एक्सप्लोरर

BLOG: बेखौफ औरतों ने खटखटाया है सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

तीन तलाक को असंवैधानिक बताने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अब निकाह हलाला और बहुविवाह यानी पॉलीगैमी पर भी सक्रियता दिखाई है. उसने केंद्र सरकार से कहा है कि वह मुस्लिम समाज में फैली इन दो कुप्रथाओं की वैधता से जुड़ी जनहित याचिकाओं पर अपनी प्रतिक्रिया दे. सरकार खुद इन कुप्रथाओं को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध नजर आती है. बुलंदशहर की फरजाना ने निकाह हलाला और बहुविवाह याचिका दायर की है. इससे पहले भी इन प्रथाओं के खिलाफ कई याचिकाएं दायर हो चुकी हैं और इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ को करनी है.

निकाह हलाला में तलाकशुदा औरत को अपने पति के साथ दोबारा शादी करने के लिए पहले किसी दूसरे पुरुष से शादी करनी होती है. दूसरे पति को तलाक देने के बाद ही वह महिला अपने पहले पति से निकाह कर सकती है. बहुविवाह में मर्द एक साथ चार बीवियां रख सकता है. फरजाना ने पति से तलाक और बहुत सारी परेशानियां झेलने के बाद याचिका दायर की है. उसका कहना है कि मुस्लिम पर्सनल कानून के सेक्शन 2 को असंवैधानिक करार दिया जाए. यह सेक्शन निकाह हलाला और बहुविवाह को मान्यता देता है. लेकिन यह मौलिक अधिकारों का हनन है. संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 के खिलाफ है. कुछ याचिकाओं में निकाह मिस्यार और मुताह को भी चुनौती दी गई है जिसमें कॉन्ट्रैक्ट वाली शादी की इजाजत है. कहा जा रहा है कि रस्म की आड़ में औरत का खिलवाड़ किया जाता है, और कुछ नहीं.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर जो रुख अपनाया है, उसका स्वागत किया जाना चाहिए. ऐसी कुप्रथाओं को खत्म करने से लैंगिक न्याय की दिशा में आगे बढ़ना संभव होगा. ऐसी क्रूर और अमानवीय प्रथाओं की शिकार हिम्मतवाली औरतों के समूह को भी सलाम, जो इस मामले को सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के सामने लेकर आईं. ऐसी प्रथाओं को किसी भी समुदाय में मंजूर नहीं किया जाना चाहिए. चाहे मुस्लिम समुदाय हो, या हिंदू. इसीलिए इन प्रथाओं के दायरे में सभी समुदाय आने चाहिए. बहुविवाह हिंदू समुदाय में भी प्रचलित है. इसकी मिसाल गोवा फैमिली कानून, 1880 है, जिसमें हिंदू मर्दों को दूसरी शादी करने की इजाजत दी गई है- अगर पहली बीवी बच्चे पैदा नहीं कर सकती- खासकर बेटा. वैसे हिंदू मैरिज एक्ट बहुविवाह को गैर कानूनी बनाता है. पर 1961 से 1974 के बीच के सरकारी सर्वेक्षण बताते हैं कि हिंदुओं में भी बहुविवाह एक बड़ी समस्या थी. 1974 के सर्वे में मुस्लिम समुदाय में बहुविवाह के आंकड़े 5.6 परसेंट थे, तो हिंदु समुदाय में 5.8 परसेंट. तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में दो पत्नियां होना कोई असामान्य बात नहीं रही है. अलग छोटे घर (चिन्ना विडु या चिन्ना इल्लू) में दूसरी बीवी को रखा जा सकता है. इसे बड़े-बड़े राजनेताओं और अभिनेताओं ने खूब प्रश्रय दिया है. तो, कानून या अदालती आदेश से भी कुछ ज्यादा बदलने वाला नहीं है.

सवाल यह है कि मौजूदा कानूनों को भी ठीक से लागू किया जा रहा है या नहीं. अधिकतर तो इन कानूनों के पालन से ज्यादा इनके उल्लंघन के मामले सामने आते हैं. पितृसत्ता इन कानूनों के रास्ते में बार-बार रुकावट खड़ी करती है. बलात्कार, दहेज संबंधी हिंसा, घरेलू हिंसा और कार्यस्थलों पर यौन हिंसा, सभी के लिए कानून हैं लेकिन इनकी रोजाना धज्जियां उड़ाई जाती हैं. अगर घरेलू हिंसा कानून के तहत कोई महिला अपने पति के खिलाफ बहुविवाह का मामला दर्ज करे, तो उसे बिना उसका धर्म पूछे न्याय मिल सकता है. यह एक सेक्यूलर कानून है और बहुविवाह, निकाह हलाला, तीन तलाक और दूसरे सभी घरेलू मसलों में महिलाओं को संरक्षण देता है. इस कानून के तहत 90 दिन में मामले की सुनवाई और निपटारा होना चाहिए. लेकिन केस सालों साल अटके रहते हैं.

औरतों की बराबरी के मसले पर अक्सर कॉमन सिविल कोड का नारा दिया जाता है. लेकिन इस कोड में किन पहलुओं को शामिल किया जाएगा, अभी यह स्पष्ट नहीं है. जैसे यह नहीं बताया गया है कि इस कोड में शादी, तलाक, गुज़ारा भत्ता, बच्चों की कस्टडी, उत्तराधिकार, शादी के बाद मियां-बीवी की प्रॉपर्टी वगैरह के लिए क्या प्रोविजन होगा. क्या सभी समुदाय अपने उन कानूनों का त्याग करने को तैयार होंगे जिन्हें उनके धर्म और रीति-रिवाज ने मिल-जुलकर तैयार किया है. फिर भी पहल तो करनी होगी. एक ऐसे सेक्यूलर कानून की, जिसमें औरतों को विभिन्न अधिकारों और सुरक्षा की गारंटी मिले. न सिर्फ औरतों को, बल्कि समलैंगिक समुदाय के अधिकारों की भी रक्षा हो.

पिछले साल नवंबर में देश के कई नामचीन लोगों ने मिलकर एक प्रोग्रेसिव यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार किया और इसे लॉ कमीशन के चेयरमैन बी.एस.चौहान को सौंपा. इस समूह में एक्टिविस्ट बेजवाड़ा विल्सन, शिक्षाविद मुकुल केसवन, लेखिका नीलांजना रॉय, विद्वान इरफान हबीब, संगीतकार टी एम कृष्णा शामिल थे. इस कोड में हर जेंडर, सेक्सुएलिटी, धार्मिक समूह को अपने पारिवारिक और व्यक्तिगत जीवन में समान अधिकार देने की बात कही गई है. सबसे बड़ा रीफॉर्म तो यह प्रस्ताव है कि लेस्बिनय, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर औऱ क्वीर (एलजीबीटीक्यू प्लस) लोगों को शादी करने, विवाह से इतर मान्यता प्राप्त संबंध रखने, बच्चों को गोद देने, तलाक देने और संपत्ति का उत्तराधिकार बनने का हक दिया जाए.

बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट की पहल से कुछ रास्ते साफ होंगे. अक्सर औरत के आजू-बाजू के रिश्ते ही उसे चक्करदार-घुमावदार रास्तों पर धकेलते हैं. पर अब वह सड़कों पर अपने हकूक के लिए उतर रही है. अपनी दुनिया को देखने के लिए बेताब है. कुछ हिचकिचाहट है लेकिन कहीं-कहीं बेखौफ भी है. सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा ऐसी ही बेफौक औरतों ने खटखटाया है.

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

इंडिगो संकट पर सरकार सख्त, जांच कमेटी के सामने पेश हुए CEO एल्बर्स , आज DGCA करेगी सवाल-जवाब
इंडिगो संकट पर सरकार सख्त, जांच कमेटी के सामने पेश हुए CEO, आज DGCA करेगी सवाल-जवाब
अखिलेश यादव का आरोप, 'सरकार की आलोचना करो तो BJP पुराने केस खोलकर गिरफ्तार करती है'
अखिलेश यादव का आरोप, 'सरकार की आलोचना करो तो BJP पुराने केस खोलकर गिरफ्तार करती है'
कश्मीर का कहवा, बंगाल का रसगुल्ला, पंजाब की मिस्सी रोटी... PM मोदी के NDA सांसदों को दिए डिनर का मेन्यू वायरल
कश्मीर का कहवा, बंगाल का रसगुल्ला... PM मोदी ने NDA सांसदों को दिया डिनर; मेन्यू वायरल
IND vs SA 2nd T20: 10 या 12 नहीं... भारतीय गेंदबाजों ने फ्री में दक्षिण अफ्रीका को दिए पूरे 22 रन; बन गया 'शर्मनाक' रिकॉर्ड
10 या 12 नहीं... भारतीय गेंदबाजों ने फ्री में दक्षिण अफ्रीका को दिए पूरे 22 रन; बन गया 'शर्मनाक' रिकॉर्ड
ABP Premium

वीडियोज

सीक्रेट लव का शैतान दुश्मन | Sansani
TMC सांसद ने मकर द्वार पर सुलगाई सिगरेट...Giriraj Singh ने सांसद को टोका | ABP News
UP Sir Update: घुसपैठियों के खिलाफ देश में पहली बार इतना बड़ा एक्शन! | SIR Controversy
Sandeep Chaudhary: विपक्ष को बिहार वाला भय...3 करोड़ वोट कटना तय? | SIR | Gyanesh Kumar
Hanumangarh Farmers Protest: देश का किसान इतना क्रोधित क्यों है?  | Bharat ki Baat With Pratima

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
इंडिगो संकट पर सरकार सख्त, जांच कमेटी के सामने पेश हुए CEO एल्बर्स , आज DGCA करेगी सवाल-जवाब
इंडिगो संकट पर सरकार सख्त, जांच कमेटी के सामने पेश हुए CEO, आज DGCA करेगी सवाल-जवाब
अखिलेश यादव का आरोप, 'सरकार की आलोचना करो तो BJP पुराने केस खोलकर गिरफ्तार करती है'
अखिलेश यादव का आरोप, 'सरकार की आलोचना करो तो BJP पुराने केस खोलकर गिरफ्तार करती है'
कश्मीर का कहवा, बंगाल का रसगुल्ला, पंजाब की मिस्सी रोटी... PM मोदी के NDA सांसदों को दिए डिनर का मेन्यू वायरल
कश्मीर का कहवा, बंगाल का रसगुल्ला... PM मोदी ने NDA सांसदों को दिया डिनर; मेन्यू वायरल
IND vs SA 2nd T20: 10 या 12 नहीं... भारतीय गेंदबाजों ने फ्री में दक्षिण अफ्रीका को दिए पूरे 22 रन; बन गया 'शर्मनाक' रिकॉर्ड
10 या 12 नहीं... भारतीय गेंदबाजों ने फ्री में दक्षिण अफ्रीका को दिए पूरे 22 रन; बन गया 'शर्मनाक' रिकॉर्ड
'शोले' की री-रिलीज से पहले अभिषेक बच्चन का खुलासा, कभी थिएटर में नहीं देखी पिता अमिताभ बच्चन की फिल्म
'शोले' की री-रिलीज से पहले अभिषेक बच्चन का खुलासा, कभी थिएटर में नहीं देखी फिल्म
आसिम मुनीर के CDF बनते ही एक्शन! ISI के पूर्व चीफ का कोर्ट मार्शल, 14 साल की सजा का ऐलान; इमरान के करीबी थी फैज
मुनीर के CDF बनते ही एक्शन! ISI के पूर्व चीफ का कोर्ट मार्शल, इमरान के करीबी थी फैज
कोई वेबसाइट या ऐप फेक या नहीं, कैसे करें पता? फ्रॉड होने से बचा लेगा यह तरीका
कोई वेबसाइट या ऐप फेक या नहीं, कैसे करें पता? फ्रॉड होने से बचा लेगा यह तरीका
यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान में किसे कितना मिलता है रिजर्वेशन, जानें किन स्टूडेंट्स को मिलता है सबसे ज्यादा फायदा?
यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान में किसे कितना मिलता है रिजर्वेशन, जानें किन स्टूडेंट्स को मिलता है सबसे ज्यादा फायदा?
Embed widget