्ट रूप से नॉन टैक्सेबल हो सकते हैं और इसे नियोक्ता के लिए एक बिजनेस खर्च के रूप दिखाने को मंजूरी मिल सकती है.
डेट फंड्स के एलटीसीजी होल्डिंग अवधि में कमी- सरकार बजट में डेट-ओरिएंटेड ग्रोथ म्यूचुअल फंड्स से हुए कैपिटल गेन्स को लेकर होल्डिंग पीरियड को कम करने पर विचार कर सकती है. बजट में इसे 36 महीने से घटाकर 12 महीना किया जा सकता है.
रीयल एस्टेट पर एलटीसीजी इंसेंटिव्स- रीयल एस्टेट एसेट्स पर लॉंग टर्म कैपिटल गेन्स रेट को 10 प्रतिशत किया जा सकता है. फिलाहल यह दर 20 फीसदी है. इसके साथ ही होल्डिंग पीरियड को भी 24 महीने से कम कर 12 महीने किया जा सकता है.
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