'न्यू इंडिया' की हाईटेक पुलिस को राह दिखाएगा यूपी ?
पुलिसिंग में सुधार के लिए बुलाए गए इस सबसे बड़े सम्मेलन में सभी राज्यों की पुलिस के बीच 6 अहम मुद्दों पर चर्चा हुई... जिसमें देशभर में पुलिसिंग में सुधार लाने के अलावा... पुलिसिंग में तकनीक के इस्तेमाल यानी फॉरेंसिक साइंस और जांच के इस्तेमाल... समाज में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को अहमियत... कट्टरपंथ से निपटने में सोशल मीडिया की अहम भूमिका... अपराध नियंत्रण के लिए न्याय प्रणाली... और सबसे ज्यादा पुलिस और जनता के बीच भरोसा कायम करने जैसे बिंदुओं पर मंथन हुआ।

जब उत्तराखंड और यूपी एक साथ हुआ करते थे उस वक्त भी देशभर की पुलिस को हाईटेक बनाने की राह यूपी पुलिस ने ही दिखाई थी...ऐसा मौका एक बार फिर यूपी के सामने है। बदलते वक्त के साथ-साथ अपराध का दायरा और तौर-तरीके भी बदलते जा रहे हैं...रोज़मर्रा की छुटपुट वारदातों के अलावा, साइबर क्राइम और आतंकवाद भी पुलिसवालों के लिए बड़ी चुनौती हो गया है। ऐसी तमाम चुनौतियों से निपटने और पुलिसिंग में बदलाव के लिए राजधानी लखनऊ में 2 दिन तक ऑल इंडिया पुलिस साइंस कांग्रेस चली..देशभर के आला पुलिस अफसरों के साथ ही देश के गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इसमें शामिल हुए और अपने अहम सुझाव दिए।
पुलिसिंग में सुधार के लिए बुलाए गए इस सबसे बड़े सम्मेलन में सभी राज्यों की पुलिस के बीच 6 अहम मुद्दों पर चर्चा हुई... जिसमें देशभर में पुलिसिंग में सुधार लाने के अलावा... पुलिसिंग में तकनीक के इस्तेमाल यानी फॉरेंसिक साइंस और जांच के इस्तेमाल... समाज में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को अहमियत... कट्टरपंथ से निपटने में सोशल मीडिया की अहम भूमिका... अपराध नियंत्रण के लिए न्याय प्रणाली... और सबसे ज्यादा पुलिस और जनता के बीच भरोसा कायम करने जैसे बिंदुओं पर मंथन हुआ। पुलिस साइंस कांग्रेस के समापन समारोह में पहुंचे देश के गृहमंत्री अमित शाह ने देश भर की पुलिसफोर्स के अफसरों को आपराधिक मामलों में फॉरेंसिक जांच पर जोर देने की अपील की... लेकिन ऐसे बड़े आयोजनों से निकलने वाले निचोड़ अक्सर धरातल पर उतरने में कामयाब नहीं हो पाते... इसीलिये गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि पुलिस कांग्रेस में सिर्फ चर्चा ही नहीं हो बल्कि पुलिस सुधार के लिए इसे अमल में लाना शुरु कर देना चाहिये।
गृहमंत्री ने जो बात कही वो इसलिये जरूरी है क्योंकि पुलिस रिफॉर्म पर सिर्फ चर्चा हो और वो लागू ना हो.. तो ऐसी ही तस्वीरें सामने आएंगी... जिनसे बार-बार पूरे पुलिस महकमे की किरकिरी होती है... दरअसल पुलिसवालों के पास बंदूकें तो होती हैं लेकिन मौके पर वो चल ही नहीं पातीं... या तो मॉक ड्रिल को तमाशा बनाया दिया जाता है.. तो पुलिस सुधार को लेकर हुए इस 'महा मंथन' से कुछ बड़े सवाल निकलने लाजमी हैं कि क्या 'न्यू इंडिया' की हाईटेक पुलिस को उत्तर प्रदेश से नई राह मिलेगी?... क्या सिर्फ हाईटेक हो जाने से यूपी पुलिस काबिल हो जाएगी? और यूपी पुलिस पर 'संवेदनहीन' और 'गैर पेशेवर' होने का जो दाग है उससे उसे छुटकारा कैसे मिलेगा?
देशभर के आला पुलिस अफसरों ने 2 दिन तक तमाम मुद्दों पर माथापच्ची तो कर ली, ऐसी चर्चाएं पहले भी होती रही हैं। अहम बात ये है कि उन चर्चाओं में जो निकला, उस पर अमल कितना हुआ। असल जरूरत अमल की है। ईमानदारी से अमल की जरूरत। पुलिस को जितना हाईटेक बनना है उससे कहीं ज्यादा ईमानदार और संवेदनशील बनने की जरूरत है। पुलिस महकमे के भीतरी हालात को सुधारने की जरूरत है। पुलिसवालों पर बढ़ते दबाव को कम करने की जरूरत है। अगर इन सारे पहलुओं पर सामूहिक तौर पर आगे बढ़ा जाए तो यकीनन हमारी पुलिस दुनिया के सामने एक मिसाल बन सकती है।



























