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रामचरितमानस विवाद: 'बिनु सत्संग विवेक न होई...', स्वामी प्रसाद मौर्य को नहीं ज्ञान, इसीलिए पार्टी का ये हाल

रामचरितमानस पर इस तरह का बयान देकर समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने अज्ञानता का परिचय दिया है. प्रभु श्रीराम भारत के प्राण हैं, भारत की आत्मा हैं और करोड़ों लोगों की आस्था हैं. लेकिन प्रभु श्रीराम पर इस तरह की तुच्छ राजनीति करना, क्या दर्शाता है. आप एक बात देखिए अगर इन्होंने श्रीरामचरितमानस ठीक से पढ़ी होती तो इनका विवेक जागृत होता.

गोस्वामी जी खुद ये कहते हैं:

बिनु सत्संग विवेक न होई। रामकृपा बिनु सुलभ न सोई।।

रामचरितमानस में तो इतनी सुन्दर चौपाईयां हैं. अगर उसका मर्म समझ में आ जाए तो जिस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं, विवादित बयान दे रहे हैं, ऐसा नहीं करते.

रामचरितमानस में श्रीराम का संदेश

जिस श्रीरामचरितमानस को लेकर ये लोग ऐसा बोल रहे हैं, अपमानित दृष्टि से देख रहे हैं, वो श्रीरामचरितमानस समाज के लिए कल्याणकारी है. उसी में भगवान श्रीराम का संदेश निहित है. अगर इसे व्यक्ति अपने जीवन में उतार ले तो उसके जीवन का कल्याण हो जाएगा.

सबसे बड़ी बात ये है कि ये लोग राजनीति में है. इन्हें रामचरितमानस के बारे में जानकारी नहीं है. ये लोग बोल रहे हैं कि अधम जाति के बारे में बोला गया है. दरअसल, जिस चौपाई के बारे में बात कर रहे हैं, वो चौपाई उत्तरकांड में है: 

हर कहुँ हरि सेवक गुर कहेऊ। सुनि खगनाथ हृदय मम दहेऊ।।
अधम जाति मैं बिद्या पाएँ। भयउँ जथा अहि दूध पिआएँ।।

आप जानते हैं कि इसका क्या भावार्थ है. काकभुशुंडी जी और गरुड़ जी के बीच एक संवाद है. काकभुशुंडी जी, गरुड़ जी को प्रभु श्रीराम की भक्ति की महिमा सुनाते हैं और अपने पूर्व जन्म की कथा सुना रहे हैं. वो कहते हैं कि पूर्व जन्म में मैं नीची जाति में था, उन्हें ब्राह्मण गुरुदेव उन्हें शिवभक्ति का ज्ञान दे रहे हैं. लेकिन वो कहते हैं कि जब भी मेरे गुरु श्रीराम की महिमा गाते थे तो मैं क्रोधित हो जाता था. इसलिए उन्होंने अपने आप को ये बोला कि मैं अधम जाति का हूं. इसमें गोस्वामी जी ने किसी पर आक्षेप नहीं लगाए.

काकभुशुंडी जी कह रहे हैं कि मेरे गुरुदेव ने मुझे अच्छी बात कही, लेकिन मैं क्रोधित हो जाता था. उत्तरकांड में ही इसके आगे की चौपाई में काकभुशुंडी जी इसे और स्पष्ट करते हुए कहते हैं:

मानी कुटिल कुभाग्य कुजाती। गुर कर द्रोह करउँ दिनु राती।।
अति दयाल गुर स्वल्प न क्रोधा। पुनि पुनि मोहि सिखाव सुबोधा।।

अर्थात्, मैं अभिमानी, कुटिल, दुर्भाग्य और कुजाति दिन-रात अपने गुरुदेव से विद्रोह करता रहा. मेरे गुरुदेव ने मुझे शिक्षा दी. वो ब्राह्मण थे. मुझे अनन्य प्रेम दिया, उन्होंने मेरी जाति नहीं देखी. मैं मन ही मन महादेव को मानता रहा और मेरे गुरुदेव मुझे प्रभु श्रीराम की कृपा बताते रहे. उनके अराधना के लिए प्रेरित करते रहे, लेकिन मैं समझ नहीं पाया.

आलोचना से पहले पूरे संवाद को समझना होगा

आलोचना से पहले इस पूरे संवाद को समझना पड़ेगा और समझने के लिए आपको आध्यात्मिक होना पड़ेगा. प्रभु श्रीराम के चरणों में श्रद्धा रखनी होगी. नफरत की राजनीति से ऊपर उठना होगा. अंग्रेजी में एक कहावत है- लिटिल नॉलेज डेंजरस थिंग. और ये कहावत ऐसे लोगों पर सटीक बैठती है. पहले बिहार के शिक्षा मंत्री और अब स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान पर हंसी आ रही है. ये लोग नेता हैं, पब्लिक फीगर हैं. आप जो बोलते हैं, इसे लोग फॉलो करते हैं. अगर ये लोग समाज को ऊंची और छोटी जाति में बाटेंगे तो समाज में क्या उदाहरण जाएगा. ऐसे राज्य के बच्चों का भविष्य और शिक्षा का स्तर क्या होगा, जहां के मंत्री ऐसे बयान दे रहे हैं. लेकिन जनता समझदार है. लोग विकास चाहते हैं. इन अभद्र टिप्पणियों से वोट नहीं मिलेंगे और इस तरह के बयान देने से उनलोगों को खामियाजा भी भुगतना पड़ेगा. समाजवादी पार्टी के ये नेता हैं. खामियाजा भुगत भी रहे हैं.

इसलिए इनको समझना पड़ेगा कि हमारी भावी पीढ़ी के साथ खिलवाड़ करना बंद करें. जब पहले से एक विवाद चल रहा है, बिहार के शिक्षा मंत्री के बयान के बाद समाजवादी पार्टी के नेता का ऐसा बयान देना, हिन्दू आस्था को ठेस पहुंचाना ये क्या दिखाता है. ये तो सोची समझी साजिश है, सनातन धर्म का अपमान करने की ये साजिश है. अगर ऐसे लोगों को जानकारी नहीं है, तो उन्हें श्रीरामचरितमानस जरूर पढ़ना चाहिए.

कलिमल ग्रसे धर्म सब लुप्त भए सदग्रंथ।
 दंभिन्ह निज मति कल्पि करि प्रगट किए बहु पंथ॥

धूम कुसंगति कारिख होई। लिखिअ पुरान मंजु मसि सोई॥
सोइ जल अनल अनिल संघाता। होइ जलद जग जीवन दाता॥6॥

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. आध्यात्मिक गुरु प्रज्ञा भारती से बातचीत पर आधारित यह पूरा लेख लिखा गया है]

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