एक्सप्लोरर

कश्मीर में 33 वर्षों बाद मुहर्रम का जुलूस निकलना बेहद भावनात्मक पल, अब केंद्र सरकार कराए जल्द चुनाव

श्रीनगर में करीब तीन दशक से अधिक समय के बाद इस बार गुरुबाजार से डलगेट मार्ग पर मुहर्रम का जुलूस  निकला. इसमें हजारों लोगों ने भाग लिया. जम्मू-कश्मीर  प्रशासन ने व्यस्त लाल चौक क्षेत्र से गुजरने वाले मार्ग पर जुलूस के लिए सुबह 6 बजे से 8 बजे तक दो घंटे का समय दिया था. लोगों में उत्साह इस कदर था कि लोग सुबह करीब 5.30 बजे ही गुरुबाजार में एकत्र होने लगे थे. 90 के दशक में कश्मीर में आतंकवाद फैलने के बाद मुहर्रम का जुलूस नहीं निकाला गया था. यह कश्मीर में सामान्य होते हालात का एक और पुख्ता सबूत है. यह पूरा जुलूस शांतिपूर्ण तरीके से निकला और इसमें कहीं किसी तरह की परेशानी नहीं हुई. 

बेहद भावनात्मक क्षण

कश्मीर में तीन दशकों बाद मुहर्रम का जुलूस निकलना बहुत ही भावनात्मक क्षण था. प्रशासन ने इस रूट पर 33 वर्षों बाद जुलूस निकालने की इजाजत दी. जो नयी पीढ़ी है, उसने तो देखा ही नहीं था. जब उनको बताया गया कि ये भी एक रूट है और इधर से भी जुलूस निकलता है, तो ये उनके लिए एक भावनात्मक क्षण था. इन तीन दशकों में जो नयी जेनरेशन पैदा हुई, उन्होंने तो सिर्फ बड़ों से सुना ही था. उनके लिए भी यह शौक का जज्बा था. बहुत ही अधिक इमोशनल अवसर था यह. हमें दोबारा यह दिन देखने को मिला, इसके लिए हम खुदा के शुक्रगुजार हूं. इस जुलूस का स्टार्टिंग पॉइंट है, एक मुहल्ला जिसका नाम गुरुबाजार है. वहां से निकलकर यह डलगेट में कल्मिनेट होता है. 1990 की बिल्कुल शुरुआत में, जब हालात खराब हो गए थे, तभी 33 वर्षों पहले इस पर पाबंदी लगा दी गयी थी.

पहले जब स्टेट था, तो हम स्टेट गवर्नमेंट से भी गुजारिश करते थे. हम इस हवाले से भी कहते थे और हाईकोर्ट का भी दरवाजा हमने खटखटाया था कई बार. हम कहते थे कि हमारा मजहबी हक हमें दिया जाए, लेकिन उस पर कार्रवाई नहीं होती थी. इस बार हम एलजी साब के बहुत शुक्रगुजार हैं कि उन्होंने इस बात को समझा. मसले की तह तक गए, मामले को समझा और फिर जो फैसला लिया, फिर पूरी दुनिया ने देखा कि मुहर्रम का जुलूस ऐसा होता है. यह एक शांतिपूर्ण जुलूस होता है. इसमें ऐसा नहीं है कि केवल शिया ही भाग लेते हैं. इसमें तो गैर-मुस्लिम भी भाग लेते हैं और इसका जो जज्बा है, वह इंसानियत का है, ह्युमैनिटी का है. जो भी कर्बला के इस मैसेज को समझता है, उसमें मानवीयता का जो पहलू समझता है, वह शोक के साथ इसमें शिरकत करता है. 

रह गयी एक खलिश, बचा एक गिला

एक खलिश रह गयी कि हमारी जो डिमांंड थी, वह 8वीं और 10वीं मुहर्रम के जुलूस को लेकर थी. जो मुख्य जुलूस होता है, वह 10मुहर्रम का होता है. वह आबिगुजर के इलाके से निकलकर जनिबल पहुंचता था. हमारी एलजी साहब से उम्मीद थी कि जैसे 8वीं मुहर्रम के जुलूस की इजाजत मिली, वैसे ही 10वीं की भी इजाजत मिले. हम एलजी साहब के शुक्रगुजार हैं कि उन्होंने हमारा बहुत पुराना ख्वाब पूरा किया, लेकिन जब तक 10मुहर्रम का जुलूस अपने पुराने रास्ते से नहीं निकलता, तब तक पूरा ख्वाब नहीं होगा, तो यह खलिश बची रह गयी. मुहर्रम का जुलूस मजहबी आस्था से जुड़ा है. हमारी हमेशा से गुहार होती थी कि प्रशासन हमें इसे निकालने दे. हमारा कहना था कि यह एक मजहबी बात है, इसमें सियासी नुक्ता नहीं है.

ऐसा भी नहीं है कि 34 वर्षों में कभी प्रोटेस्ट नहीं हुआ. हम 8 और 10 मुहर्रम को कोशिश तो करते ही थे. तब लाठियां चलती थीं, शेलिंग होती थी, गिरफ्तारियां होती थीं. हम जानते थे कि हमारा रास्ता सच्चा है. आखिर प्रशासन को भी यह समझ आयी. समय हालांकि जो हमें दिया गया था, वह काफी सुबह का था. सुबह 6 बजे का समय था. इसके बावजूद लाखों लोग जमा हुए और बेहद शांति के साथ उन्होंने जुलूस निकाला. मैं समझता हूं कि कुछ लोग थे, जिन्होंने प्रशासन को इस फितूर का शिकार बनाया था कि जुलूस की इजाजत नहीं देनी चाहिए. हालांकि, एलजी साब ने एक विजनरी की तरह काम किया और फैसला लिया. यह बेहद खुशी की बात है. 

कश्मीर में जल्द हों चुनाव

अगर हुकूमत दावा करती है कि हालात बेहतर हैं तो चुनाव कराने चाहिए. हर लिहाज से यह तो एक आइडियल बात है कि वहां लोकशाही हो, डेमोक्रेटिक तरीके से चुनी हुई सरकार है. यह तो पूरी दुनिया में ही मानी गयी बात है. तो, अगर हालात बेहतर हैं, फिर हुकूमत इलेक्शन कराए. एक चुनी हुई सरकार चुनी जाए, तो उससे एक प्रैक्टिकल मैसेज जाएगा. जब आप नौकरशाही वाली सरकार चलाते हैं, तो हो सकता है कि एलजी बेहतर शासन चला सकें, लेकिन आदर्श स्थिति तो यही है कि चुने हुए नुमाइंदे सरकार चलाएं. लोगों का भरोसा जम्हूरियत पर ही होता है.

एक खलिश हमेशा बनी रहती है कि सरकार वहां चुनाव क्यों नहीं करा रही है? हम हालात को तभी बेहतर देख पाएंगे, जब पूरी तरह से लोग सशक्तीकृत हों. बेरोजगारों को रोजगार मिले, डेवलपमेंट के काम हों. जो एडमिनिस्ट्रेटिव मसले हैं, लोगों के रोजाना के मामलात हैं, उसमें अफसरशाही बहुत बढ़ गयी है. चेक एंड बैलेंस नहीं है. उनके ऊपर तो एक एलजी साब ही हैं. पूरी अफसरशाही ही कश्मीर चला रही है और उस वजह से लोगों में कनेक्ट कम है, लोग थोड़े निराश हो गए हैं. अफसर तो लोगों के लिए जवाबदेह नहीं होते, लेकिन डेमोक्रेटिक तौर पर चुने नुमाइंदों को तो जवाब देना पड़ता है. एक संतुलन रहता है. लोकशाही ही आदर्श है. वह अगर होता है तो लोग बेहतर महसूस करेंगे. 

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

H1B वीजा पर अमेरिका की सख्ती बढ़ी, अब सभी आवेदकों को करना होगा यह काम, ट्रंप प्रशासन ने जारी किया फरमान
H1B वीजा पर अमेरिका की सख्ती बढ़ी, अब सभी आवेदकों को करना होगा यह काम, ट्रंप प्रशासन ने जारी किया फरमान
राज ठाकरे ने भाई उद्धव के साथ गठबंधन पर फिर लगाया ब्रेक! MNS बोली- 'जब तक सीटों पर सहमति नहीं बनती...'
राज ठाकरे ने भाई उद्धव के साथ गठबंधन पर फिर लगाया ब्रेक! MNS बोली- 'जब तक सीटों पर सहमति नहीं बनती...'
Rajya Sabha Election: राज्यसभा में बदलेगा नंबर गेम, 2026 में 75 सीटों पर होगा चुनाव, अकेले यूपी से 10 सीटें होंगी खाली
राज्यसभा में बदलेगा नंबर गेम, 2026 में 75 सीटों पर होगा चुनाव, अकेले यूपी से 10 सीटें होंगी खाली
पाकिस्तान को अंडर-19 एशिया कप जिताने वाले समीर मिन्हास के नाम को लेकर फैंस कंफ्यूज, जानिए किस धर्म से आते हैं
पाकिस्तान को अंडर-19 एशिया कप जिताने वाले समीर मिन्हास के नाम को लेकर फैंस कंफ्यूज, जानिए किस धर्म से आते हैं
ABP Premium

वीडियोज

Gujarat Fire News: गुजरात के लड़की गोदाम में लगी भीषण आग, देखें तस्वीरें | Hindi News | Breaking
Top News: देखिए 6 बजे की बड़ी खबरें | Aravalli Hills | Rahul Gandhi | BMC Elections | Headlines
जल्लाद मुस्कान की 'COPYCAT सिस्टर',संभल की सनम बेवफा का हॉरर शो
Top News: अभी की बड़ी खबरें | Humayun Kabir | Bangladesh Protest | TMC | UP Winter Session
Aravali Hills: प्रदूषण पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने दिया हर सवाल का जवाब| Hills Protest | abp News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
H1B वीजा पर अमेरिका की सख्ती बढ़ी, अब सभी आवेदकों को करना होगा यह काम, ट्रंप प्रशासन ने जारी किया फरमान
H1B वीजा पर अमेरिका की सख्ती बढ़ी, अब सभी आवेदकों को करना होगा यह काम, ट्रंप प्रशासन ने जारी किया फरमान
राज ठाकरे ने भाई उद्धव के साथ गठबंधन पर फिर लगाया ब्रेक! MNS बोली- 'जब तक सीटों पर सहमति नहीं बनती...'
राज ठाकरे ने भाई उद्धव के साथ गठबंधन पर फिर लगाया ब्रेक! MNS बोली- 'जब तक सीटों पर सहमति नहीं बनती...'
Rajya Sabha Election: राज्यसभा में बदलेगा नंबर गेम, 2026 में 75 सीटों पर होगा चुनाव, अकेले यूपी से 10 सीटें होंगी खाली
राज्यसभा में बदलेगा नंबर गेम, 2026 में 75 सीटों पर होगा चुनाव, अकेले यूपी से 10 सीटें होंगी खाली
पाकिस्तान को अंडर-19 एशिया कप जिताने वाले समीर मिन्हास के नाम को लेकर फैंस कंफ्यूज, जानिए किस धर्म से आते हैं
पाकिस्तान को अंडर-19 एशिया कप जिताने वाले समीर मिन्हास के नाम को लेकर फैंस कंफ्यूज, जानिए किस धर्म से आते हैं
न्यू ईयर सेलिब्रेशन के लिए बेटी आराध्या संग वेकेशन पर रवाना हुए अभिषेक बच्चन- ऐश्वर्या राय, कपल के अंदाज पर फिदा हुए फैंस
न्यू ईयर सेलिब्रेशन के लिए बेटी आराध्या संग बाहर रवाना हुईं अभिषेक बच्चन- ऐश्वर्या राय, वीडियो वायरल
इस स्टेट में निकली कॉन्स्टेबल के हजारों पदों पर भर्ती, जानें किस तरह कर सकते हैं फटाफट आवेदन
इस स्टेट में निकली कॉन्स्टेबल के हजारों पदों पर भर्ती, जानें किस तरह कर सकते हैं फटाफट आवेदन
Black Garlic vs White Garlic: क्या है काला लहसुन, सफेद लहसुन और इसमें क्या है फर्क? जानें इसके फायदे
क्या है काला लहसुन, सफेद लहसुन और इसमें क्या है फर्क? जानें इसके फायदे
रूम हीटर के लिए सबसे सही ऑप्शन चुनने की आसान गाइड, खरीदने से पहले जानें ये जरूरी बातें
रूम हीटर के लिए सबसे सही ऑप्शन चुनने की आसान गाइड, खरीदने से पहले जानें ये जरूरी बातें
Embed widget