एक्सप्लोरर

BLOG: बहुत कठिन राजनीतिक डगर है प्रियंका गांधी की

कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं की मांग तो दशकों से थी, लेकिन प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में प्रवेश का इससे बेहतर समय नहीं हो सकता था. एक तरफ जहां कांग्रेस पार्टी लोकसभा सीटों के लिहाज से दारुण स्थिति में है, तो दूसरी तरफ तीन प्रमुख राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में उसे मिली हालिया सफलता ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मन में आगामी आम चुनाव को लेकर नई उम्मीद जगा दी है. बेटी प्रियंका गांधी की इंट्री को हम उनकी मां सोनिया गांधी की सक्रिय राजनीति से आश्वतिकारक विदाई का संकेत भी मान सकते हैं. प्रियंका पारंपरिक रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर सोनिया गांधी की उत्तराधिकारी बनती भी दिख सकती हैं. कांग्रेस ने प्रियंका को ऐसे समय में सक्रिय राजनीति में उतारा है जब सपा-बसपा ने दलित-पिछड़े और मुसलमान वोटों के लिए आपसी गठबंधन किया है, और भाजपा ने संविधान संशोधन करके सामान्य वर्ग के गरीबों को 10% आरक्षण तथा आनन-फानन में एट्रोसिटी एक्ट बदल दिया है.

इस घटनाक्रम की टाइमिंग को लेकर बहस होना स्वाभाविक है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि प्रियंका की ही तरह सोनिया गांधी की सक्रिय राजनीति में इंट्री 1997 में उस समय हुई थी, जब कांग्रेस बेहद मुश्किल में थी. सोनिया ने 1998 में पार्टी अध्यक्ष चुनी जाकर 1999 में लोकसभा सीट स्वयं जीती और नरसिम्हा राव की सरकार के जाने के बाद उन्होंने अटल सरकार की इंडिया शाइनिंग को धूमिल करते हुए 2004 में कांग्रेस को अकेले दम पर केंद्रीय सत्ता में स्थापित कर दिया था. यद्यपि प्रियंका गांधी फिलहाल कांग्रेस की महासचिव नियुक्त की गई हैं और उनका कार्यक्षेत्र भी सीमित रखा गया है, इसके बावजूद कांग्रेस उनके सहारे केंद्र की सत्ता में वापसी के सपने देखना शुरू कर चुकी है. पार्टी की रणनीति होगी कि प्रियंका को सामने रख कर आधी आबादी की समस्याओं का समाधान करने की उम्मीद बंधाई जाए, साथ ही साथ उनका युवा चेहरा पेश करके महिला कांग्रेस, यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई को पूरी ताकत के साथ मोर्चे पर भिड़ाया जाए. राहुल-प्रियंका की जुगलबंदी पूरे देश के युवाओं के बीच कांग्रेस की खोई हुई जमीन पाने के काम में भी आ सकती हैं.

पीएम मोदी ने अप्रत्यक्ष रूप से प्रियंका की इंट्री को वंशवाद का दुष्परिणाम भले ही बताया हो, लेकिन वह कांग्रेस में एक लंबी प्रक्रिया और व्यवस्थित योजना के बाद सक्रिय हुई हैं. गांधी-नेहरू परिवार की समृद्ध राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए प्रियंका सक्रिय राजनीति में कदम रखने से पहले करीब दो दशक तक राजनीतिक बारीकियों से रूबरू होती रहीं. उन्हें राजनीति में लाने की मांग वाले होर्डिंग्स उनके समर्थक देश के विभिन्न शहरों में लगाते रहे हैं, लेकिन हर बार प्रियंका ने पार्टी के अहम फैसलों में खुद को पर्दे के पीछे रखा और हर मुश्किल में मां-भाई-पति के साथ चट्टानी मजबूती से खड़ी रहीं. फिर चाहे वह चुनाव प्रचार का मामला हो या राजनीतिक हमले झेलने की बारी हो.

इस प्रक्रिया में प्रियंका की छवि अपने घर-परिवार के लिए प्रतिबद्ध एक सौम्य नारी, क्षेत्र की जनता से सहज मेलजोल रखने वाली कार्यकर्ता और एक खुशनुमा, तेज-तर्रार, हाजिरजवाब, निर्भीक नेत्री की बनती चली गई. उनकी हेयरस्टाइल, वेशभूषा और व्यक्तित्व में लोगों ने उनकी दादी इंदिरा गांधी की छवि भी देखी. इसके बावजूद पार्टी में पद की राजनीति पर हर बार प्रियंका कन्नी काटती रहीं. राहुल गांधी को कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनाए जाने के समय भी पार्टी प्रियंका को लाना चाहती थी, लेकिन उन्होंने अपने परिवार और नन्हें बच्चों को संभालने का बहाना बना कर आमने-सामने की राजनीति से दूरी बनाए रखी. लेकिन अब शायद बच्चों के बड़े हो जाने और गांधी-नेहरू खानदान पर लगातार अनधिकार राजनीतिक हमलों से आहत होकर वह राजनीतिक खिलाड़ी बनने को तैयार हो गई हैं. प्रियंका के अमेठी और रायबरेली से बाहर निकलने का कांग्रेस को यह लाभ भी होगा कि राहुल गांधी कुछ खास सीटों या पीएम की कुर्सी का मार्ग प्रशस्त करने वाले उत्तर प्रदेश पर विशेष ध्यान केंद्रित करने के बजाए पूरे भारत में प्रचार करने को स्वतंत्र होंगे.

प्रियंका गांधी के सक्रिय होने को भले ही मोदी-योगी द्वारा डाउनप्ले किया जा रहा हो, लेकिन यह बीजेपी और अन्य राजनीतिक दल भी समझते हैं कि उनकी इस नियुक्ति का देशव्यापी असर होने जा रहा है. बीजेपी की बौखलाहट इसी बात से समझ में आती है कि उसने प्रियंका गांधी का असर घटाने के लिए उनके सामने स्टार प्रचारकों की ब्रिगेड तैनात कर दी है, साथ ही साथ उनकी छवि को धूमिल करने के लिए पार्टी के लाउड स्पीकर नेताओं को सक्रिय कर दिया है. योगी आदित्यनाथ बयान दे रहे हैं कि शून्य और शून्य का योग शून्य ही होता है. यानी वह प्रियंका की हस्ती ही मिटाना चाहते हैं. वरिष्ठ भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय फरमाते हैं कि चूंकि कांग्रेस के पास नेता नहीं हैं, इसलिए वह चॉकलेटी चेहरे के माध्यम से चुनाव में जाना चाहती है. यानी स्वयं को बार-बार साबित कर चुकी समानधर्मा नेत्री की सुंदरता पर कटाक्ष किया जा रहा है! इस चक्कर में भाजपा भूल गई है कि वह सीधे-सीधे अपनी पुरुषवादी मानसिकता और महिला विरोधी रुख का खुला प्रदर्शन कर दे रही है, जिससे महिला मतदाताओं के बीच उसे लेने के देने पड़ सकते हैं.

प्रियंका के मैदान में उतरने से उत्तर प्रदेश में जमीन खो चुकी कांग्रेस एक तीसरी मजबूत धुरी बन सकती है. कांग्रेसी अभी से 'प्रियंका गांधी आई है, नई रोशनी लाई है' के नारे बुलंद करने लगे हैं. हालांकि खुद को अमेठी और रायबरेली संसदीय क्षेत्र तक सीमित रखने वाली प्रियंका को भी अब अहसास हो चुका होगा कि उनके सामने सपा-बसपा गठबंधन के साथ-साथ मोदी-योगी की जोड़ी का करिश्मा तोड़ने की बड़ी चुनौती है. कांग्रेस को इस बात का अहसास भी होगा कि प्रियंका गांधी नामक तुरुप का पत्ता अगर नहीं चला तो उसकी बड़ी किरकिरी होगी और कार्यकर्ताओं की निराशा का पारावार नहीं होगा. प्रियंका का दांव मिसफायर होने से कांग्रेस को दीर्घकालीन नुकसान हो सकता है. इसीलिए उन्हें घोषित तौर पर पूरे उत्तर प्रदेश का प्रभार नहीं दिया गया है और पूर्वी उत्तर प्रदेश को इसलिए चुना गया कि यहां की लगभग 30 सीटों पर पांसा पलटने के लिए कांग्रेस पर्याप्त मजबूत है. 2009 में इस क्षेत्र से पार्टी ने अमेठी और रायबरेली समेत कुल15 सीटें जीती थीं और 2014 में करारी हार के बावजूद पूर्वी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस प्रत्याशियों ने बेहतर प्रदर्शन किया था. पूर्वी उत्तर प्रदेश में अगर अगले आम चुनाव में कांग्रेस शानदार प्रदर्शन कर दिखाती है तो इसे प्रियंका का करिश्मा कह कर प्रचारित करने और फिर उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर लॉन्च करने में कांग्रेस को सुविधा होगी.

पार्टी ने प्रियंका की लोकप्रियता को वोटों में तब्दील करने की रणनीति बनाकर ही उन्हें मोदी-योगी और मायावती-अखिलेश के गढ़ में उतारा है. प्रियंका की सक्रियता से कई सीटों पर सपा समर्थक मुसलमानों मतों का बंटवारा हो सकता है और ब्राह्मण मतों में सेंधमारी करके वह भाजपा को नुकसान भी पहुंचा सकती हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी उत्तर प्रदेश में अपने दम पर यह करिश्मा नहीं दिखा सकते, लेकिन प्रियंका के बारे में धारणा है कि उनकी पब्लिक अपील राहुल गांधी से ज्यादा है और उनके ग्लैमर का सबसे ज्यादा असर युवा-वर्ग और महिलाओं में देखने को मिलेगा. इसके साथ-साथ वह शालीन ढंग से पीएम मोदी और भाजपा की साम्प्रदायिक नीतियों पर हमला करके एक बड़े मतदाता वर्ग को अपने पाले में कर सकती हैं.

प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में उतारना कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक और पार्टी के लिए गेम चेंजर निर्णय बताया जा रहा है. लेकिन उत्तर प्रदेश के बदले हुए जातीय समीकरणों और राजनीतिक हालात में प्रियंका की राह आसान नहीं होगी. भाजपा उनके पति राबर्ट वाड्रा का कथित भ्रष्टाचार उछालकर उनकी छवि पर कालिख पोतने से पीछे नहीं हटेगी, यहां तक कि उनके ग्लैमर की काट निकालने के लिए फिल्मी हीरोइनों को प्रचार में उतारने से नहीं चूकेगी. वैसे भी महज पूर्वी उत्तर प्रदेश की सफलता प्रियंका गांधी को देशव्यापी श्रेय नहीं दिला सकती. इतना अवश्य होगा कि जनता से प्रभावी संवाद साधने में सक्षम और कुशल प्रचार प्रबंधक प्रियंका गांधी का तोड़ निकालने के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश में भाजपा के साथ-साथ सपा-बसपा का गठजोड़ बनाने वालों को भी नए सिरे से अपनी रणनीति बुनने को मजूबर होना पड़ेगा. यह भी संभव है कि सपा-बसपा को अंदरखाने कांग्रेस से कई सीटों पर वोट स्थानांतरण के लिए समझौता करना पड़ जाए!

लेखक से ट्विटर पर जुड़ने के लिए क्लिक करें- https://twitter.com/VijayshankarC और फेसबुक पर जुड़ने के लिए क्लिक करें- https://www.facebook.com/vijayshankar.chaturvedi

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

MiG-29, Yak-130 से F-7 तक... बांग्लादेश की सेना के पास हैं कौन से हथियार, जानें सब कुछ
MiG-29, Yak-130 से F-7 तक... बांग्लादेश की सेना के पास हैं कौन से हथियार, जानें सब कुछ
रेलवे के किराया बढ़ाने पर सियासी घमासान, विपक्ष ने बोला हमला, BJP ने क्या कहा?
रेलवे के किराया बढ़ाने पर सियासी घमासान, विपक्ष ने बोला हमला, BJP ने क्या कहा?
Year Ender 2025: हीरो नहीं, विलेन के नाम रहा 2025, लुक से लेकर एक्टिंग तक के फैन हुए दर्शक
हीरो नहीं, विलेन के नाम रहा 2025, लुक से लेकर एक्टिंग तक के फैन हुए दर्शक
शुभमन गिल के ड्रॉप होने पर आ गया गौतम गंभीर का रिएक्शन, वीडियो देख चौंक जाएंगे आप
शुभमन गिल के ड्रॉप होने पर आ गया गौतम गंभीर का रिएक्शन, वीडियो देख चौंक जाएंगे आप
ABP Premium

वीडियोज

Top News: इस घंटे की बड़ी खबरें | North- India Pollution | Railway | Ticket's Price | Maharashtra
Top News: 4 बजे की बड़ी खबरें | North- India Pollution | Railway | Ticket's Price | Maharashtra
Hijab Controversy: हिजाब विवाद पर दिल्ली में घिरे CM Nitish Kumar, जवाब देने से किया साफ इनकार!
Varanasi Weather Update: ठंड ने बदला काशी का अंदाज, शीतलहर के बीच देव विग्रहों पर ऊनी वस्त्र |
Top News: अभी की बड़ी खबरें | Aravalli | Akhilesh Yadav | Breaking News | Indian Railways

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
MiG-29, Yak-130 से F-7 तक... बांग्लादेश की सेना के पास हैं कौन से हथियार, जानें सब कुछ
MiG-29, Yak-130 से F-7 तक... बांग्लादेश की सेना के पास हैं कौन से हथियार, जानें सब कुछ
रेलवे के किराया बढ़ाने पर सियासी घमासान, विपक्ष ने बोला हमला, BJP ने क्या कहा?
रेलवे के किराया बढ़ाने पर सियासी घमासान, विपक्ष ने बोला हमला, BJP ने क्या कहा?
Year Ender 2025: हीरो नहीं, विलेन के नाम रहा 2025, लुक से लेकर एक्टिंग तक के फैन हुए दर्शक
हीरो नहीं, विलेन के नाम रहा 2025, लुक से लेकर एक्टिंग तक के फैन हुए दर्शक
शुभमन गिल के ड्रॉप होने पर आ गया गौतम गंभीर का रिएक्शन, वीडियो देख चौंक जाएंगे आप
शुभमन गिल के ड्रॉप होने पर आ गया गौतम गंभीर का रिएक्शन, वीडियो देख चौंक जाएंगे आप
साउथ अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में मास शूटिंग, बार में घुसकर लोगों को गोलियों से भूना, कम से कम 9 की मौत
साउथ अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में मास शूटिंग, बार में घुसकर लोगों को गोलियों से भूना, कम से कम 9 की मौत
पैगंबर मोहम्मद का उपदेश सुना हाई कोर्ट ने वकील को दी राहत, 19 साल बाद मिला न्याय; जानें पूरा मामला
पैगंबर मोहम्मद का उपदेश सुना HC ने वकील को दी राहत, 19 साल बाद मिला न्याय; जानें पूरा मामला
Night Duty Lifestyle Problems: अक्सर नाइट शिफ्ट करते हैं तो तुरंत बदल लें नौकरी, वरना यह खतरनाक बीमारी बना लेगी शिकार
अक्सर नाइट शिफ्ट करते हैं तो तुरंत बदल लें नौकरी, वरना यह खतरनाक बीमारी बना लेगी शिकार
Video: शख्स ने N-95 मास्क से ढक दिया AQI मीटर, 200 से 35 पहुंच गया आंकड़ा- हैरान कर देगा वीडियो
शख्स ने N-95 मास्क से ढक दिया AQI मीटर, 200 से 35 पहुंच गया आंकड़ा- हैरान कर देगा वीडियो
Embed widget