एक्सप्लोरर

एससी/एसटी एक्ट: बीजेपी के लिए इधर कुआं उधर खाई!

राजीव गांधी सरकार द्वारा शाहबानो प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटे जाने को घोर अनैतिकता का प्रतिमान बताने वाली बीजेपी दलितों को ख़ुश करने के लिए एससी/एसटी अधिनियम के मामले में स्वयं सुप्रीम कोर्ट का फैसला संसद में पलट देती है. खास बात यह रही कि सत्तारूढ़ एनडीए ने कांग्रेस, एसपी, आराजेडी जैसे किसी मुखर विरोधी दल को चूं तक नहीं करने दी और उन्हें अपनी हां में हां मिलाने के लिए मजबूर कर दिया.

मोदी सरकार सोशल इंजीनियरिंग के मामले में जादूगरों को भी मात देती है. वरना क्या बात है कि मुसलमानों को खुश करने के लिए राजीव गांधी सरकार द्वारा शाहबानो प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटे जाने को घोर अनैतिकता का प्रतिमान बताने वाली बीजेपी दलितों को ख़ुश करने के लिए एससी/एसटी अधिनियम के मामले में स्वयं सुप्रीम कोर्ट का फैसला संसद में पलट देती है? यही नहीं, मोदी सरकार ने इस इंजीनियरिंग का एक और नमूना पेश करते हुए एससी/एसटी को प्रमोशन में आरक्षण दिए जाने की पुरजोर वकालत की है; साथ ही साथ राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक को भी उसने संसद की मंजूरी दिलवा दी है.

कोई नहीं कर पाया विरोध खास बात यह रही कि सत्तारूढ़ एनडीए ने कांग्रेस, एसपी, आराजेडी जैसे किसी मुखर विरोधी दल को चूं तक नहीं करने दी और उन्हें अपनी हां में हां मिलाने के लिए मजबूर कर दिया. सबूत यह है कि इस बिल के विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा. इस मामले में मोदी सरकार का कौशल विकास अब इस हद तक हो गया है कि बीजेपी के भीतर ही एससी/एसटी अधिनियम को पूर्व रूप में लौटाने से सुलग रही सवर्ण शक्तियों पर उसने विजय पा ली है क्योंकि इस दौर में सब पर दलितों और पिछड़ों का हितैषी दिखने का दबाव है! इसे संसद और पार्टी के अंदर मोदी जी की एक और जीत मानने में कोई हर्ज नहीं है.

सर्वणों को कैसे मनाएगी बीजेपी? लेकिन इस जीत से प्रमोशन में आरक्षण और मूल एससी-एसटी एक्ट से खार खाए बैठे सवर्ण हिंदुओं को बीजेपी कैसे साधेगी? मुकदमा दर्ज होने पर तत्काल गिरफ्तारी की बहाली को लेकर सवर्ण-तंत्र की क्या और कैसी प्रतिक्रिया हो सकती है, इसका अंदाजा हम पिछली दो अप्रैल को आयोजित दलितों के भारत बंद  के दौरान हुई प्रायोजित हिंसा से लगा सकते हैं. उसके चंद दिनों बाद ही दलित बनाम सवर्ण बंद हुआ था. दलितविरोधी मानसिकता वाला यह तबका इस बात का इंतजार नहीं करेगा कि बीजेपी उसे मनाने के लिए कोई नया पैंतरा खेले.

मायावती ने भी चल दी है अपनी चाल हालांकि, बीजेपी इस बात से वाकिफ है कि सवर्णों की संख्या देश में मात्र 15% के आसपास ही है और शेष बहुसंख्यक हिंदुओं के वोट बीजेपी को सत्ता तक पहुंचा सकते हैं. लेकिन इसमें कुआं यह है कि अगर दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों का वोट छिटक जाए तो पार्टी की ईंट से ईंट बज जाएगी और खाई यह है कि अगर सवर्ण रूठ गए तो उत्तर, मध्य और पश्चिम भारत में उसे लेने के देने पड़ सकते हैं. गरीब सवर्णों के लिए आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग करके बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने पहले ही अपना चुंबक चिपका दिया है. शिव त्रिपाठी नामक सज्जन की प्रतिक्रिया से हम असंतोष की तीव्रता माप सकते हैं- “देश में सर्वणों की औकात ही क्या है? यदि ऐसा न होता तो सरकार सुप्रीम कोर्ट के जायज फैसले को अक्षरश: लागू करती. आरक्षण जातिगत आधार की बजाए आर्थिक आधार पर लागू करने का साहस दिखाती और ओबीसी के हित में विधेयक न पारित करवाती. यदि यही हाल रहा तो निकट भविष्य में सर्वणों को एससी/एसटी और ओबीसी के रहमोकरम पर जीने को विवश होना पड़ेगा.”

दलितों की ताकत के आगे झुकी सरकार भारत की जाति-व्यवस्था में बड़ी मुश्किल और संघर्षों से दलितों-पिछड़ों को पढ़ने, नौकरी करने, दफ्तर में एक साथ बैठने जैसे अधिकार हासिल हुए हैं. लेकिन सवर्ण मानसिकता अब भी यही है कि दलित और पिछड़े लोग उनके अधीन काम करें, उनके अधिकारी न बनें. पदोन्नति में आरक्षण उन्हें भला कैसे पच सकता है! इसके बरक्स हम देखते हैं कि जब रोहित वेमुला, सहारनपुर, राजस्थान जैसी दलित-उत्पीड़न श्रृंखला तैयार हुई और सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुरक्षा कवच शिथिल कर दिया गया तो दलितों ने मोदी सरकार को अपनी एकता और शक्ति का अहसास करा दिया. इसके बावजूद सरकार ने यह फैसला सुनाने वाले जज जस्टिस आदर्श कुमार गोयल को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया. इस नियुक्ति को दलित समाज में जख्म पर नमक रगड़ने की तरह देखा गया. बीजेपी से जुड़े दलित नेता भी हतप्रभ रह गए. आधार खिसकता देख कर केन्द्र सरकार में शामिल रामविलास पासवान भौंहें तरेरने लगे! उनके बेटे चिराग पासवान ने संसद से अपना इस्तीफा देने की धमकी दे डाली. आननफानन बैठक बुलाई गई, जिसमें रामदास आठवले और उदित राज सहित कई दलित-आदिवासी सांसद शामिल हुए. बैठक में अध्यादेश जारी करने की मांग की गई. इसी अगस्त में भयंकर आंदोलन की चेतावनी दी गई. नतीजतन सरकार ने अध्यादेश तो छोड़िए, कानून में बदलाव के विधेयक को ही मंजूरी दिलवा दी. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इतना ही कहा था कि 'हम कतई इस कानून के खिलाफ नहीं हैं. हम बस इस बात से चिंतित हैं कि बेगुनाह लोग जेल की सलाखों के पीछे डाले जा रहे हैं.’

गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक एससी-एसटी उत्पीडन रोकथाम कानून के तहत 2015 में 6005 और 2016 में 5082 मामले दर्ज हुए थे, लेकिन इनमें से महज 16.3 फीसदी मामलों में ही सजा हुई. इससे यह संदेश गया कि इस कानून का बेजा इस्तेमाल हो रहा है. लेकिन यह बताने को कोई तैयार नहीं है कि अधिकतर बेजा इस्तेमाल किन वर्गों की शह पर हो रहा है. यह जमीनी विश्लेषण भी सामने नहीं आता कि जिन हालात की वजह से यह अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम, 1989 बनाया गया था, वे 2016 तक कितने बदल चुके थे? महाराष्ट्र के सरकारी अधिकारी सुभाष काशीनाथ महाजन की सुनवाई करते हुए जब सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिनियम को शिथिल किया था तब कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार ने ठीक से इसके पक्ष में पैरवी नहीं की. शायद तब सरकार को लगा होगा कि वह एक तीर से कई शिकार कर लेगी. लेकिन यह तीर प्रभु श्रीराम के बल की परीक्षा करने चले देवराज इंद्र के कौवावेषी पुत्र जयंत की तरह सरकार का ही पीछा करने लगा! कथा कहती है कि जयंत को यू-टर्न लेना पड़ा था.

एस/एसटी अधिनियम को लेकर बीजेपी नीत केंद्र सरकार को भी यू-टर्न लेना पड़ रहा है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपनी ही पुनर्विचार याचिका पर राख डालनी पड़ रही है. उसकी गति सांप-छछूंदर जैसी हो गई है! भारतीय समाज भलीभांति जानता है कि इस कानून के तहत ज्यादातर मामलों में बेगुनाह लोगों को रंजिशन और साजिशन फंसा दिया जाता था. लेकिन बीजेपी भी भलीभांति समझती है कि दलितविरोधी दिखने से मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे बड़े राज्यों के चुनाव और उसके बाद 2019 के आम चुनाव में सवर्णों की पूरी तरफदारी भी उसकी नैया पार नहीं लगा पाएगी. आखिर देश में सवर्णों से कई गुना अधिक ठोस दलित मतदाता जो हैं!

-विजयशंकर चतुर्वेदी, वरिष्ठ पत्रकार लेखक से ट्विटर पर जुड़ने के लिए क्लिक करें-  https://twitter.com/VijayshankarC और फेसबुक पर जुड़ने के लिए क्लिक करें-  https://www.facebook.com/vijayshankar.chaturvedi

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

'मेरे घर आइए, साथ में एक्सरसाइज करेंगे और जूड़ो लड़ेंगे', किरेन रिजिजू ने राहुल गांधी को दिया ये जवाब, Video
'मेरे घर आइए, साथ में एक्सरसाइज करेंगे और जूड़ो लड़ेंगे', किरेन रिजिजू ने राहुल गांधी को दिया ये जवाब, Video
नवंबर में दिल्ली नहीं बल्कि ये शहर रहा देश में सबसे ज्यादा प्रदूषित, रिपोर्ट में चौंकाने वाला दावा
नवंबर में दिल्ली नहीं बल्कि ये शहर रहा देश में सबसे ज्यादा प्रदूषित, रिपोर्ट में चौंकाने वाला दावा
Tere Ishk Mein Box Office Day 9: 'तेरे इश्क में' गजब कर रही, 'धुरंधर' के सामने बनने जा रही 100 करोड़ी!
'तेरे इश्क में' गजब कर रही, 'धुरंधर' के सामने बनने जा रही 100 करोड़ी!
दक्षिण अफ्रीका से ODI सीरीज जीतने के बाद विराट कोहली का खास बयान, कहा- मैंने 2-3 साल...
दक्षिण अफ्रीका से ODI सीरीज जीतने के बाद विराट कोहली का खास बयान, कहा- मैंने 2-3 साल...
ABP Premium

वीडियोज

Babri Masjid: 6 दिसंबर...बाबरी मस्जिद को लेकर नया बवंडर! | TMC | Indigo Flight | Indigo Crisis
Putin India Visit: Vladimir Putin ने India दौरे पर वो पा लिया… जो 4 साल में खोया था |ABPLIVE
IndiGo flight Cancelled: यात्रियों के टिकट कैंसिल करने के पीछे बड़ी साजिश? | Janhit With Chitra
Indigo Flight News: दिल्ली एयरपोर्ट की आई एडवाइजरी, सभी से बड़ी जानकारी | DGCA | Chadan Singh
Sandeep Chaudhary: न नोटिस, न कार्रवाई...DGCA क्या कर रहा?  | Debate | Seedha Sawal

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'मेरे घर आइए, साथ में एक्सरसाइज करेंगे और जूड़ो लड़ेंगे', किरेन रिजिजू ने राहुल गांधी को दिया ये जवाब, Video
'मेरे घर आइए, साथ में एक्सरसाइज करेंगे और जूड़ो लड़ेंगे', किरेन रिजिजू ने राहुल गांधी को दिया ये जवाब, Video
नवंबर में दिल्ली नहीं बल्कि ये शहर रहा देश में सबसे ज्यादा प्रदूषित, रिपोर्ट में चौंकाने वाला दावा
नवंबर में दिल्ली नहीं बल्कि ये शहर रहा देश में सबसे ज्यादा प्रदूषित, रिपोर्ट में चौंकाने वाला दावा
Tere Ishk Mein Box Office Day 9: 'तेरे इश्क में' गजब कर रही, 'धुरंधर' के सामने बनने जा रही 100 करोड़ी!
'तेरे इश्क में' गजब कर रही, 'धुरंधर' के सामने बनने जा रही 100 करोड़ी!
दक्षिण अफ्रीका से ODI सीरीज जीतने के बाद विराट कोहली का खास बयान, कहा- मैंने 2-3 साल...
दक्षिण अफ्रीका से ODI सीरीज जीतने के बाद विराट कोहली का खास बयान, कहा- मैंने 2-3 साल...
95% कनेक्टिविटी बहाल, मनमाना किराया वसूली पर रोक और यात्रियों को रिफंड... कब तक इस संकट से उबरेगी इंडिगो? 10 बड़ी बातें
95% कनेक्टिविटी बहाल, किराया सीमा और रिफंड... कब तक इस संकट से उबरेगी इंडिगो? बड़ी बातें
500KM की दूरी का 7500 रुपये... इंडिगो संकट के बीच सरकार का बड़ा फैसला, मनमाना किराया वसूली पर रोक
500KM की दूरी का ₹7500... इंडिगो संकट के बीच सरकार का बड़ा फैसला, मनमाना किराया वसूली पर रोक
​सेंट्रल संस्कृत यूनिवर्सिटी में निकली वैकेंसी, सैलरी जानकार उड़ जाएंगे होश
​सेंट्रल संस्कृत यूनिवर्सिटी में निकली वैकेंसी, सैलरी जानकार उड़ जाएंगे होश
स्टेज पर फोटो खिंचाने आई बहन पर फूटा दुल्हन का गुस्सा! ऐसे घूरा कि सोशल मीडिया पर मच गया धमाल- वीडियो वायरल
स्टेज पर फोटो खिंचाने आई बहन पर फूटा दुल्हन का गुस्सा! ऐसे घूरा कि सोशल मीडिया पर मच गया धमाल
Embed widget