एक्सप्लोरर

मंदिरों की सूची बनाकर नेटवर्क बनाने की मोहन भागवत की बात नयी नहीं, 60 के दशक में राम मनोहर लोहिया ने भी दिए थे सुझाव

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार 22 जुलाई को बनारस के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में इंटरनेशनल टेंपल्स कन्वेंशन और एक्सपो का उद्घाटन किया. उसी समय अपने संबोधन में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हिंदुओं को अपने आसपास के छोटे-बड़े मंदिरों की सूची बनानी चाहिए और एक-दूसरे से संपर्क स्थापित रखना चाहिए. इसमें बड़े मंदिरों को भी आगे बढ़कर उनका हाथ थामना चाहिए. संघ प्रमुख के बयान के बाद से ही इस पर राजनीतिक चर्चा शुरू हो गयी है और लोग अपने-अपने हिसाब से इसका मतलब और संदर्भ खोज रहे हैं. 

नया नहीं है संघ प्रमुख का बयान

संघ प्रमुख के इस बयान के पीछे 2024 के चुनाव के पीछे की रणनीति हो भी सकती है और नहीं भी. जिस तरह का उनका बयान मंदिरों को लेकर है, ऐसी मांग कोई पहली बार नहीं की गई है. 1960 के दशक में तो खुद राम मनोहर लोहिया ने यह मांग की थी. उन्होंने कहा था कि तीर्थों को साफ करो, हिंदू मंदिरों को साफ करो, नदियों को साफ करो. संघ को चूंकि हिंदुत्व और हिंदुओं से संबंधित माना जाता है, तो यह कोई नयी रणनीति हो सकती है, लेकिन इसमें कोई बहुत नयी बात नहीं है.

भारत में दो तरह के मंदिर हैं, खासकर उत्तर भारत में अगर देखें तो. काशी का विश्वनाथ मंदिर और उज्जैन का महाकाल मंदिर इसका अपवाद है, जहां सरकारी प्रशासक की नियुक्ति हो चुकी है, देखभाल हो रही है, लेकिन अधिकांश मंदिर जो हैं, वे या तो ट्रस्ट के हैं, समाज के हैं या फिर गांव-ग्राम के हैं. कहीं न कहीं इन मंदिरों के जरिए हिंदुत्ववादी विचारधारा को इकट्ठा करने की संघ प्रमुख की कोशिश हो सकती है. यह तो लोहिया जी ने भी कहा था, संघ प्रमुख भी उसी राह पर हैं तो कहा जा सकता है कि यह एक अच्छी पहल ही है. 

मोदी के लिए जनादेश जुटाने का प्रयास!

ऐसा सोचा जा सकता है कि यह प्रयास मोदी के लिए तीसरी बार जनादेश मांगने हेतु वोट जुटाने के लिए किया जा रहा है. हालांकि, आप संघ के किसी भी नेता-कार्यकर्ता से बात करेंगे तो वह इनकार कर देंगे, लेकिन यह एक तरीका हो सकता है, हिंदू वोटों को एकजुट करने का.

अब संघ किस तरह की फील्डिंग सजाता है और भाजपा उस पर किस तरह की बैटिंग-फील्डिंग करती है, यह देखने वाली बात होगी. चुनाव से पहले किसी भी तबके से इस तरह के बयान अगर आते हैं, वह केवल संघ प्रमुख की बात नहीं है, चाहे वह मस्जिदों से आए, चर्च से आए या किसी भी धार्मिक तबके से आए, उसको राजनीति से तो जोड़ा ही जाएगा.

हमारे जीवन में, समाज में, राजनीति इस तरह पैबस्त है कि उसके बिना किसी बयान की हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं, हालांकि यह केवल राजनीतिक बयान नहीं है. यह मंदिरों को एक तौर पर इकट्ठा करने की कोशिश है. मस्जिदों और चर्चों से जैसे मुस्लिम और ईसाई समाज चालित होता है, उस तरह मंदिरों से हिंदू नहीं होता. मंदिरों में जाना बिल्कुल यादृच्छिक है. यानी, आप हिंदू हैं तो मंदिर जाएं या न जाएं, यह आपके ऊपर है. वह अनिवार्य नहीं है.

फिर, मध्यकाल में आप देखें कि मंदिरों पर जो हमले हुए, वह इसी कारण हुए कि वे धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों के केंद्र होते थे. आरएसएस हिंदुत्ववादी दर्शन को संपुष्ट करना ही चाहता है, इसलिए मंदिरों को भी वह संगठित करना चाहता है, कर रहा है. हां, चुनाव के पहले इस तरह का बयान आ रहा है तो इसमें राजनीति तो देखी जाएगी ही, भले ही उसमें राजनीति हो या न हो. 

लचीला और परिवर्तनकामी हुआ है संघ

संघ, खास तौर पर मोहन भागवत की अगुआई में, लचीला हुआ है. पहले विधर्मियों की बात होती थी, विधर्मियों के आक्रमण से जूझने या उन पर आक्रमण करने की बात होती थी. अभी एक साल पहले संघ प्रमुख यह कह चुके हैं कि भारत में रहने वाले सभी लोगों का जीन एक है, गुणसूत्र एक है.

संघ भी अब बदल रहा है. कई बार इसी कारण संघ के पुराने कार्यकर्ताओं में भ्रम या संदेह की स्थिति भी आती है, तनाव भी होता है. पुराने कार्यकर्ता यह कहते हैं कि एक ट्रेनिंग में तो प्रतिकार की बात होती है, दूसरी में कह दिया जाता है कि सब एक ही हैं. हो सकता है, समंजन और नियोजन का यह संघ का प्रयास हो.

हालांकि, वीर सावरकर ने तो इनसे भी पहले यह कह दिया था कि भारत में रहने वाले सभी हिंदू हैं. कोरोना काल में जब पूरी दुनिया में बंदी हुई थी, तो हरेक समुदाय अपने मजहबी या रिलिजस स्थलों की देखभाल कर रहा था, लेकिन हिंदू या सनातनी समाज ने मंदिरों पर कोई खास ध्यान नहीं दिया था. पुजारी चूंकि अधिकांशतः सवर्ण होते हैं, उन पर वर्तमान व्यवस्था में वैसे भी कोई ध्यान देनेवाला है नहीं. ऐसे माहौल में विश्व हिंदू परिषद ने ही उनकी याद दिलाई और जहां तक संभव हो सका, राहत सामग्री भी पहुंचाई.

जहां तक राजनीति की बात है, तो सोचना चाहिए कि जो हिंदू मानस है, उसमें ऐसे बयानों से कोई खास फर्क नहीं पड़ता है. हमें यह भी सोचना चाहिए. हालांकि, यह कोशिश है इनको रिझाने की. जहां तक विधर्मियों की बात है तो संघ प्रमुख कह ही चुके हैं कि सबका जीन, सबका गुणसूत्र एक ही है. तो, यह बयान सिर्फ राजनीतिक है, ऐसा भी नहीं मानना चाहिए. 

आपको याद होगा कि 2018 में संघ का तीन दिवसीय सम्मेलन हुआ था. उसमें 'समाज की तरफ से आए' और 'समाज को' पूछे जानेवाले सवालों पर चर्चा और मोहन भागवत का व्याख्यान हुआ था. तीसरे दिन सवाल और जवाब का सत्र था. उसी में एक सवाल के दौरान उन्होंने यह कहा था कि संघ को जड़ संगठन न समझा जाए, संघ भी समाज की तत्कालीन परिस्थितियों के हिसाब से अपनी चीजें तय करता है और बदलता है.

वैचारिक संघर्ष एक अलग बात है, लेकिन अब सशस्त्र संघर्ष की बात तो कोई संगठन कर भी नहीं सकता. मंदिरों को साथ लाना हो, या उनकी सूची बनानी हो, यह तो सीधे तौर पर हिंदुत्ववादी एजेंडे को ही आगे बढ़ाना है. इस बयान को भी इसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए. कहना चाहिए कि हिंदुत्व की बात करते हुए भी बाकी के साथ संतुलन साधना ही मोहन भागवत के इस बयान का सार है. 

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Lok Sabha Elections 2024: आठ राज्यों की 49 सीटों पर थमा चुनाव प्रचार, पांचवें चरण में इन दिग्गजों की किस्मत दांव पर
आठ राज्यों की 49 सीटों पर थमा चुनाव प्रचार, पांचवें चरण में इन दिग्गजों की किस्मत दांव पर
CJI DY Chandrachud: 'आप सुप्रीम कोर्ट के राहुल द्रविड़', CJI चंद्रचूड़ ने किस जस्टिस को बताया मिस्टर डिपेंडेबल
'आप सुप्रीम कोर्ट के राहुल द्रविड़', CJI चंद्रचूड़ ने किस जस्टिस को बताया मिस्टर डिपेंडेबल
Maharashtra: 'उन्हें सावरकर नहीं औरंगजेब...,' लोकसभा चुनाव के बीच CM एकनाथ शिंदे का विपक्ष पर हमला
'उन्हें सावरकर नहीं औरंगजेब...,' लोकसभा चुनाव के बीच CM एकनाथ शिंदे का विपक्ष पर हमला
Chandu Champion Trailer: कार्तिक आर्यन की फिल्म 'चंदू चैंपियन' का दमदार ट्रेलर रिलीज, देशभक्ति से भरपूर होगी फिल्म
कार्तिक आर्यन की फिल्म 'चंदू चैंपियन' का दमदार ट्रेलर रिलीज, देशभक्ति से भरपूर होगी फिल्म
for smartphones
and tablets

वीडियोज

Heat waves,heat alerts,Hottest Day,heat waves alert,maximum temperatureखून की प्यासी आत्मा के लिए मर्डर ! | सनसनीकैंसर के मरीज़ों को रखना चाहिए इन बातों का ध्यान | किन चीज़ों को करें Avoid  | Health Liveगर्मी के साथ घमौरियां भी करने लगी हैं परेशान, तो इन  तरीकों से पाएं इनसे छुटकारा | Home Remedies

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Lok Sabha Elections 2024: आठ राज्यों की 49 सीटों पर थमा चुनाव प्रचार, पांचवें चरण में इन दिग्गजों की किस्मत दांव पर
आठ राज्यों की 49 सीटों पर थमा चुनाव प्रचार, पांचवें चरण में इन दिग्गजों की किस्मत दांव पर
CJI DY Chandrachud: 'आप सुप्रीम कोर्ट के राहुल द्रविड़', CJI चंद्रचूड़ ने किस जस्टिस को बताया मिस्टर डिपेंडेबल
'आप सुप्रीम कोर्ट के राहुल द्रविड़', CJI चंद्रचूड़ ने किस जस्टिस को बताया मिस्टर डिपेंडेबल
Maharashtra: 'उन्हें सावरकर नहीं औरंगजेब...,' लोकसभा चुनाव के बीच CM एकनाथ शिंदे का विपक्ष पर हमला
'उन्हें सावरकर नहीं औरंगजेब...,' लोकसभा चुनाव के बीच CM एकनाथ शिंदे का विपक्ष पर हमला
Chandu Champion Trailer: कार्तिक आर्यन की फिल्म 'चंदू चैंपियन' का दमदार ट्रेलर रिलीज, देशभक्ति से भरपूर होगी फिल्म
कार्तिक आर्यन की फिल्म 'चंदू चैंपियन' का दमदार ट्रेलर रिलीज, देशभक्ति से भरपूर होगी फिल्म
Lok Sabha Elections: क्या कांग्रेस की गलती थी राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में न जाना? जानें क्या बोलीं प्रियंका गांधी
क्या कांग्रेस की गलती थी राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में न जाना? जानें क्या बोलीं प्रियंका गांधी
Cars in News This Week: इस हफ्ते खूब चर्चा में रहीं ये कारें, प्रीमियम सेगमेंट के भी कई मॉडल्स शामिल
इस हफ्ते खूब चर्चा में रहीं ये कारें, प्रीमियम सेगमेंट के भी कई मॉडल्स शामिल
कन्हैया कुमार पर हुआ हमला बताता है, कट्टरता और ध्रुवीकरण का शिकार हो रहे हैं हमारे नौजवान
कन्हैया कुमार पर हुआ हमला बताता है, कट्टरता और ध्रुवीकरण का शिकार हो रहे हैं हमारे नौजवान
Weather Forecast: केरल-तमिलनाडु में बारिश का रेड अलर्ट, यूपी-राजस्थान-दिल्ली समेत इन राज्यों में दिखेगा हीटवेव का कहर
केरल-तमिलनाडु में बारिश का रेड अलर्ट, यूपी-राजस्थान-दिल्ली समेत इन राज्यों में दिखेगा हीटवेव का कहर
Embed widget