एक्सप्लोरर

कश्मीर पर पाकिस्तान का साथ देने वाले तुर्किए का भारत कैसे बन गया इतना बड़ा मददगार?

इस दुनिया में इंसानों के बनाये तमाम आधुनिक उपकरण अब तक ये बता पाने में नाकामयाब ही साबित हुए हैं कि कुदरत भूकंप के रुप में अपना कहर कब, कहां और किस मात्रा में बड़े विनाश को अंजाम देगी. तुर्किए और सीरिया में आये जबरदस्त भूकंप ने अब तक 7200 से भी ज्यादा लोगों को मौत की नींद सुला दिया है और ये कोई भी नहीं जानता कि ये सिलसिला कहां जाकर रुकेगा. हालांकि साढ़े आठ करोड़ की आबादी वाले तुर्किए से भारत के मीठे व खटास भरे रिश्ते रहे हैं. लेकिन इसके बावजूद पीएम मोदी ने अपना बड़प्पन दिखाते हुए इतनी बडी आपदा को झेल रहे तुर्किए को मदद भेजने में जरा भी देर नहीं लगाई. 

बता दें कि तुर्किए में आए विनाशकारी भूकंप के मद्देनजर मोदी सरकार ने मदद के सारे रास्ते खोल दिये हैं. सोमवार को हुई इस भीषण त्रासदी के तत्काल बाद भारत ने एनडीआरएफ (NDRF), आर्मी की मेडिकल टीम और मेडिकल उपकरण भेजे थे. भारत के इस कदम के बाद तुर्किये की प्रतिक्रिया आई और भारत में तुर्किए के राजदूत ने कहा, हम वास्तव में भूकंप के कुछ घंटों के भीतर भारत द्वारा तुर्किए को दी गई सहायता की सराहना करते हैं.  हम भी दोस्त के लिए 'दोस्त' शब्द का इस्तेमाल किया करते थे.  मैं कहूंगा कि जरूरत में काम आने वाला दोस्त ही सच्चा दोस्त होता है. दोस्त ही एक-दूसरे की मदद करते हैं. 

तुर्किये के राजदूत ने कहा, जब हमने खोज और बचाव के लिए अंतरराष्ट्रीय मदद की मांग की तो भारत प्रतिक्रिया देने वाले पहले देशों में से एक था.  'दोस्त' एक-दूसरे की मदद करते हैं, तुर्किए ने कोविड के समय में मेडिकल मदद के लिए भारत कैरियर्स भेजे थे. 

उसके बाद मंगलवार को भी भारत ने चार सी-17 ग्लोबमास्टर सैन्य परिवहन विमानों के जरिये राहत सामग्री, एक 'चलित अस्पताल' और तलाश एवं बचाव कार्य करने वाले विशेषज्ञ दल को भी वहां भेजा. तुर्किए के साथ-साथ सीरिया में भी भूकंप से जानमाल का भारी नुकसान हुआ है.  दोनों देशों में भूकंप में 7,200 से अधिक लोगों की मौत हुई है. भूकंप के कारण मरने वालों की संख्या अभी और बढ़ने की आशंका है.  हजारों इमारतों के मलबे में बचे लोगों को ढूंढ़ने के लिए बचावकर्मी काम में लगे हुए हैं. 

अब सवाल उठता है कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को निरस्त करने के जिस फैसले की तुर्किए ने अंतरराष्ट्रीय मंच से तीखी आलोचना की थी,तो भारत उसकी इतनी मदद आखिर क्यों कर रहा है? विश्लेषक कहते हैं कि इसके बहुत सारे कारण हैं और किसी एक मुद्दे पर आलोचना कर देने भर से भारत न तो अपने पारंपरिक रिश्ते को एक झटके में खत्म कर सकता है और न ही वह अपना मानवीय चेहरा दिखाने के दायित्व से पीछे हट सकता है. गौरतलब है कि कोविड के दौरान भारत को मेडिकल मदद पहुंचाने में तुर्किए अव्वल रहा था. 

वैसे तो भारत और तुर्किए के बीच 1948 से डिप्लोमैटिक रिलेशन हैं.  हालांकि,शीत युद्ध के समय दोनों देशों में थोड़ी दूरी बढ़ गई थी. चूंकि साल 1965 और 1971 में हुई जंग के वक्त तुर्किए ने पाकिस्तान की सैन्य मदद की थी,इसलिए दोनों देशों के बीच दूरियां और बढ़ गईं. लेकिन साल 1984 में राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत और तुर्किए में फिर से नजदीकियां बढ़ने का सिलसिला शुरू हुआ. इसलिये कह सकते हैं कि पिछले तीन-चार दशक में  भारत और तुर्किए के रिश्ते बेहद उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं, खासकर कश्मीर के मुद्दे पर. 

तीन साल पहले पाकिस्तानी संसद में तुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तैयब एर्दोगान ने कहा था, कश्मीर पाकिस्तान के लिए जितना अहम है, उतना ही तुर्किए के लिए भी है. संयुक्त राष्ट्र में भी तुर्किए कई बार कश्मीर का मुद्दा उठा चुका है. 

5 अगस्त 2019 को जब कश्मीर से धारा 370 हटाई गई थी, तब तुर्किए ने बयान जारी कर कहा था कि भारत का ये कदम मौजूदा तनाव को और बढ़ा सकता है. फरवरी 2020 में राष्ट्रपति एर्दोगन ने पाकिस्तानी संसद में कहा था कि कश्मीर जितना अहम पाकिस्तान के लिए है उतना ही तुर्किए के लिए भी है.

उससे पहले तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोगन ने पहली बार सितंबर 2019 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में भी कश्मीर के मुद्दे को उठाया था.  तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उस मौके पर मौजूद थे और उन्होंने तुर्किए के राष्ट्राध्यक्ष को कोई तवज्जो न देते हुए साइप्रस गणराज्य के राष्ट्रपति और आर्मेनिया एवं ग्रीस के प्रधानमंत्रियों के साथ बैठक की थी. 

नाराजगी का आलम ये रहा कि बाद में,मोदी ने अक्टूबर 2019 में तुर्किए की अपनी योजनाबद्ध यात्रा भी रद्द कर दी और तुर्किए की एक रक्षा कंपनी के साथ 2. 3 बिलियन डॉलर के आकर्षक नौसैनिक सौदे को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया.  तुर्किए और पाकिस्तान के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों को देखते हुए, भारत ने आर्मेनिया के साथ 40 मिलियन डॉलर के रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करते हुए तुर्किए को अपने रक्षा निर्यात में कटौती करके एक सबक दिया था. 

हालांकि तबाही का मंजर झेल रहा तुर्किए दुनिया के चंद सबसे खूबसूरत मुल्कों में शुमार है और वह संसार की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की पायदान पर आ खड़ा हुआ है. हालांकि ऐसा नहीं हुआ कि कश्मीर के मुद्दे पर तल्ख़ी आने के बावजूद दोनों देशों के बीच व्यापार में कोई कमी आई हो. 

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक साल 2021-22 में भारत और तुर्किए के बीच करीब 80 हजार करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था.  इसमें से 65 हजार करोड़ का निर्यात और 15 हजार करोड़ रुपये का आयात हुआ था. यानी तुर्किए को हर तरह का सामान भेजने से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा ही हुआ है. 

वैसे दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले भारतीयों के लिए तुर्किए आज भी आकर्षण का केंद्र नहीं बन पाया है. शायद इसकी दो बड़ी वजह हैं. एक तो ये कि वहां की 99 फ़ीसदी से भी ज्यादा आबादी मुस्लिम है और दूसरी वहां की करेंसी लीरा की अंतराष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले बहुत कम कीमत है. यही कारण है कि दुनिया के बाकी देशों की तुलना में तुर्किए में रहने वाले भारतीयों की संख्या काफी कम है.  विदेश मंत्रालय के मुताबिक,साल  2022 तक तुर्किए में महज़ 1,708 भारतीय रहते हैं. 

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

दो प्लेन, एक राष्ट्रपति… दुनिया देखती रह गई, पुतिन की सीक्रेट फ्लाइट का भेद दिल्ली पहुंचकर खुला!
दो प्लेन, एक राष्ट्रपति… दुनिया देखती रह गई, पुतिन की सीक्रेट फ्लाइट का भेद दिल्ली पहुंचकर खुला!
राहुल गांधी और व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात संभव नहीं? शिवसेना सांसद बोले- 'किससे मिलना है किससे नहीं यह...'
राहुल गांधी और व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात संभव नहीं? शिवसेना सांसद बोले- 'किससे मिलना है और...'
US Cuts Work Permit: वर्क परमिट को लेकर ट्रंप का बड़ा फैसला, भारतीयों पर लटकी तलवार, जानें क्या होगा इससे?
वर्क परमिट को लेकर ट्रंप का बड़ा फैसला, भारतीयों पर लटकी तलवार, जानें क्या होगा इससे?
UP AQI: नोएडा-गाजियाबाद नहीं थम रहा जहरीली हवा का कहर, घुट रहा दम, आज भी हालत 'बेहद खराब'
नोएडा-गाजियाबाद नहीं थम रहा जहरीली हवा का कहर, घुट रहा दम, आज भी हालत 'बेहद खराब'
ABP Premium

वीडियोज

सुंदर बच्चियों की 'सीरियल किलर' LADY !  | Sansani | Crime News
India में दिख गया मोदी-पुतिन के 'दोस्ती का दम'...छा गई कार वाली 'केमेस्ट्री'
व्यापार से वॉर तक ये दोस्ती कितनी दमदार ?, देखिए सबसे सटीक विश्लेषण । Punit India Visit
Bharat ki Baat: भारत में दिखा 'दोस्ती का दम', पुतिन का जबरदस्त वेलकम! | Putin India Visit
पुतिन दौरे पर राहुल का 'डिप्लोमेसी बम'...दावे में कितना दम? । Sandeep Chaudhary । Putin India Visit

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
दो प्लेन, एक राष्ट्रपति… दुनिया देखती रह गई, पुतिन की सीक्रेट फ्लाइट का भेद दिल्ली पहुंचकर खुला!
दो प्लेन, एक राष्ट्रपति… दुनिया देखती रह गई, पुतिन की सीक्रेट फ्लाइट का भेद दिल्ली पहुंचकर खुला!
राहुल गांधी और व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात संभव नहीं? शिवसेना सांसद बोले- 'किससे मिलना है किससे नहीं यह...'
राहुल गांधी और व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात संभव नहीं? शिवसेना सांसद बोले- 'किससे मिलना है और...'
US Cuts Work Permit: वर्क परमिट को लेकर ट्रंप का बड़ा फैसला, भारतीयों पर लटकी तलवार, जानें क्या होगा इससे?
वर्क परमिट को लेकर ट्रंप का बड़ा फैसला, भारतीयों पर लटकी तलवार, जानें क्या होगा इससे?
UP AQI: नोएडा-गाजियाबाद नहीं थम रहा जहरीली हवा का कहर, घुट रहा दम, आज भी हालत 'बेहद खराब'
नोएडा-गाजियाबाद नहीं थम रहा जहरीली हवा का कहर, घुट रहा दम, आज भी हालत 'बेहद खराब'
मिचेल स्टॉर्क ने हरभजन सिंह को भी पीछे छोड़ा, बनाया ये खास रिकॉर्ड
मिचेल स्टॉर्क ने हरभजन सिंह को भी पीछे छोड़ा, बनाया ये खास रिकॉर्ड
नंदमुरी बालकृष्ण की 'अखंडा 2' की रिलीज टली, शो से कुछ घंटे पहले प्रीमियर भी हुआ कैंसिल, मेकर्स ने जारी किया बयान
नंदमुरी बालकृष्ण की 'अखंडा 2' की रिलीज टली, शो से कुछ घंटे पहले प्रीमियर भी कैंसिल
चोपता से केदारकांठा तक, पहली बार ट्रैक करने वालों के लिए उत्तराखंड के सबसे आसान विंटर ट्रैक
चोपता से केदारकांठा तक, पहली बार ट्रैक करने वालों के लिए उत्तराखंड के सबसे आसान विंटर ट्रैक
भारत डायनेमिक्स लिमिटेड में निकली इन पदों पर भर्ती, ये कैंडिडेट्स कर सकते हैं अप्लाई; इतनी देनी होगी फीस
भारत डायनेमिक्स लिमिटेड में निकली इन पदों पर भर्ती, ये कैंडिडेट्स कर सकते हैं अप्लाई; इतनी देनी होगी फीस
Embed widget