एक्सप्लोरर

यूपी चुनाव: असली मुद्दों से भटकता विपक्ष ही दे रहा है योगी सरकार को नई ताकत?

लोकतंत्र में विपक्ष का क्या महत्व होता है और जनता के प्रति उसकी क्या जवाबदेही होती है, इसे समझाते हुए समाजवाद के प्रखर नेता राम मनोहर लोहिया ने एक बार लोकसभा में कहा था, ''जिस दिन सड़क खामोश हो जाएगी, उस दिन ये संसद आवारा हो जायेगी." लेकिन लगता है कि लोहिया के शिष्य कहलाने वाले और समाजवादी पार्टी बनाने वाले मुलायम सिंह यादव की अगली पीढ़ी ने शायद उस बात से कोई नसीहत नहीं ली और न ही उसे ये अहसास है कि सत्ता से हटने के बाद मजबूत व आक्रामक विपक्ष की भूमिका को किस तरह से अंज़ाम दिया जाता है.

देश का सबसे बड़ा राजनीतिक सूबा उत्तर प्रदेश है जो दिल्ली के सिंहासन तक पहुंचने का रास्ता आसान तो बना देता है लेकिन इस मजबूत किले को अगले पांच साल तक बचाये रखना, न तो चुटकी औऱ न ही ताली बजाने जैसा कोई खेल है. बेशक राज्य से लेकर केंद्र तक एक ही पार्टी की यानी डबल इंजन वाली सरकार हो लेकिन दोबारा पांच साल का राज हासिल करना कोई ऐसी सौगात नहीं होती, जिसे इतनी आसानी से जनता किसी की झोली में डाल देती है.

अगले तीन-चार महीने के भीतर यूपी की जनता ये तय करने वाली है कि वह अगले पांच साल के लिए किसे अपना 'भाग्यविधाता' बनाना चाहती है. ठंड का आगाज़ होने के बावजूद चुनावी गर्मी की तपिश को पूरे प्रदेश में महसूस किया जा सकता है लेकिन हैरानी की बात ये है कि इस चुनाव में जनता के सरोकार से जुड़े असली मुद्दे गायब हैं. जो पार्टी सत्ता में है, वह तो अपने किये कामों की उपलब्धियों को ही अक्सर मुद्दा बनाती रही हैं और बात अगर बीजेपी की हो, तो जाहिर है कि राष्ट्रवाद व हिंदुत्व जैसे राष्ट्रीय विषय उसकी प्राथमिकता में सर्वोच्च स्थान पर रहते हैं. लेकिन, अगर विपक्षी दलों के पूरे चुनावी-अभियान पर नज़र डालें, तो वे भी जनहित के मुद्दों को उठाकर सरकार मो घेरने और लोगों के बीच अपनी बेहतर इमेज बनाने में नाकाम होते दिख रहे हैं.

लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका आम आदमी की आवाज़ बनने की होती है और उसकी तकलीफों के साथ खुद को जोड़ते हुए उसे दमदार तरीके से उजागर करते हुए सत्तारुढ़ पार्टी को कटघरे में खड़ा करने की होती है. बीजेपी ने 1980 से लेकर 1998 तक और फिर 2004 से लेकर 2014 तक मुख्य विपक्षी दल होने के नाते इस भूमिका को न सिर्फ बखूबी निभाया, बल्कि लोगों का इतना भरोसा भी हासिल किया, जिसकी बदौलत वो आज केंद्र की सत्ता में है.

यूपी में बीजेपी का मुख्य मुकाबला सपा से ही होता दिख रहा है लेकिन अखिलेश यादव ने अपने सलाहकारों के जरिये शायद ये होम वर्क नहीं करवाया कि यूपी के आम आदमी को आज सबसे अधिक किसकी दरकार है और उसमें मौजूदा सरकार किस हद तक सफल हुई है. बेरोज़गारी को लेकर सरकार के दावों और जमीनी हकीकत में कितना फर्क है, ये भाषणों से नहीं बल्कि सरकारी आंकड़ों की जुबानी ही बताना पड़ता है. महंगाई सिर्फ यूपी के लिए नहीं, पूरे देश के लिए है लेकिन इसके बढ़ने की वजह और इस पर लगाम कसने के तौर-तरीके भी लोगों को बताना विपक्षी दल का दायित्व बनता है. पांच साल पहले तक यूपी में कानून-व्यवस्था एक बड़ा मुद्दा था लेकिन योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह से गुंडाराज को खत्म करने में कामयाबी पाई है, अब वो सरकार की उपलब्धि बन गई है. लिहाज़ा, उस मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए विपक्षी दलों के तरकश में कोई तीर नहीं बचा है.

जहां तक कांग्रेस का सवाल है, तो लखिमपुर खीरी कांड से आगे उसके पास ऐसा कोई खास मुद्दा ही नहीं है जिसके आधार पर वो लोगों के दिलों में अपनी जगह बना सके. सपा और कांग्रेस दोनों को ही किसान आंदोलन का एक बड़ा आसरा था लेकिन तीनो कृषि कानूनों को केंद्र सरकार द्वारा वापस लिए जाने के बाद अब उसका भी इतना असर नहीं होगा कि उसे बीजेपी के खिलाफ प्रभावी मुद्दा बनाया जा सके.

दरअसल, तमाम तरह के चुनावी वादे करने के साथ ही विपक्षी दलों को अपना वह रोड मैप लोगों के सामने रखने की जरूरत है कि सत्ता में आने के बाद वे किस तरह से रोजगार के नए अवसर पैदा करेंगे. हर साल दस-बीस लाख नौकरियां देने की जुबानी बातें करना बेहद आसान है लेकिन इसे हक़ीक़त में बदलने का भरोसा जीतने से ही वोटों की बारिश हुआ करती है. देखना है कि वो भरोसा दोबारा योगी आदित्यनाथ जीत पायेंगे या अखिलेश यादव की जुबान कोई कमाल कर दिखायेगी?

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

NEET UG 2024: 'मैं लेता हूं नैतिक जिम्मेदारी,' NEET पेपर लीक पर मची रार तो शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कही ये बात
'मैं लेता हूं नैतिक जिम्मेदारी,' NEET पेपर लीक पर मची रार तो शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कही ये बात
Ishq Vishq Rebound Screening: शिमरी ड्रेस में गजब की दिखीं पश्मीना रोशन, रेड आउटफिट में जचीं पलक तिवारी! देखें की तस्वीरें
शिमरी ड्रेस में गजब की दिखीं पश्मीना रोशन, रेड आउटफिट में जचीं पलक तिवारी! देखें 'इश्क विश्क रीबाउंड' स्क्रीनिंग की तस्वीरें
NEET Paper Leak: नीट पेपर लीक मामले में EOU की एक टीम दिल्ली रवाना, क्या कुछ होगा?
नीट पेपर लीक मामले में EOU की एक टीम दिल्ली रवाना, क्या कुछ होगा?
मक्का में आसमान से बरस रही आग, भीषण गर्मी के कारण अब तक 1000 से ज्यादा हज यात्रियों की गई जान
मक्का में आसमान से बरस रही आग, भीषण गर्मी के कारण अब तक 1000 से ज्यादा हज यात्रियों की गई जान
metaverse

वीडियोज

NEET-NET Paper Leak: नेट हो या नीट..छात्रों की मांग पेपर लीक ना हो रिपीट | ABP NewsArvind Kejriwal Gets Bail: अरविंद केजरीवाल को मिली बेल, राउज एवेन्यू कोर्ट ने दी जमानत | BreakingSuspense: Assam में फिर से बारिश से हाहाकार..दांव पर लगी 2 लाख जिंदगियां | ABP NewsHeatwave Alert: श्मशान में लाशों की कतार..कोरोना के बाद गर्मी से हो रही इतनी मौतें | ABP News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
NEET UG 2024: 'मैं लेता हूं नैतिक जिम्मेदारी,' NEET पेपर लीक पर मची रार तो शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कही ये बात
'मैं लेता हूं नैतिक जिम्मेदारी,' NEET पेपर लीक पर मची रार तो शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कही ये बात
Ishq Vishq Rebound Screening: शिमरी ड्रेस में गजब की दिखीं पश्मीना रोशन, रेड आउटफिट में जचीं पलक तिवारी! देखें की तस्वीरें
शिमरी ड्रेस में गजब की दिखीं पश्मीना रोशन, रेड आउटफिट में जचीं पलक तिवारी! देखें 'इश्क विश्क रीबाउंड' स्क्रीनिंग की तस्वीरें
NEET Paper Leak: नीट पेपर लीक मामले में EOU की एक टीम दिल्ली रवाना, क्या कुछ होगा?
नीट पेपर लीक मामले में EOU की एक टीम दिल्ली रवाना, क्या कुछ होगा?
मक्का में आसमान से बरस रही आग, भीषण गर्मी के कारण अब तक 1000 से ज्यादा हज यात्रियों की गई जान
मक्का में आसमान से बरस रही आग, भीषण गर्मी के कारण अब तक 1000 से ज्यादा हज यात्रियों की गई जान
राजस्थान में चिंकारा हिरणों का गोली मारकर किया शिकार, पशु-प्रेमियों में भारी रोष
राजस्थान में चिंकारा हिरणों का गोली मारकर किया शिकार, पशु-प्रेमियों में भारी रोष
Guess Who: जहां पिता करते थे टेबल साफ...स्टार बनने के बाद बेटे ने खरीद डाली तीनों बिल्डिंग, पहचाना?
जहां पिता करते थे टेबल साफ,स्टार बनने के बाद बेटे ने खरीद डाली तीनों बिल्डिंग
90's की 'सोन परी' याद हैं? बच्चों क्या बड़ों में भी था इनका क्रेज, जानें आज कहां हैं और क्या कर रही?
90's की 'सोन परी' याद हैं? जानें आज कहां हैं और क्या कर रहीं?
CM अरविंद केजरीवाल को जमानत मिलने के बाद पूरी होगी ये प्रक्रिया, तब जेल से आएंगे बाहर
CM अरविंद केजरीवाल को जमानत मिलने के बाद पूरी होगी ये प्रक्रिया, तब जेल से आएंगे बाहर
Embed widget