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दिलीप कुमार और सुनील दत्त की वह बेमिसाल दोस्ती

हिन्दी सिनेमा के लाजवाब अभिनेता और फ़िल्मकार सुनील दत्त का आज 92 वां जन्म दिन है. वहीं आज अभिनय सम्राट दिलीप कुमार तबीयत खराब होने पर मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में दाखिल हुए तो सभी चिंतित हो उठे. इधर  सुनील दत्त चाहे अब इस दुनिया में नहीं हैं. लेकिन उनकी यादें और काम बरकरार हैं.

उधर दिलीप कुमार और सुनील दत्त के बीच भी बेहद मधुर संबंध रहे. क्या है दिलीप कुमार और सुनील दत्त के बीच का रिश्ता. पढ़िये वरिष्ठ पत्रकार एवं फिल्म समीक्षक प्रदीप सरदाना का ब्लॉग. जिसमें दिलीप कुमार की बेगम और खूबसूरत अदाकारा सायरा बानो ने अपनी बहुत सी यादों को पहली बार उनके साथ साझा किया है.

आज दिलीप कुमार की तबीयत खराब होने पर उन्हें अस्पताल में दाखिल कराया गया. दूसरी ओर आज हिन्दी सिनेमा के दिलकश सितारे सुनील दत्त का जन्म दिन है. असल में दिलीप कुमार और सुनील दत्त जहां सिनेमा के दिग्गज सितारे रहे वहां इन दोनों की एक खास बात यह है कि मुंबई के पाली हिल में इन दोनों के घर साथ साथ हैं. साथ ही बहुत कम लोग जानते हैं कि इन दोनों के बीच गहरी दोस्ती रही. दोनों के बीच ऐसे पारिवारिक संबंध भी रहे कि दोनों एक दूसरे के दुख सुख में हमेशा साथ खड़े रहे.

अभी कल ही मेरी सायरा बानो से काफी देर तक बात हो रही थी. दिलीप साहब की तबीयत को लेकर भी उनसे बात हुई तो उन्होंने बताया- ‘’उनकी तबीयत अच्छी नहीं है. आप उनके लिए हमेशा दुआ करते हैं, अब भी कीजिये.‘’ हालांकि कल जब सायरा जी से बात हो रही थी तब ऐसी कोई बात नहीं थी कि दिलीप साहब को अस्पताल में दाखिल करने की जरूरत पड़ जाएगी. लेकिन आज तड़के उनकी तबीयत कुछ ज्यादा बिगड़ी और उन्हें अस्पताल में दाखिल करना पड़ा. हम दुआ करेंगे कि दिलीप साहब स्वस्थ हों. उन जैसे महान अभिनेता की हमारे बीच मौजूदगी ही बहुत मायने रखती है.


दिलीप कुमार और सुनील दत्त की वह बेमिसाल दोस्ती

सायरा जी ने कल ही मेरे साथ अपनी बातचीत में सुनील दत्त साहब को भी बहुत याद किया. पहली बार दत्त साहब के साथ अपनी बहुत सी निजी बातें और यादें उन्होंने मेरे साथ साझा कीं. साथ ही यह भी बताया कि दिलीप साहब और दत्त साहब के बीच की दोस्ती चाहे सुर्खियों में नहीं रही. लेकिन दोनों की दोस्ती बहुत ही अच्छी थी. आज मैं और दिलीप साहब उनको तहे दिल से याद करते हैं. उनको बहुत मिस करते हैं.


दिलीप कुमार और सुनील दत्त की वह बेमिसाल दोस्ती

सोचा सायरा बानो ने अपनी और दिलीप कुमार की सुनील दत्त के साथ जो यादें मेरे साथ साझा कीं, उनमें से कुछ बातें मैं आपके साथ भी साझा करूँ. सायरा बानो सुनील दत्त को याद करते हुए फ्लैश बैक में पहुँच जाती हैं. वह बताती हैं-‘’ दत्त साहब एक बेहद नेकदिल और महान इंसान थे. मैं और मेरा भाई सुल्तान अहमद लंदन से अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी करके जब बॉम्बे वापस आए तो मुझे फिल्मों में काम करने की इच्छा हुई. तब मेरी वालिदा नसीम बानो जी और भाई सुल्तान अहमद मुझे फ़िल्मकार महबूब खान से मिलाने के लिए महबूब स्टूडियो ले गए. हम जैसे ही गाड़ी से उतरकर स्टूडियो में दाखिल हुए वैसे ही हमारी नज़र एक खूबसूरत नौजवान पर पड़ी. महबूब साहब ने उनसे हमारा परिचय कराया कि यह सुनील दत्त हैं. मैंने लंदन में मैगजीन में सुनील दत्त के बारे में पढ़ा था. उनकी मदर इंडिया फिल्म के बारे में, नर्गिस से उनकी शादी के बारे में. इसलिए इतने मशहूर फिल्म स्टार से मिलकर मुझे बहुत खुशी हुई. यह खुशी तब और भी बढ़ गयी जब दत्त साहब हमारे साथ बहुत ही अदब और प्यार से पेश आए. एक स्टार बनने के बाद भी उनकी सादगी देखते ही बनती थी. 

सुनील दत्त के साथ ही होती सायरा की पहली फिल्म

सायरा बानो यह भी बताती हैं कि उनकी पहली फिल्म सुनील दत्त के साथ ही शुरू होनी थी. लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था. असल में हुआ यूं कि तब सशधर मुखर्जी ‘हम हिन्दुस्तानी’ फिल्म बना रहे थे. तो उन्हें सुनील दत्त के साथ लेने की बात चली. सायरा बानो का फोटो फिल्म से जुड़े कुछ खास लोगों को दिखाया गया. सायरा बानो को भी देखा गया. लगा कहानी के हिसाब से सायरा कुछ कम उम्र की लग रही हैं. क्योंकि फिल्म के लिए जो नायिका चाहिए वह ऐसी है जो काफी समय से नायक का इंतज़ार कर रही है.


दिलीप कुमार और सुनील दत्त की वह बेमिसाल दोस्ती

सायरा बताती हैं- ‘’तब मुझे कहा गया कि फिल्म के दूसरे हीरो जॉय मुखर्जी की हीरोइन बन जाओ. लेकिन तब मेरी वालिदा ने इसके लिए मना कर दिया. तभी सुबोध मुखर्जी ‘जंगली’ फिल्म बना रहे थे. उन्होंने सशधर मुखर्जी से पूछा यदि आप ‘हम हिन्दुस्तानी’ से सायरा को लॉन्च नहीं कर रहे हैं तो हम ‘जंगली’ से उसे लॉन्च कर देते हैं. बस मैं ‘जंगली’ से शम्मी कपूर की नायिका के रूप में लॉन्च हो गयी. मेरी पहली ही फिल्म गोल्डन जुबली हो गयी.‘’

‘पड़ोसन’ और ‘नहले पर दहला’ में किया साथ काम

आगे चलकर जहां सायरा बानो ने कई यादगार फिल्में कीं. वहाँ सुनील दत्त के खाते में भी कई शानदार फिल्में हैं. जिनमें मदर इंडिया के बाद सुजाता, साधना, हम हिन्दुतानी, मिलन, गुमराह, वक्त, हमराज, मेरासाया, हीरा, प्राण जाए पर वचन न जाए, नागिन, जानी दुश्मन, गीता मेरा नाम, 36  घंटे, जख्मी, क्षत्रिय और मुन्नाभाई एमबीबीएस जैसी कई खूबसूरत फिल्में शामिल हैं. साथ ही ‘मुझे जीने दो’ और ‘खानदान’ जैसी वे फिल्में भी जिनके लिए सुनील दत्त को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्म फेयर पुरस्कार भी मिला.

इनके अलावा एक और सुपर हिट, सदाबहार कॉमेडी फिल्म ‘पड़ोसन’ भी है. जिसमें सायरा बानो और सुनील दत्त थे. सायरा बताती हैं- ‘’यूं कई बार दत्त साहब के साथ फिल्म करने की बात हुई. लेकिन मैं उनके साथ सिर्फ दो फिल्में कर पायी. एक 1968 में ‘पड़ोसन’ और दूसरी 1976 में ‘नहले पर दहला’. ‘पड़ोसन’ ने जो सफलता और लोकप्रियता का रिकॉर्ड बनाया वह किसी से छिपा नहीं है.‘’

सुनील दत्त ने कुल लगभग 100 फिल्मों में अभिनय किया और 8 फिल्मों का निर्माण तथा 6 फिल्मों का निर्देशन भी. उनके अजंता आर्ट्स बैनर ने जो फिल्में बनायीं उनमें  ‘यादें’, ‘रेशमा और शेरा’ और ‘दर्द का रिश्ता’  भी शामिल हैं. 

यदि सुनील दत्त आज होते तो 92 साल के होते. लेकिन उनका 25 मई 2005 को 76 साल की उम्र में ही निधन हो गया था. सायरा बानो उनके निधन वाले दिन को याद करके आज भी सिहर उठती हैं. सायरा बताती हैं-‘’हम दोनों के घर बिलकुल साथ साथ हैं. इसलिए हमको जैसे ही दत्त साहब के निधन का समाचार मिला, मैं और दिलीप साहब उनके घर की ओर भागे. तब उनका अपना बंगला फिर से बन रहा था. इसलिए वह साथ वाले एक अपार्टमेंट में रह रहे थे. हम वहाँ पहुंचे तो उन्हें मृत अवस्था में देख न सके. एक ऐसा अच्छा इंसान अचानक हमको छोड़ कर चला गया.‘’

दिलीप कुमार के साथ गए थे पाकिस्तान

सायरा बानो ने एक खास यह भी बताई-‘’ जब दिलीप साहब को पाकिस्तान सरकार ने सन 1998 में अपने सर्वोच्च राजकीय सम्मान ‘निशान-ए-इम्तियाज़’ से नवाजा तो सुनील दत्त भी उनके साथ गए. दत्त साहब ने दिलीप साहब से कहा कि मैं भी आपके साथ कंपनी करूंगा. हम दोनों वहाँ अपने अपने पैतृक गाँव जाएँगे. यह सुनकर दिलीप साहब बहुत खुश हुए. तब दोनों एक साथ पाकिस्तान गए. वहाँ साथ साथ घूमे. दत्त साहब ने जिस तरह की कंपनी दिलीप साहब को दी उसे हम आज भी शिद्दत से याद करते हैं. आज के दौर में भला कौन अपना इतना समय निकालकर ऐसे करता है.‘’

सायरा जी यह भी कहती हैं कि दत्त साहब जैसे इंसान आज बहुत ही मुश्किल से मिलते हैं. उनसे हमारे दिल के रिश्ते थे. नर्गिस जी के साथ मेरी वालिदा के बहुत अच्छे संबंध थे और मेरे और दिलीप साहब की दत्त साहब से बहुत अच्छे से बनती थी. सुनील दत्त ने देश और फिल्म इंडस्ट्री की सेवा के लिए भी बहुत कुछ किया. फिल्म इंडस्ट्री में जब भी कोई समस्या आती थी तो वह अपने कुछ संगी साथियों के लेकर हमारे घर चले आते थे. उन्हें न कोई बैठने के लिए कुर्सी चाहिए होती थी न कोई विशेष सम्मान. हमारे घर में सफ़ेद पत्थर की ऊंची ऊंची सीढ़ियाँ होती थीं. दत्त साहब सभी को वहीं बैठाकार दिलीप साहब के नीचे आने का इंतज़ार करते थे.

सायरा बानो कभी दिलीप साहब की तो कभी दत्त साहब की बातें बताते जा रही थीं और मैं खुद उन बातों को सुन अभिभूत हुए जा रहा था.

सायरा बताती हैं- दत्त साहब को भी जब कभी मुश्किल आई तो दिलीप साहब भी तुरंत उनके घर पहुँच जाते थे. दोनों साथ बैठकर इस बात पर विचार करते थे कि मुश्किल से कैसे बाहर निकला जाये. उधर सुनील दत्त ईद या किसी  भी त्योहार के मौके पर हमारे घर जरूर आते थे. यह भी बता दूनी कि वह कभी हमारे घर कार पर नहीं आते थे. जब भी आते थे पैदल चलकर आते थे. एक बार तो वह एक हवाई दुर्घटना में बाल बाल बचने के बाद घायल हो गए थे. इसलिए हमने सोचा इस बार ईद पर वह हमारे घर नहीं आएंगे. फिर भी वह ईद के दिन छड़ी के सहारे पैदल चलते हुए हमारे घर आए. सच कहूँ तो हर ईद पर भी दत्त साहब को हम बहुत याद करते हैं. वह बहुत ही ज़िंदादिल इंसान थे.”

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(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

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