एक्सप्लोरर

पांचवी बार रूसी राष्ट्रपति बने पुतिन भारत के लिए एक अच्छी खबर, अमेरिका सहित पश्चिमी देशों की रहेगी टेढ़ी नजर

रूस के व्लादिमीर व्लादिमीरोविच पुतिन पांचवीं बार राष्ट्रपति पद के लिए चुने गए हैं.कई बार बात सामने आ रही थी कि पुतिन कमजोर हो गए हैं, अब वो सत्ता में नहीं आ पाएंगे या ऐसी ही कुछ और बातें चल रही थीं. पुतिन एक ऐसे युद्ध में भी फंसे हैं, जिसको दो साल (रूस और यूक्रेन युद्ध) से अधिक हो गए, हालांकि, करीब 80 फीसद से अधिक वोट पाकर पुतिन फिर से वहां के राष्ट्राध्यक्ष बन गए. 1991 में सोवियत संघ से रूस जब स्वतंत्र हो गया था, उसके बाद से अब तक की ये सबसे बड़ी जीत है, जब किसी को 80 फीसद से अधिक वोट मिले हैं. पुतिन एक लंबे राजनीतिक नेता के तौर पर भी देखे जा सकते हैं. पुतिन पहली बार सन 2000 में राष्ट्राध्यक्ष बने थे.  इस कार्यकाल के साथ वो सोवियत संघ के पूर्व राष्ट्रपति जोसेफ स्टालिन को भी पीछे छोड़ देंगे.

2030 तक रहेगा पुतिन का कार्यकाल 

पहली बार वो 2000 से 2004 तक, उसके बाद 2004 से 2008 तक के कार्यकाल में राष्ट्रपति बने रहे. उसके बाद संविधान के अनुसार उनको अपना पद छोड़ना पड़ा. क्योंकि जो दो बार राष्ट्रपति पद पर लगातार बना रहता है, वो तीसरी बार उस पद पर नहीं रह सकता. फिर, मेदवेदेव को राष्ट्राध्यक्ष बनाकर पुतिन प्रधानमंत्री बन गए थे. 2012 में उन्होंने राष्ट्राध्यक्ष के पद पर वापसी कर ली थी. उसके बाद 2020 में रूस के संविधान में संशोधन किया गया. उसके बाद ये फिर से अब राष्ट्राध्यक्ष बन गए है. संविधान संशोधन के बाद ये किया गया कि कोई भी राष्ट्राध्यक्ष दो बार बन सकता है, लेकिन तीसरी बार नहीं बन सकता, चाहे उसने लगातार कार्यकाल पूरा किया हो या फिर एक कार्यकाल छोड़कर राष्ट्राध्यक्ष बना हो. इसकी बड़ी खास बात यह थी कि इस संशोधन के अनुसार इसकी गणना  2020 के बाद के समय  के अनुसार होगी. 2020 से पहले पुतिन राष्ट्राध्यक्ष का चार कार्यकाल पूरा कर चुके थे. चूंकि, रूस में कार्यकाल छह साल का होता है तो उन्होंने 2024 के चुनाव में भाग लिए. नये संविधान संशोधन के अनुसार वो 2030 में होने वाले चुनाव में भी भाग ले सकते हैं.

इस बार राष्ट्राध्यक्ष के चुनाव में कुल चार कैंडिडेट ने भाग लिया था. उसमें से दो कैंडिडेट को रिजेक्ट कर दिया गया था, जिसमें वोटर लिस्ट और अन्य कागजात दुरुस्त ना होने की बात बताई गई थी. उसमें माना जाता है कि एक उम्मीदवार पुतिन-विरोधी भी थे. तो, नैतिक रूप से बाधित फैसला होने की बात कही जा रही है, लेकिन 88 प्रतिशत के आसपास पुतिन को वोट आए है. बाकी तीन प्रत्याशियों को कुल-मिलाकर 12 प्रतिशत वोट मिले. पुतिन की जो सफलता है उनके आगे दूसरे और तीसरे नंबर के कैंडिडेट कहीं आगे नहीं टिकते दिखे. पुतिन का मत प्रतिशत भी बढ़ा है. 2000 में लगभग 54 फीसदी मत पानेवाले पुतिन इस बार 80 से अधिक फीसदी वोट पा कर आए हैं.   

रूस में चुनावः सचमुच या केवल नाम का

आलोचकों का कहना है कि चीन के चुनाव की तरह ही रूस का भी चुनाव हो गया है. चीन में खुले तौर पर ऑटोक्रैसी है. एक पार्टी का शासन है. रूस में भी पुतिन ने भी वो व्यवस्था कर के रखी है जिसके अंतर्गत सिर्फ नाममात्र का चुनाव होता है. उसके परिणाम पहले से तय होते हैं. पुतिन की सत्ता कहीं न कहीं अधिनायकवादी है. वो एक तानाशाह की तरह व्यवहार करते हैं. सोवियत संघ के टूटने के साथ ही रूस की एक तिहाई पॉलिटिकल पार्टीज खत्म हो चुकी हैं. पहले कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार काफी समय तक थी, लेकिन जब 1993 में नया संविधान बना तो एक पार्टी के शासन को हटा दिया था, लेकिन वह शायद केवल कागज पर ही हटा. देखें तो वहां के राजनीति में लंबे समय से वहां पुतिन ही काबिज हैं. बहुत सारी शक्तियां उनके पास हैं. अमेरिका और अन्य जगहों की तरह रूस में पार्लियामेंटरी डेमोक्रेसी सिस्टम नहीं है. कुछ विशेषज्ञ रूस को सुपर डेमोक्रेटिक प्रेसिडेंसियल के तौर पर देखते हैं. हालांकि, रूस का कहना है कि वो सॉवरिन डेमोक्रेसी यानी संप्रभु प्रजातंत्र है. अब इसके मायने क्या है, यह तो सोचने की बात है. रूस में जिस तरह की डेमोक्रेसी को डेवलप किया जा रहा है, जैसा कि वहां का इतिहास और वहां के लोगों के डायनेमिक्स हैं, उसके हिसाब से वहां पर डेवलप किया जा रहा है.

अब चुनाव में ही देखें तो एक तो वहां पर विपक्ष होता ही नहीं है और दो चार जो होते हैं वो सिर्फ नाम मात्र के होते हैं. भारत के चुनाव के समय में एक माहौल होता है, लेकिन रूस में ऐसा नहीं होता. रूस में जिस प्रकार से चुनाव होते हैं मानें कहीं कुछ हो ही नहीं रहा. सिर्फ वोटिंग के दिन जाकर लोग वोट करते हैं. रूस ने इस बार तो ऑनलाइन वोटिंग का भी प्रावधान किया था. ऐसे में रूस के चुनाव को साइलेंट इलेक्शन भी कहा जा सकता है. वेस्टर्न देशों का आरोप है कि वहां पर चुनाव की प्रक्रिया को दिखाने से भी रोका जाता है, क्योंकि पर्यवेक्षक आने से रोका जाता है. प्रेस के फ्रीडम, पॉलिटिक्ल पार्टी पर फ्रीडम आदि पर वहां छूट नहीं है. इसलिए ऐसे आरोप वहां पर लगातार लगते रहे हैं.

पश्चिमी देशों से रूस के संबंध 

रूस में फिर से पुतिन राष्ट्राध्यक्ष बने हैं. ऐसे में वैश्विक स्तर पर क्या कुछ प्रभाव पड़ेगा ये सवाल भी लोगों के जहन में उठता दिख रहा है. यकीनन इसका वैश्विक स्तर पर इसका असर पड़ेगा. पिछले दो सालों से रूस और युक्रेन में युद्ध छिड़ा है. अगर अभी हम देखें तो रूस और पश्चिमी देशों के साथ संबंध शीतयुद्ध के बाद अबतक के सबसे खराब स्तर पर हैं. लगभग सभी देशों से दुश्मनी जैसे हालात बने हुए हैं. पुतिन को सबसे अधिक वोट मिला है. उनसे पुतिन को लगता है वो पश्चिमी देशों के विरोध में है इसलिए लोग उनको पसंद कर रहे हैं. इस तरह पुतिन खुद को एक मजबूत लीडर के रूप में देख रहे हैं. उनके फिर से चुने जाने पर जो पश्चिमी देशों के साथ रिश्ते खराब है वो फिलहाल वैसे ही रहेंगे या हो सकता है उससे भी ज्यादा खराब हो जाए. क्योंकि पुतिन हमेशा न्यूक्लीयर अटैक की बात करते रहते हैं. हाल में एक इंटरव्यू में भी उन्होंने ऐसा कहा है.  

रूस के यूरोप और अमेरिकन देशों के साथ संबंध ठीक नहीं हैं. तो ऐसे में रूस हमेशा से ये काम करता है कि एशिया के देशों से अपने संबंध को ठीक रखे. फिलहाल भारत और चीन, ईरान आदि देशों के साथ रूस के संबंध फिलहाल ठीक होते दिख रहे हैं. भारत के लिए राष्ट्राध्यक्ष पुतिन हमेशा एक मित्र के तौर पर रहे हैं. साल 2000 में जब अटल बिहारी बाजपेयी पीएम थे, तभी से रूस से भारत के संबंध ठीक रहे हैं. सुरक्षा की दृष्टि, व्यापार के मामले में भी रूस भारत का एक पार्टनर है. रूस हमेशा भारत का ग्लोबल प्लेटफार्म पर भी समर्थक रहा है. पीएम मोदी और पुतिन के संबंध व्यक्तिगत तौर पर भी अच्छे माने जाते हैं. युद्ध के समय में वह मोदी ही थे, जिन्होंने पुतिन के सामने यह कहा था कि यह युद्ध का समय नहीं है और पुतिन ने उन्हें सुना था. अभी भी दोनों के बीच टेलिफोन पर वार्ता होती रही है. हालांकि, भारत के फिलहाल पश्चिमी देशों के साथ अच्छे संबंध हैं तो ऐसे में रूस के अलावा भी सभी संबंधों का ध्यान रखना होगा. पुतिन के राष्ट्राध्यक्ष बनने से भारत में कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा, हां एक आश्वस्ति का ही भाव आएगा.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.]

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

Sydney Beach Shooting: ऑस्ट्रेलिया में यहूदी फेस्टिवल के दौरान बीच पर अंधाधुंध फायरिंग, 10 की मौत; हजारों की संख्या में मौजूद थे लोग
ऑस्ट्रेलिया में यहूदी फेस्टिवल के दौरान अंधाधुंध फायरिंग, 10 की मौत; हजारों की संख्या में मौजूद थे लोग
'मेरा लक्ष्य राज करना नहीं बल्कि...', UP बीजेपी अध्यक्ष बनने के बाद पंकज चौधरी की पहली प्रतिक्रिया
UP बीजेपी अध्यक्ष बनने के बाद पंकज चौधरी की पहली प्रतिक्रिया, जानें क्या कहा?
BBL: बिग बैश लीग के डेब्यू मैच में फ्लॉप रहे बाबर आजम, लप्पा शॉट मारकर हुए आउट; टीम भी हारी
बिग बैश लीग के डेब्यू मैच में फ्लॉप रहे बाबर आजम, लप्पा शॉट मारकर हुए आउट; टीम भी हारी
Akhanda 2 Box Office Collection Day 3: 'धुरंधर' के आगे तांडव मचा रही 'अखंडा 2', तीन दिन में ही वसूला इतना बजट
'धुरंधर' के आगे तांडव मचा रही 'अखंडा 2', तीन दिन में ही वसूला इतना बजट
ABP Premium

वीडियोज

Messi India Tour: India Tour पर Messi का सफर विवादों में, Kolkata से Mumbai तक हंगामा |ABPLIVE
Congress In Ramlila Miadan: PM मोदी के खिलाफ कांग्रेस ने किया महा पाप! | Vote Chori
Syria में ISIS का American ठिकानों पर हमला, Donald Trump ने कड़ा जवाब देने की दी चेतावनी ! |ABPLIVE
Fog Update: Greater Noida की सड़को पर देखने को मिला कोहरे का आतंक !
अगला हफ्ता Share Market के लिए क्यों है निर्णायक? | Paisa Live

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Sydney Beach Shooting: ऑस्ट्रेलिया में यहूदी फेस्टिवल के दौरान बीच पर अंधाधुंध फायरिंग, 10 की मौत; हजारों की संख्या में मौजूद थे लोग
ऑस्ट्रेलिया में यहूदी फेस्टिवल के दौरान अंधाधुंध फायरिंग, 10 की मौत; हजारों की संख्या में मौजूद थे लोग
'मेरा लक्ष्य राज करना नहीं बल्कि...', UP बीजेपी अध्यक्ष बनने के बाद पंकज चौधरी की पहली प्रतिक्रिया
UP बीजेपी अध्यक्ष बनने के बाद पंकज चौधरी की पहली प्रतिक्रिया, जानें क्या कहा?
BBL: बिग बैश लीग के डेब्यू मैच में फ्लॉप रहे बाबर आजम, लप्पा शॉट मारकर हुए आउट; टीम भी हारी
बिग बैश लीग के डेब्यू मैच में फ्लॉप रहे बाबर आजम, लप्पा शॉट मारकर हुए आउट; टीम भी हारी
Akhanda 2 Box Office Collection Day 3: 'धुरंधर' के आगे तांडव मचा रही 'अखंडा 2', तीन दिन में ही वसूला इतना बजट
'धुरंधर' के आगे तांडव मचा रही 'अखंडा 2', तीन दिन में ही वसूला इतना बजट
'आतंकियों ने हनुका की पहली कैंडल...', ऑस्ट्रेलिया में यहूदी फेस्टिवल के दौरान मास शूटिंग पर इजरायल का पहला रिएक्शन
'आतंकियों ने हनुका की पहली कैंडल...', सिडनी मास शूटिंग पर इजरायल का पहला रिएक्शन
ब्लड शुगर और बढ़े कोलेस्ट्रॉल से परेशान हैं? मोरिंगा पत्तों का सेवन दे सकता है राहत
ब्लड शुगर और बढ़े कोलेस्ट्रॉल से परेशान हैं? मोरिंगा पत्तों का सेवन दे सकता है राहत
Video: शादी से कुछ घंटे पहले अपने प्रेमी से मिलने पहुंची दुल्हन, भाई को बोली बस आखिरी बार मिलवा दे- वीडियो वायरल
शादी से कुछ घंटे पहले अपने प्रेमी से मिलने पहुंची दुल्हन, भाई को बोली बस आखिरी बार मिलवा दे- वीडियो वायरल
NCERT ने साल 2025 में सिलेबस में किए ये बड़े बदलाव, आपके लिए भी जानना बेहद जरूरी
NCERT ने साल 2025 में सिलेबस में किए ये बड़े बदलाव, आपके लिए भी जानना बेहद जरूरी
Embed widget