एक्सप्लोरर

मेरी पसंद की साल 2022 की दस किताबें....

..तो लो जी साल 2022 खत्म होने पर आ गया और क्या पाया क्या खोया की तर्ज पर फिर से एक बार पुराने साल के गुजरे दिनों को याद करने का दस्तूर शुरू हो गया है. क्या खोया और क्या मिला की तरह मैं ये सोचने बैठा हूं कि क्या पढ़ा और क्या नहीं पढ़ पाया? दो साल तक कोरोना की मार झेलने के बाद प्रकाशन इंडस्टी फिर खडी हुयी और इस साल पिछले साल के मुकाबले बहुत बेहतर किताबें आयीं.अच्छे लेखकों की अलग विषयों पर लिखी किताबें तो सोचा क्यों ना आप सबसे साझा किया जायें इस साल आयीं ढेरों किताबों में से मेरी पसंद की दस किताबें.

पहली किताब है मृत्यु कथा 
कथाकार और पत्रकार आशुतोष भारद्वाज की ये किताब बस्तर में चल रहे पुलिस नक्सली संघर्ष की छोटी छोटी सच्ची कहानियों की गाथा है. आमतौर पर अखबारों में सिंगल कालम में छपने वाली एनकाउंटर की खबरों को आशुतोष ने मौके पर जाकर भावनात्मक रूप से खंगाला है. मुठभेड़ में मारे गये लोगों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से लेकर उन इलाकों में रूक कर और कुछ मौकां पर घिरकर आशुतोष ने आदिवासी और नक्सली चेहरों के पीछे की हकीकत सामने लायी है. ये किताब बहुत बेचैन करती है. मगर किसी डिस्टर्ब एरिया में रहकर कोई पत्रकार इससे बेहतर क्या लिखेगा जो आशुतोष ने लिखा है.

दूसरी किताब है ढलती सांझ का सूरज 
कथाकार मधु कांकरिया की ये किताब मराठवाड़ा में किसानों की आत्महत्या के मसले पर अलग तरीके से लिखने की कोशिश है. एक मां विदेश में रहने वाले बेटे को कैसे देश के किसानों के हालातों से रूबरू कराती है उस पर ये उपन्यास बडे रोचक तरीके से लिखा गया है जिसमें अंत तक सस्पेंस भी बना रहता है. उपन्यास की कथा दिल को छूने वाली और सच्ची इसलिये बन पडी है कि लेखिका ने अपने बेटे के साथ किसान की परेशानियों वाले इन इलाकों का दौरा किया. किसान जीवन की दिन ब दिन कठिन होती जा रही सच्चाईयों पर कभी ना भूलने वाला उपन्यास. 

तीसरी किताब है आंधारी
लेखिका नमिता गोखले का ये उपन्यास कोरोना महामारी के दिनों की कथा है. जिसमें चार मंजिलों में बिखरे संयुक्त परिवार के दायरे और उनको जोड़ने वाली बुजुर्ग महिला मातांगी मां की कहानी है. कोरोना के दिनों में आये लाकडाउन से कैसे गरीब और संपन्न वर्ग प्रभावित हुआ उस पर लिखी ये बेहतर उपन्यास है. मूल तौर पर अंग्रेजी में लिखी इस किताब का अनुवाद प्रभात रंजन ने किया है जो कहीं भी खटकता नहीं. 

चौथी किताब है कीडाजडी
यायावर लेखक अनिल यादव की ये किताब उनकी पुरानी किताब वह भी कोई देश है महाराजा की तरह चौंकाती है. इस बार अनिल उत्तर पूर्व नहीं बल्कि पहाड़ों पर गए हैं. ऐसी घाटियों में गये हैं जहां बिजली सडक मोबाइल सब बहुत किफायत से हैं तो बस जीने की अदम्य पहाडी इच्छा और उस इच्छा को बल देने वाली पिंडर घाटी में मिलने वाली कीडाजडी. पुरूषों को ताकत की दवा ये कीडाजडी की विदेशों में मिलने वाली कीमत की आस में आने वाले लोगों की गजब दास्तान सुनाती है लेखक ने. 

पांचवी किताब है लोग जो मुझमें रह गये
विदेश में घूम घूम कर लिखने वाली अनुराधा बेनीवाल के इस उपन्यास का भी उनके पाठकों को बेसब्री से इंतजार था. पहले उपन्यास यायावरी मेरा ब्रांड जैसे इस बार अनुराधा उन देशों में घूमी हैं जहां लेस्बियन और गे को मान्यता हैं. अनुराधा ने उस समाज और उन लोगों को जाना जिनके बारे में हम सुनकर आश्चर्य ही करते हैं. वैसे हरियाणा के गांव की लड़की अनुराधा को हैरान करने वाली और भी बहुत कारण इन देशों में मिले. 

छटवीं किताब है मनोज बाजपेयी कुछ पाने की जिद
लेखक पीयूष पांडे ने मनोज के संघर्ष को बहुत अच्छे से लिखा है. कैसे बिहार के गांव का साधारण लड़का पहले दिल्ली में एनएसडी में प्रवेश के लिये और उसके बाद मुंबई में फिल्मों में काम के लिये रात दिन एक करता है. मनोज के मुंबई वाले दिनों की बातें तो सामने आती हैं मगर दिल्ली में नाटक के ब्यौरे और मुंबई में पहले फटेहाली और उसके बाद सफलता की कहानी पीयूष ने बड़ी मेहनत और रोचक तरीके से लिखी है.  मेरे हिसाब से आपको इसे जरूर पढा जाना चाहिए. 

सातवीं किताब सिंधिया राजघराना
सत्ता राजनीति और महलों के षड्यंत्र हमेशा से पाठकों की रूचि के विषय रहते है. सिंधिया घराना देश का ऐसा इकलौता राजघराना है जो जिसके परिवार के लोग सालों से सत्ता में बने हुए हैं. इस घराने की शुरुआत से लेकर आज तक की कहानी को पत्रकार रशीद ने बहुत रोचक अंदाज में लिखी है. इस घराने को लेकर उठे विवादों को भी लेखक ने बेबाकी से लिखा है. अच्छे शोध के साथ लिखी गयी साहसिक किताब है.

आठवीं किताब कहां तुम चले गये दास्तान ए जगजीत सिंह 
गजल गायकी के पर्याय जगजीत सिंह पर बहुत कम लिखा गया है. मगर पत्रकार राजेश बादल ने जगजीत सिंह पर गहन शोध कर वृत्तचित्र बनाया है. उसी को आधार बनाकर ये किताब सामने आयी है. गंगानगर का बालक जगमोहन कैसे जगजीत बना इस किताब में विस्तार से इसकी कथा है. जगजीत सिंह के कॉलेज से लेकर मुंबई तक के संघर्ष के दिन कैसे रहे कम पढ़ने को मिलते हैं. जगजीत सिंह के दीवानों के लिये ये किताब बड़ा तोहफा है.

नौवीं किताब है कभी गांव कभी कालेज
युवा लेखक अगम जैन की ये किताब गांव के स्कूल से लेकर कस्बों के कॉलेज की किस्सागोई है. किताब की खासियत इसका चुटीलापन है. जो हर वाक्य में मिलता है. पूरी किताब मुस्कुराते हुए आप कब खत्म कर देंगे पता ही नहीं चलता. भारतीय पुलिस सेवा के युवा अधिकारी अगम जैन से उम्मीद है पुलिस की नजर से देखे गए और भी किस्सों की किताब आगे पढ़ने मिलेगी. 

दसवीं किताब मनदीप पुनिया की किसान आंदोलन ग्राउंड जीरो
साल के आखिर में आयी ये किताब जुझारू पत्रकार मनदीप की ग्राउंड रिपोर्टिंग एक ऐसे आंदोलन की है जिसके आगे सख्त और कडक सरकार को सारे हथकंडे अपनाने के बाद भी झुकना पडा. किसान आंदोलन के सारे पहलुओं को करीब से देखने के बाद लिखी ये किताब यादगार जमीनी पत्रकारिता का दस्तावेज है. और आखिर में …चांद पर चाय इस कविता संग्रह की चर्चा किये बगैर रहा नहीं जा रहा... अभिनेता राजेश तैलंग की छोटी छोटी कविताएं दिल को छूती हैं,जैसे 
तेरा साथ जैसे आदत, तुझसे दूर रहकर, जो करता हूं, वो इश्क…… तुमने मुझे, कुछ भी नहीं दिया, बस तुम्हारे होने ने, खत्म कर दी मेरी सारी जरूरतें……..

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

Balochistan Protest: पाकिस्तान की तानाशाही! बलूचिस्तान में विरोध प्रदर्शन करने पर लगी रोक, एक पुलिसकर्मी की मौत

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

इस मुस्लिम देश में भारत का 1 रुपया आपको देगा राजाओं वाली फीलिंग? 1 लाख में हो जाएंगे करोड़पति
इस मुस्लिम देश में भारत का 1 रुपया आपको देगा राजाओं वाली फीलिंग? 1 लाख में हो जाएंगे करोड़पति
क्या NDA से अलग हो सकते हैं जीतन राम मांझी? रखी राज्यसभा सीट की डिमांड, बोले- 'वादा किया गया था'
क्या NDA से अलग हो सकते हैं जीतन राम मांझी? रखी राज्यसभा सीट की डिमांड, बोले- 'हमसे वादा किया गया था'
मास डिपोर्टेशन करेगा अमेरिका, साल 2026 में ढूंढ-ढूंढ कर प्रवासियों को निकालेंगे ट्रंप
मास डिपोर्टेशन करेगा अमेरिका, साल 2026 में ढूंढ-ढूंढ कर प्रवासियों को निकालेंगे ट्रंप
पाकिस्तान का वो 19 साल का बल्लेबाज जिसने अंडर-19 एशिया कप में मचाया तहलका, बना ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’
पाकिस्तान का वो 19 साल का बल्लेबाज जिसने अंडर-19 एशिया कप में मचाया तहलका, बना ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’
ABP Premium

वीडियोज

Delhi Pollution: Delhi में प्रदूषण के स्तर में कोई बदलाव नहीं, ग्रेटर नोएडा में AQI 500 पार
Madhya Pradesh के Sihore में Karni Sena पर हुआ जमकर पथराव, कई गाड़ियों के टूटे शीशे, हालात नाजुक
Top News: 7 बजे की  बड़ी खबरें   | TMC | Maharashtra News| Aravali Hills | Bangladesh Protest
Aravalli News : सड़क पर उतरी जनता, अरावली नहीं बचेगी तो खुद खत्म हो जाएगी दिल्ली समझिए क्या है सच ?
Maharashtra News: BMC चुनाव में BJP की 217 सीटों से बंपर जीत  | BMC Election | BJP | ABP News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
इस मुस्लिम देश में भारत का 1 रुपया आपको देगा राजाओं वाली फीलिंग? 1 लाख में हो जाएंगे करोड़पति
इस मुस्लिम देश में भारत का 1 रुपया आपको देगा राजाओं वाली फीलिंग? 1 लाख में हो जाएंगे करोड़पति
क्या NDA से अलग हो सकते हैं जीतन राम मांझी? रखी राज्यसभा सीट की डिमांड, बोले- 'वादा किया गया था'
क्या NDA से अलग हो सकते हैं जीतन राम मांझी? रखी राज्यसभा सीट की डिमांड, बोले- 'हमसे वादा किया गया था'
मास डिपोर्टेशन करेगा अमेरिका, साल 2026 में ढूंढ-ढूंढ कर प्रवासियों को निकालेंगे ट्रंप
मास डिपोर्टेशन करेगा अमेरिका, साल 2026 में ढूंढ-ढूंढ कर प्रवासियों को निकालेंगे ट्रंप
पाकिस्तान का वो 19 साल का बल्लेबाज जिसने अंडर-19 एशिया कप में मचाया तहलका, बना ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’
पाकिस्तान का वो 19 साल का बल्लेबाज जिसने अंडर-19 एशिया कप में मचाया तहलका, बना ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’
'Meesho से ड्रेस लेकर पहनी है क्या..'शिवांगी जोशी की बहन शीतल की विदाई का वीडियो देख आखिर क्यों मजाक उड़ा रहे हैं लोग
शिवांगी जोशी की बहन शीतल की विदाई का वीडियो देख आखिर क्यों मजाक उड़ा रहे हैं लोग
बिना धूप के कपड़े सुखाने में आ रही परेशानी, घर पर ये हैक्स आएंगे आपके बहुत काम
बिना धूप के कपड़े सुखाने में आ रही परेशानी, घर पर ये हैक्स आएंगे आपके बहुत काम
CII रिपोर्ट का दावा, NEP 2020 का लक्ष्य पाने के लिए 2035 तक 8.6 करोड़ छात्रों की जरूरत
CII रिपोर्ट का दावा, NEP 2020 का लक्ष्य पाने के लिए 2035 तक 8.6 करोड़ छात्रों की जरूरत
World First Airport: यह है दुनिया का पहला एयरपोर्ट, जानें भारत में कब हुई थी पहले हवाई अड्डे की स्थापना?
यह है दुनिया का पहला एयरपोर्ट, जानें भारत में कब हुई थी पहले हवाई अड्डे की स्थापना?
Embed widget