एक्सप्लोरर

लोकसभा चुनाव परिणाम 2024

UTTAR PRADESH (80)
43
INDIA
36
NDA
01
OTH
MAHARASHTRA (48)
30
INDIA
17
NDA
01
OTH
WEST BENGAL (42)
29
TMC
12
BJP
01
INC
BIHAR (40)
30
NDA
09
INDIA
01
OTH
TAMIL NADU (39)
39
DMK+
00
AIADMK+
00
BJP+
00
NTK
KARNATAKA (28)
19
NDA
09
INC
00
OTH
MADHYA PRADESH (29)
29
BJP
00
INDIA
00
OTH
RAJASTHAN (25)
14
BJP
11
INDIA
00
OTH
DELHI (07)
07
NDA
00
INDIA
00
OTH
HARYANA (10)
05
INDIA
05
BJP
00
OTH
GUJARAT (26)
25
BJP
01
INDIA
00
OTH
(Source: ECI / CVoter)

वोटों की भिक्षा मांगने के लिए क्यों मजबूर हुए सीएम पद के दावेदार योगी और अखिलेश

उत्तरप्रदेश के चुनावी अखाड़े में ऐसा पहली बार होगा कि दो सियासी पहलवान आमने-सामने होंगे और जनता से वोट मांगने के लिए उनकी मिन्नतें करते हुए मीडिया के जरिये समूचे देश को दिखाई भी देंगे.  पांच साल पहले यूपी की सत्ता पर काबिज़ होने वाले योगी आदित्यनाथ ने न तो विधानसभा का चुनाव लड़ा था और न ही उससे पहले साल 2012 में सूबे के मुख्यमंत्री बनने वाले अखिलेश यादव ही जनता-दरबार में वोट मांगने गए थे.  अब इसे सियासत की मजबूरी और वक़्त का तकाज़ा नहीं तो और क्या समझा जायेगा कि इस बार दोनों ही जनता की अदालत में खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित करने के लिए उनके बीच जाकर वोटों की फरियाद मांग रहे होंगे.

हमारे देश के लोकतंत्र की सबसे बड़ी खूबी यही है कि एक बार तो पिछले दरवाजे से कोई नेता सत्ता की मंजिल तक पहुंच सकता है लेकिन दोबारा उसे हासिल करने के लिए उसे जनता के बीच जाना ही पड़ता है,जो सही मायने में उसकी 'भाग्य विधाता' होती है. दरअसल,अखिलेश यादव और उसके बाद योगी आदित्यनाथ ने यूपी का सिंहासन संभालने के लिए सबसे 'शार्ट कट' रास्ता अपनाते हुए प्रदेश की विधान परिषद का सदस्य बनने का सियासी दिमाग चलाया, ताकि चुनाव लड़ने के लिए उन्हें लोगों के बीच जाकर वोटों की भीख न मांगनी पड़े. उस लिहाज़ से देखें,तो पिछले एक दशक में ये पहल ऐसा अनूठा चुनाव होगा,जो सूबे के दो दिग्गज नेताओं को लोगों के हरेक वोट की ताकत का भी अहसास करायेगा.

हालांकि योगी आदित्यनाथ हो या अखिलेश,दोनों ने ही अपने लिए सबसे सुरक्षित सीट को चुना है,ताकि चुनाव जीतने में रत्ती भर भी रिस्क न हो. पिछले कई दिनों से सीएम योगी के अयोध्या,मथुरा या फिर काशी की किसी सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा सुर्खियों में थी लेकिन उन्होंने अपने लिए चुनी सबसे सुरक्षित सीट-गोरखपुर सदर. ज़ाहिर है कि वे गोरखपुर से पांच बार लोकसभा सदस्य बन चुके हैं,लिहाज़ा पूरे प्रदेश में उनके लिए अपने इलाके से ज्यादा कोई और जगह सुरक्षित हो ही नहीं सकती थी.

पर,योगी के चुनाव लड़ने का ऐलान करते ही उन्हें टक्कर दे रहे अखिलेश यादव पर भी ये दबाव आ गया कि अब चुनांवी अखाड़े में कूदने के सिवा कोई और चारा नहीं है. सो उन्होंने भी खुद के लिए ऐसी सीट चुनी,जो पिछले कई बरसों से मुलायम-परिवार का मजबूत गढ़ मानी जाती है. वैसे अगर अखिलेश चाहते तो,वह आजमगढ़ की किसी सीट से भी चुनाव लड़कर अपनी किस्मत आजमा सकते थे लेकिन उन्हें मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट ही सबसे ज्यादा रास आई. इसकी वजह भी है क्योंकि करहल समाजवादी पार्टी का गढ़ इसलिये भी है क्योंकि यहां यादवों की संख्या सबसे अधिक है,इसलिये ये सीट अखिलेश के लिए बेहद सुरक्षित मानी जा रही है.

दरअसल,करहल विधानसभा सैफई के करीब है, जहां मुलायम सिंह की पुश्तैनी जड़ें हैं और वहां आज भी उनका जबरदस्त प्रभाव है. हालांकि इस सीट पर 2007 से ही समाजवादी पार्टी का कब्जा है.  साल 2017 के चुनाव में मोदी-योगी की लहर के बावजूद करहल सीट पर सपा ने अपना कब्ज़ा बरकरार रखते हुए कुल पोल वोट का 49. 81 फीसदी वोट हासिल किया था. जबकि बीजेपी को 31. 45 फीसदी और बीएसपी ने 14. 18 फीसदी वोट हासिल किए थे.  हालांकि इस सीट का चुनावी इतिहास बताता है कि

साल 1957 से लेकर अब तक ये सीट जनसंघ,जनता पार्टी या बीजेपी के लिए मुफ़ीद साबित नहीं हुई है. यहां से सिर्फ एक बार साल 2002 में ही बीजेपी को जीत नसीब हुई है,न उससे पहले और न ही उसके बाद. लेकिन यूपी की राजनीति पर बारीकी से नज़र रखने वाले विश्लेषक मानते हैं कि इस बहाने अखिलेश ने अपने दो मकसद साधे हैं. एक तो ये कि खुद के लिए सुरक्षित सीट से चुनाव लड़कर वे बाकी हिस्सों में प्रचार करने के लिए फारिग हो जाएंगे क्योंकि उनकी सीट पर तीसरे चरण में मतदान होना है. जबकि वहीं  सीएम योगी की सीट पर छठें चरण में वोट डाले जाएंगे. इसलिये अखिलेश तीसरे चरण में ही मुक्त होकर पूर्वांचल में अपनी पूरी ताकत झोकेंगें.  दूसरी बड़ी वजह ये भी है कि अगर वे खुद के लिए सेफ सीट न तलाशते,तो खुद अपने ही चुनाव-प्रचार के लिए वक्त देना पड़ता.  ऐसी सूरत में दूसरे इलाकों की अनदेखी हो सकती थी. उस लिहाज से भी अखिलेश के इस फैसले को सियासी कसौटी पर सही माना जा रहा है.

चूंकि गोरखपुर भी पूर्वांचल का ही हिस्सा है,जहां से पिछली बार बीजेपी को झोली भरकर सीटें मिली थीं.  लेकिन इस बार बीजेपी को अपने लिए जमीनी हालात उतने अनुकूल नहीं दिख रहे हैं.  क्योंकि अखिलेश ने भी वहां पूरा दमखम लगाते हुए अपने पुराने वोट बैंक को फिर से साथ जोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन होने और स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे नेताओं साथ एआ जाने के बाद उनके हौंसले और भी बुलंद हुए हैं. यही वजह है कि बीजेपी नेतृत्व ने योगी आदित्यनाथ को अयोध्या,मथुरा या काशी से लड़ाने का फैसला लेने की गलती नहीं की क्योंकि इन सीटों से तो बीजेपी के नाम पर कोई भी उम्मीदवार जीत जाएगा. लेकिन रणनीति यही बनाई गई कि अगर योगी अपने गढ़ यानी गोरखपुर से ही चुनाव लड़ेंगे,तो उसका प्रभाव आसपास की तकरीबन तीन दर्जन सीटों पर पड़ेगा.

वैसे भी यूपी के चुनावी इतिहास पर गौर करें,तो पूर्वांचल की 130 सीटों के नतीजे ही ये तय करते आये हैं कि लखनऊ की गद्दी किसे मिलेगी.  मुलायम सिंह यादव,कल्याण सिंह,मायावती और अखिलेश यादव से लेकर योगी आदित्यनाथ तक ने पूर्वांचल से मिली ताकत के दम पर ही यूपी का राजपाट संभाला है. बेशक इस बार भी वही पूर्वांचल ये तय करेगा कि लखनऊ के दरबार में दोबारा भगवा लहरायेगा या फिर साइकिल वहां तक पहुंचेगी?

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Defamation Case: आज कोर्ट में पेश होंगे राहुल गांधी, सुबह-सुबह बेंगलुरु के लिए हो गए रवाना, जानें क्या है मामला
आज कोर्ट में पेश होंगे राहुल गांधी, सुबह-सुबह बेंगलुरु के लिए हो गए रवाना, जानें क्या है मामला
फर्जी आधार कार्ड से संसद भवन में घुसने की कोशिश, तीन गिरफ्तार
फर्जी आधार कार्ड से संसद भवन में घुसने की कोशिश, तीन गिरफ्तार
Flashback Friday: 'हम पांच' कैसे बना एकता कपूर की लाइफ का टर्निंग पॉइंट, जानें इंडियन डेली सोप्स की रानी से जुड़ी कमाल की बातें
जानें एकता कपूर कैसे बन गईं इंडियन डेली सोप्स की रानी, टीवी शो 'हम पांच' से चमका सितारा
Grapes In Pregnancy: प्रेगनेंसी में भूलकर भी न खाएं ये खट्टे-मीठे फल, बढ़ सकती हैं दिक्कतें
प्रेगनेंसी में भूलकर भी न खाएं ये खट्टे-मीठे फल, बढ़ सकती हैं दिक्कतें
metaverse

वीडियोज

Breaking News: किसका साथ देंगे Chandrashekhar Azad, खुद बता दिया | UP Politics'मुझे बदनाम किया गया..'- Chirag Paswan ने किस पर लगाया इतना बड़ा आरोप | Breaking NewsBhagya Ki Baat 7 June 2024: आपकी राशि का किस्मत कनेक्शन ! जानिए आपके साथ आज क्या होगा अच्छाBreaking News : NDA के संसदीय दल की बैठक आज, मोदी को संसदीय दल का नेता चुना जाएगा

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Defamation Case: आज कोर्ट में पेश होंगे राहुल गांधी, सुबह-सुबह बेंगलुरु के लिए हो गए रवाना, जानें क्या है मामला
आज कोर्ट में पेश होंगे राहुल गांधी, सुबह-सुबह बेंगलुरु के लिए हो गए रवाना, जानें क्या है मामला
फर्जी आधार कार्ड से संसद भवन में घुसने की कोशिश, तीन गिरफ्तार
फर्जी आधार कार्ड से संसद भवन में घुसने की कोशिश, तीन गिरफ्तार
Flashback Friday: 'हम पांच' कैसे बना एकता कपूर की लाइफ का टर्निंग पॉइंट, जानें इंडियन डेली सोप्स की रानी से जुड़ी कमाल की बातें
जानें एकता कपूर कैसे बन गईं इंडियन डेली सोप्स की रानी, टीवी शो 'हम पांच' से चमका सितारा
Grapes In Pregnancy: प्रेगनेंसी में भूलकर भी न खाएं ये खट्टे-मीठे फल, बढ़ सकती हैं दिक्कतें
प्रेगनेंसी में भूलकर भी न खाएं ये खट्टे-मीठे फल, बढ़ सकती हैं दिक्कतें
क्या इंडिया गठबंधन बनाएगी सरकार? सुप्रिया सुले ने दिया जवाब, भाभी सुनेत्रा पवार के लिए कही ये बात
क्या इंडिया गठबंधन बनाएगी सरकार? सुप्रिया सुले ने दिया जवाब, सुनेत्रा पवार के लिए कही ये बात
Relationship Tips: पति और पत्नी जरूर रखें इन तीन बातों का ध्यान, वरना टूट सकता है आपका भी रिश्ता
पति और पत्नी जरूर रखें इन तीन बातों का ध्यान, वरना टूट सकता है आपका भी रिश्ता
Online Frauds in Summer: अलर्ट! एसी रिपेयर से लेकर बिजली बिल तक, गर्मियों में खूब होते हैं ये ऑनलाइन फ्रॉड्स
अलर्ट! एसी रिपेयर से लेकर बिजली बिल तक, गर्मियों में खूब होते हैं ये ऑनलाइन फ्रॉड्स
Lok Sabha Election Results 2024: फिर पलटेंगे नीतीश कुमार? बोले RJD वाले- I.N.D.I.A. को JDU दे सकती है सपोर्ट, बिहार के मंत्री ने दिया यह जवाब
फिर पलटेंगे नीतीश? बोले RJD वाले- I.N.D.I.A. को JDU दे सकती है सपोर्ट, मंत्री ने दिया यह जवाब
Embed widget