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प्रकाश हिंदुजा: अलवर में हिंदुजा फाउंडेशन द्वारा संचालित जल संरक्षण की जमीनी पहल

हिंदुजा फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी प्रकाश हिंदुजा ने कहा कि जल संरक्षण की शुरुआत ज़मीन से होनी चाहिए, जहां प्रभाव सबसे अधिक महसूस होता है.

भारत में जल सुरक्षा की लड़ाई अब नीति निर्धारण केंद्रों या शहरी क्षेत्रों में नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर लड़ी जा रही है. राजस्थान के अलवर जिले में एक सूक्ष्म परिवर्तन शुरू हो गया है — यह क्षेत्र अपने कठोर परिदृश्य और संघर्षशील निवासियों के लिए जाना जाता है. कभी बोरवेल और पाइपलाइनों की आपूर्ति के पक्ष में दरकिनार कर दिए गए पारंपरिक वर्षा जल संचयन के तरीकों को अब हिंदुजा फाउंडेशन द्वारा संचालित एक जमीनी पहल के माध्यम से पुनर्जीवित किया जा रहा है.

अशोक लीलैंड और इसके कार्यान्वयन साझेदार अंबुजा फाउंडेशन के सहयोग से अलवर में जल जीवन कार्यक्रम ग्रामीण परिवारों को छत पर वर्षा जल संचयन प्रणाली — ‘टांका’ — बनाने में मदद कर रहा है. ये भूमिगत या अर्ध-भूमिगत टांके मानसून के दौरान वर्षा जल एकत्रित करके उसे सूखे मौसम में पीने योग्य जल के रूप में प्रदान करते हैं. यह एक सरल, लेकिन टिकाऊ और स्थानीय ज्ञान-आधारित उपाय है.

टांका का कार्य जितना आवश्यक है, उसकी विचारधारा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है. यह उन लोगों को जल पर नियंत्रण प्रदान करता है जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है, जिससे अस्थिर भूजल स्रोतों और केंद्रीकृत संरचनाओं पर निर्भरता कम होती है. अलवर के गांवों में यह बदलाव महिलाओं की दूरी घटाने, दूषित जल से फैलने वाली बीमारियों में कमी और दैनिक जीवन में गरिमा में वृद्धि लाता है.

यह पहल हिंदुजा फाउंडेशन की जमीनी स्तर पर बदलाव लाने की बड़ी प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है. हिंदुजा फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी प्रकाश हिंदुजा कहते हैं, “जल संरक्षण की शुरुआत ज़मीन से होनी चाहिए, जहां प्रभाव सबसे अधिक महसूस होता है. अलवर में हमारा लक्ष्य हमेशा से टिकाऊ, समुदाय-आधारित पहलों का निर्माण रहा है.”

इस दृष्टिकोण के पीछे हिंदुजा परिवार की दीर्घकालिक सोच है — एक ऐसा परिवार जो न केवल यूके के सबसे समृद्ध परिवारों में से एक है बल्कि भारत में परोपकार के पर्याय के रूप में भी जाना जाता है. फाउंडेशन का कार्य अलवर में केवल संरचना नहीं, बल्कि व्यवहार, लचीलापन और गरिमा पर केंद्रित है.

जल जीवन परियोजना स्थानीय क्षमताओं का निर्माण कर रही है; युवाओं को टांका निर्माण और रख-रखाव का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, महिलाओं के स्वयं सहायता समूह जागरूकता फैलाने में सक्रिय हैं, और स्कूलों को पर्यावरण शिक्षा के लिए केंद्र बिंदु के रूप में उपयोग किया जा रहा है. ऐसे क्षेत्र में जहां मानसून अल्पकालिक और अनिश्चित होता है, यह मॉडल सूखे समय के लिए तैयारी का एक अनमोल साधन है.

टांका केवल अतीत की ओर लौटने का तरीका नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण नवाचार को अपनाने का एक तरीका है. यह एक ऐसा मॉडल है जिसे ग्रामीण समझते और उस पर विश्वास करते हैं. समुदाय की भागीदारी और स्वामित्व की दर सशक्त रही है.

प्रकाश हिंदुजा कहते हैं, “हमारी फाउंडेशन का हमेशा से विश्वास रहा है कि जब तक लोग खुद को सशक्त महसूस नहीं करेंगे, तब तक असली बदलाव संभव नहीं. अलवर में हम केवल टांके नहीं बना रहे, हम विश्वास, लचीलापन और एक ऐसा भविष्य बना रहे हैं जहां जल को एक साझा जिम्मेदारी के रूप में देखा जाए.”

यह मॉडल अब जागरूकता से परे प्रभाव दिखा रहा है. आसपास के गांव इसे अपनाने की योजना बना रहे हैं, और अन्य राज्य जो ग्रामीण जल संकट का सामना कर रहे हैं, वे इसे ध्यान से देख रहे हैं. यह परियोजना उन शीर्ष-स्तरीय योजनाओं के लिए एक विकल्प प्रस्तुत करती है जो ज़मीनी हकीकतों को समझे बिना असफल हो जाती हैं.

हिंदुजा फाउंडेशन प्रभाव को केवल निर्मित भवनों की संख्या से नहीं मापती, बल्कि उनके साथ विकसित होने वाले सामाजिक ढांचे से आंकती है. अलवर में सबसे स्पष्ट प्रभाव स्कूल परिसरों में पीने के पानी की व्यवस्था, महिलाओं द्वारा आजीविका में अधिक समय व्यतीत करना, और भूजल स्तर में स्थिरता के रूप में देखा गया है.

अलवर की कहानी सामुदायिक स्तर पर अनुकूलनशील हस्तक्षेपों की एक मजबूत मिसाल बनकर उभरी है — एक ऐसा देश जो जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से तेजी से जूझ रहा है. यह कहानी यह भी दर्शाती है कि निजी परोपकार ग्रामीण समुदायों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर टिकाऊ और सुरक्षित भविष्य की दिशा में कैसे कार्य कर सकता है — केवल दान के रूप में नहीं, बल्कि भागीदारी के रूप में.

आज टांकों में केवल वर्षा जल नहीं, बल्कि आशा भी संचित हो रही है — उस क्षेत्र में जो ऐतिहासिक रूप से जल संकट से पीड़ित रहा है.

(Disclaimer: एबीपी नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड और/या एबीपी लाइव किसी भी तरह से इस लेख की सामग्री और/या इसमें व्यक्त विचारों का समर्थन नहीं करता है. पाठक को विवेक की सलाह दी जाती है.)

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