एक्सप्लोरर

समीक्षा: प्रणब मुखर्जी की किताब हुई लॉन्च, न कांग्रेस को पसंद आएगी न बीजेपी को

किताब सामने आ गई है, तो इसे पढ़कर न तो बीजेपी के लोग खुश होंगे और न ही कांग्रेस के. वजह ये है कि इस किताब में प्रणब मुखर्जी जितनी सख्ती के साथ कांग्रेस से पेश आए हैं, उतनी ही सख्ती के साथ बीजेपी और खास तौर से पीएम मोदी से.

देश के पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे प्रणब मुखर्जी की आखिरी किताब सामने आ गई है, जिसका नाम है द प्रेसिडेंशियल ईयर 2012-2017. छपने से पहले ही ये किताब विवादों में तब आ गई थी, जब प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी और उनकी बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी आपस में ही ट्विटर पर भिड़ गए थे. लेकिन अब किताब सामने आ गई है, तो इसे पढ़कर न तो बीजेपी के लोग खुश होंगे और न ही कांग्रेस के. वजह ये है कि इस किताब में प्रणब मुखर्जी जितनी सख्ती के साथ कांग्रेस से पेश आए हैं, उतनी ही सख्ती के साथ बीजेपी और खास तौर से पीएम मोदी से.

2014 चुनाव: बीजेपी-कांग्रेस के लिए अप्रत्याशित नतीजे 25 जुलाई, 2012 को देश के 13वें राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले प्रणब मुखर्जी के सामने बतौर राष्ट्रपति पहला आम चुनाव था 2014 का. तब यूपीए 2 की सरकार थी और डॉक्टर मनमोहन सिंह उसके मुखिया थे. अपनी किताब द प्रेसिडेंशियल ईयर में प्रणब मुखर्जी लिखते हैं कि कांग्रेस को उम्मीद थी कि इस बार भी बहुमत किसी को नहीं मिलेगा और उसे 110 से 170 सीटें मिल सकती हैं. बीजेपी के बारे में बात करते हुए प्रणब दा ने लिखा है कि पूरी बीजेपी में सिर्फ और सिर्फ पीयूष गोयल ही थे, जिन्हें भरोसा था कि पार्टी को 265 से 280 सीटें आ सकती हैं. लेकिन जब नतीजा आया तो बीजेपी को 282 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को महज 44 सीटें. प्रणब दा लिखते हैं कि कांग्रेस के खिलाफ सबसे ज्यादा माहौल इमरजेंसी के बाद बना था, लेकिन उस वक्त भी 1977 के चुनाव में कांग्रेस को 154 सीटें मिली थीं.

सोनिया गांधी और कुछ कांग्रेस नेताओं की वजह से हारी कांग्रेस ऐसे नतीजों के लिए प्रणब दा ने सीधे तौर पर कांग्रेस और सोनिया गांधी को जिम्मेदार ठहराया है. वो लिखते हैं कि 2004 में जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने तो उन्हें सोनिया गांधी के कहने पर प्रधानमंत्री बनाया गया था. जबकि 2014 में जब मोदी प्रधानमंत्री बने तो देश के बहुमत ने उन्हें उस कुर्सी पर पहुंचाया था, क्योंकि चुनाव के पहले ही बीजेपी ने उन्हें प्रधानमंत्री पद का चेहरा घोषित कर दिया था. यूपीए एक की सरकार के बनने और 2014 में यूपीए 2 की शर्मनाक हार पर प्रणब दा ने लिखा है कि यूपीए 1 बना था तो उसमें सपा भी थी, वाम दल भी थे, लोजपा भी थी, आरजेडी भी थी और कई छोटी-छोटी पार्टियां थीं. जब लेफ्ट ने समर्थन वापस लिया तो सपा साथ खड़ी रही. लेकिन जब यूपीए 2 बना तो कई पार्टियां जैसे कि आरजेडी उसका हिस्सा नहीं बनी. लेकिन ममता बनर्जी 19 सांसदों के साथ खड़ी रहीं. बाद में सितंबर 2012 में ममता ने समर्थन वापस ले लिया. डीएमके ने मार्च 2013 में समर्थन वापस ले लिया. इसका सीधा सा मतलब था कि यूपीए 2 की सरकार जनआकांक्षाओं को पूरा नहीं कर पा रही है. ऐसे मुश्किल वक्त में पार्टी के नेतृत्व को एक अलग तरीके से काम करना चाहिए था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. वो लिखते हैं कि अगर मैं रहता तो ममता बनर्जी को साथ रखता. महाराष्ट्र में विलास राव देशमुख जैसे बड़े नेता की कमी पूरी करने के लिए शिवराज पाटिल या फिर सुशील कुमार शिंदे को वापस लाना. तेलंगाना जैसा राज्य बनाने की मंजूरी नहीं देता. वो लिखते हैं कि अगर मैं कांग्रेस की राजनीति में रहता तो कांग्रेस की जो दुर्गति 2014 में हुई थी, वो नहीं हुई होती.

अन्ना आंदोलन के वक्त सरकार बचाने में व्यस्त थे मनमोहन सिंह प्रणब दा ने अन्ना आंदोलन से निपटने में सरकार की नाकामी पर भी सवाल उठाए हैं. अन्ना आंदोलन के वक्त प्रणब मुखर्जी कांग्रेस का हिस्सा थे, लिहाजा उनका मानना था कि अन्ना की लोकपाल की मांग जायज है, लेकिन तब मनमोहन सिंह गठबंधन वाली सरकार बचाने में व्यस्त थे. प्रणब मुखर्जी ने अपने कार्यकाल के दूसरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपने रिश्तों और सरकार के काम करके के तरीकों के बारे में भी खुलकर लिखा है. वो लिखते हैं कि 2014 से 2019 के दौरान एनडीए की सरकार और उसके मुखिया संसद को ठीक से चलाने में नाकाम रहे. इसके लिए विपक्ष भी जिम्मेदार था. वो लिखते हैं कि पुराने नेता जैसे कि जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह जैसे प्रधानमंत्री संसद में मौजूद रहते थे और विपक्ष की आवाज को जगह देते थे. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी कभी कभार ही संसद में मौजूद होते थे. उन्हें विपक्ष की बात सुननी चाहिए थी, जिसकी उनमें कमी थी.

राष्ट्रपति को टीवी से पता चला था नोटबंदी का फैसला प्रणब दा ने बतौर राष्ट्रपति नोटबंदी और जीएसटी का भी जिक्र किया है. नोटबंदी के बारे में प्रणब दा ने लिखा है कि भले ही वो राष्ट्रपति थे, लेकिन उन्हें नोटबंदी की जानकारी देश के और दूसरे लोगों की तरह टीवी से ही हुई. हालांकि उन्होंने इस फैसले का बचाव भी किया है कि ऐसे कड़े कदम उठाने से पहले विपक्ष के नेताओं से बात नहीं की जानी चाहिए थी. वो लिखते हैं कि टीवी पर घोषणा करने के बाद पीएम मोदी उनसे मिले और इस नोटबंदी के तीन मकसदों कालेधन पर लगाम, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई और आतंकवाद की फंडिग के बारे में बताया. वो मुझसे बतौर वित्त मंत्री सपोर्ट चाहते थे और तब मैंने उन्हें बताया था कि इस कड़े कदम की वजह से कुछ दिनों के लिए आर्थिक मंदी आ सकती है. इसलिए अतिरिक्त सावधानी रखनी होगी. इस मुलाकात के बाद राष्ट्रपति ने नोटबंदी को सही ठहराया था, हालांकि वो लिखते हैं कि नोटबंदी अपने मकसद में सफल नहीं हुई. जीएसटी लागू होने के बारे में भी प्रणब दा ने लिखा है कि कैसे 30 जून, 2017 की रात को संसद का संयुक्त सत्र बुलाया गया था और 1 जुलाई, 2017 होने के साथ ही जीएसटी लागू हो गई थी.

बखेड़ा से बचने के लिए लगा दिया था राष्ट्रपति शासन मोदी सरकार के साथ अपने असहज रिश्तों के बारे में भी प्रणब मुखर्जी ने बताया है कि कैसे अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा था. उन्होंने लिखा है कि गृहमंत्री उनसे मिलने आए थे और तब उन्होंने राज्यपाल जेपी राजखोवा के कामकाज पर सवाल उठाए थे और उन्हें पद छोड़ने के लिए कहा था. उत्तराखंड में हरीश रावत सरकार के दौरान भी राष्ट्रपति शासन लगाने का जिक्र प्रणब दा ने किया है, जहां राष्ट्रपति शासन की सिफारिश राज्यपाल ने नहीं, बल्कि गृहमंत्रालय ने की थी. पीएम मोदी की मौजूदगी में कैबिनेट ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला किया था. 26 मार्च, 2016 की रात करीब सवा ग्यारह बजे वित्त मंत्री अरुण जेटली और पीएम मोदी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी नृपेंद्र मिश्रा ने प्रणब दा को कैबिनेट के फैसले के बारे में बताया. प्रणब दा ने 36 घंटे का इंतजार करने को कहा था, वो फाइल को लौटा भी सकते थे, लेकिन कोई बखेड़ा खड़ा न हो, इसलिए उन्होंने हरीश रावत के बहुमत साबित करने के एक दिन पहले ही राष्ट्रपति शासन लगा दिया. इसके अलावा अध्यादेश को जारी करने की जल्दबाजी पर भी प्रणब दा ने लिखा है कि अध्यादेश ऐसे ही आपात स्थिति में जारी किए जा सकते हैं कि उसके बिना बिल्कुल भी काम नहीं चल सकता हो.

पीएम मोदी की विदेश नीति इसके अलावा पीएम मोदी की विदेश नीति पर भी प्रणब दा ने लिखा है कि बतौर गुजरात सीएम मोदी के पास विदेश नीति का अनुभव नहीं था, लेकिन जल्द ही उन्होंने इसमें कामयाबी हासिल कर ली. अपने शपथ में सार्क देशों के नेताओं को बुलाना एक बड़ा फैसला था, जिसमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भी शामिल थे. प्रणब दा ने नेपाल के साथ रिश्तों पर भी बात की है. 26 जनवरी की परेड में शामिल होने वाले चीफ गेस्ट के बारे में बताया है कि फैसला तो कैबिनेट करती है और फिर प्रधानमंत्री इसके बारे में राष्ट्रपति से बात करते हैं. ये सिलसिला 26 जनवरी, 1950 से ही चला आ रहा है. इसके अलावा पीएम मोदी की दुनिया के कई बड़े नेताओं के साथ दोस्ती पर प्रणब दा ने साफगोई से लिखा है कि रिश्ते दो नेताओं के नहीं, दो देशों के होते हैं. झाऊ एल लाई और नेहरू की दोस्ती और उसके बाद की स्थितियां बताते हुए प्रणब दा ने लिखा है कि कैसे भारत ने अपनी विदेश नीति को आगे बढ़ाया और ये सत्ता बदलने के साथ रातो रात बदलने वाली चीज नहीं होती है.

जब भीगते हुए परेड में खड़े थे राष्ट्रपति बाराक ओबामा के भारत आने के दौरान जब अमेरिकी सिक्युरिटी एजेंसी ने प्रणब दा को ओबामा के काफिले में शामिल गाड़ी में बैठने को कहा था तो प्रणब दा ने इन्कार कर दिया था. इसके अलावा उन्होंने लिखा है कि कैसे परेड के दौरान बारिश शुरू हो गई थी और अपनी कम हाईट की वजह से उन्हें भीगना पड़ा था. अपने विदेश दौरों के बारे में और विदेश से आए मेहमानों की ओर से मिले गिफ्ट के बारे में भी उन्होंने अपनी किताब में जिक्र किया है. इसके अलावा दया याचिकाओं पर फैसला करना भी राष्ट्रपति का एक अहम काम होता है. प्रणब दा ने 30 दया याचिकाएं खारिज की हैं, जिसमें 40 लोगों को अंतिम तौर पर दोषी करार दिया गया. इनमें से कई याचिकाएं साल 2004, 2005 और 2007 से लंबित थीं. वो लिखते हैं कि उनके पूर्ववर्ती राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और एपीजे अब्दुल कलाम ने कई याचिकाओं को लंबित कर रखा था.

कुल मिलाकर इस किताब में देश के पांच वर्ष का इतिहास शामिल है, जो बड़ी राजनीतिक घटनाओं का गवाह रहा है. एक राष्ट्रपति की नज़र से उन घटनाओं को कैसे देखा जा सकता है और राजनीति में सक्रिय एक शख्स इन राजनीतिक घटनाओं को कैसे देखता है, ये सब इस एक किताब में दर्ज है. इस किताब को छापा है रूपा पब्लिकेश ने और इसकी कीमत है 695 रुपये. तो आप भी इस किताब को पढ़िए.

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस किताब समीक्षा से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

कांग्रेस की पूर्व विधायक डॉ. अंजलि ने फ्लाइट में अमेरिकी महिला की जान बचाई, कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया ने कही यह बात
कांग्रेस की पूर्व विधायक डॉ. अंजलि ने फ्लाइट में अमेरिकी महिला की जान बचाई, कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया ने कही यह बात
यूपी से हरियाणा तक कोहरे का कहर, रेवाड़ी और ग्रेटर नोएडा में कम विजिबिलिटी की वजह से टकराए वाहन
यूपी से हरियाणा तक कोहरे का कहर, रेवाड़ी और ग्रेटर नोएडा में कम विजिबिलिटी की वजह से टकराए वाहन
एयरपोर्ट पर स्पॉट हुए विराट-अनुष्का, क्रिकेटर ने दिया फैन को ऑटोग्राफ, पीछे खड़ी रहीं एक्ट्रेस
एयरपोर्ट पर स्पॉट हुए विराट-अनुष्का, क्रिकेटर ने दिया फैन को ऑटोग्राफ, पीछे खड़ी रहीं एक्ट्रेस
वनडे क्रिकेट में भारत के सबसे बड़े रन मशीन कौन रहे, सचिन से कोहली तक दिग्गजों की ऐतिहासिक लिस्ट देखिए
वनडे क्रिकेट में भारत के सबसे बड़े रन मशीन कौन रहे, सचिन से कोहली तक दिग्गजों की ऐतिहासिक लिस्ट देखिए
ABP Premium

वीडियोज

Uttarakhand News: तुषार हत्या मामले में पकड़ा गया मास्टरमाइंड, देखिए पूरी  EXCLUSIVE रिपोर्ट
BJP New President: दिल्ली-NCR में प्रदूषण का कहर, लोगों का सांस लेना हुआ मुश्किल
IPO Alert: HRS Aluglaze ltd  में Invest करने से पहले जानें GMP, Price Band| Paisa Live
Bank Auction में Property खरीदना Safe है या Risky? Title, Possession और Resale Guide | Paisa Live
UP Cough Syrup Case: कफ सिरप मामले में मुख्य आरोपी की कोठी पर ED की रेड | Breaking | ABP News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
कांग्रेस की पूर्व विधायक डॉ. अंजलि ने फ्लाइट में अमेरिकी महिला की जान बचाई, कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया ने कही यह बात
कांग्रेस की पूर्व विधायक डॉ. अंजलि ने फ्लाइट में अमेरिकी महिला की जान बचाई, कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया ने कही यह बात
यूपी से हरियाणा तक कोहरे का कहर, रेवाड़ी और ग्रेटर नोएडा में कम विजिबिलिटी की वजह से टकराए वाहन
यूपी से हरियाणा तक कोहरे का कहर, रेवाड़ी और ग्रेटर नोएडा में कम विजिबिलिटी की वजह से टकराए वाहन
एयरपोर्ट पर स्पॉट हुए विराट-अनुष्का, क्रिकेटर ने दिया फैन को ऑटोग्राफ, पीछे खड़ी रहीं एक्ट्रेस
एयरपोर्ट पर स्पॉट हुए विराट-अनुष्का, क्रिकेटर ने दिया फैन को ऑटोग्राफ, पीछे खड़ी रहीं एक्ट्रेस
वनडे क्रिकेट में भारत के सबसे बड़े रन मशीन कौन रहे, सचिन से कोहली तक दिग्गजों की ऐतिहासिक लिस्ट देखिए
वनडे क्रिकेट में भारत के सबसे बड़े रन मशीन कौन रहे, सचिन से कोहली तक दिग्गजों की ऐतिहासिक लिस्ट देखिए
'BJP के ऐतिहासिक प्रदर्शन को...', तिरुवनंतपुरम में फहराया भगवा तो शशि थरूर का आया पहला रिएक्शन, जानें क्या कहा?
'BJP के ऐतिहासिक प्रदर्शन को...', तिरुवनंतपुरम में फहराया भगवा तो शशि थरूर का आया पहला रिएक्शन, क्या कहा?
India@2047: यूके-यूएस के लोग भी भारत में कराएंगे इलाज, 2047 तक इतनी तरक्की कर लेगा देश का हेल्थ सेक्टर, जानें कैसे?
यूके-यूएस के लोग भी भारत में कराएंगे इलाज, 2047 तक इतनी तरक्की कर लेगा देश का हेल्थ सेक्टर, जानें कैसे?
5 लोगों के ग्रुप में सिर्फ 3 का टिकट हुआ कंफर्म, बाकी दो लोग कैसे कर सकते हैं यात्रा?
5 लोगों के ग्रुप में सिर्फ 3 का टिकट हुआ कंफर्म, बाकी दो लोग कैसे कर सकते हैं यात्रा?
रेलवे ने जारी किया 2026 का भर्ती कैलेंडर, जानिए किस दिन कौन सा होगा एग्जाम?
रेलवे ने जारी किया 2026 का भर्ती कैलेंडर, जानिए किस दिन कौन सा होगा एग्जाम?
Embed widget