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BLOG: इरफान पठान के सपने, साइकिल और समय के पहिए का सितम

“2010 की बात है, मेरी कमर में 5 फैक्चर हुए थे. मेरे फिजियोथेरेपिस्ट ने मुझसे कहाकि मैं शायद अब कभी भी क्रिकेट नहीं खेल पाऊंगा मुझे सपने देखना बंद कर देना चाहिए. उस रोज मैंने उनसे कहा- मैं और कोई दर्द झेल सकता हूं लेकिन अपने देश के लिए इस शानदार खेल को ना खेलने का दर्द नहीं झेल सकता. मैंने बहुत मेहनत की, ना सिर्फ दुबारा क्रिकेट खेला बल्कि टीम इंडिया में वापसी की. मैंने अपने करियर और जिंदगी में तमाम अड़चनें देखी हैं लेकिन कभी हार नहीं मानी. आगे भी मेरी यही सोच रहेगी. जिंदगी में एक बार फिर मेरे सामने अड़चन आई है लेकिन मैं इससे बाहर निकलूंगा. अपने चाहने वालों और शुभचिंतकों के साथ अपनी बात साझा करने का दिल किया”.
To all my fans ???? pic.twitter.com/jQaMbjPNTe
— Irfan Pathan (@IrfanPathan) February 21, 2017
इस ‘इमोशनल पोस्ट’ को पढ़ते पढ़ते पिछले 12-13 साल का इरफान पठान का करियर आंखों के सामने से घूम गया. देश के लिए 29 टेस्ट, 120 वनडे और 24 टी-20 मैच खेलने वाले इरफान पठान को आईपीएल में किसी भी टीम में नहीं लिया गया. बावजूद इसके कि उन्होंने हाल ही में सैयद मुश्ताक अली टी-20 टूर्नामेंट में शानदार गेंदबाजी की थी. दिमाग में कई सवाल आए- इरफान से कहां भूल हुई? क्या अभी उनका करियर बचा है? क्या वो वाकई टीम इंडिया के लिए फिर कभी खेल पाएंगे? साथ ही सबसे बड़ा सवाल क्या आईपीएल की अनदेखी उन्हें उनकी जिंदगी के उस मोड़ पर ले जाएगी जहां अब संघर्ष तो नहीं है लेकिन मेहनत पहले से भी कहीं ज्यादा है. अगर सपनों की उड़ान भरनी है तो...
आईपीएल में इरफान की अनदेखी
पिछले सीजन में भी इरफान पठान को पुणे की तरफ से सिर्फ एक मैच खेलने का मौका मिला था. इस बार इरफान का बेस प्राइस 50 लाख रुपये था, लगातार अनफिट रहने का असर इस बार की बोली में दिखाई दिया. जिसके बाद इरफान पठान ने ये भावनात्मक पोस्ट साझा की. करीब हफ्ते भर पहले ही इरफान पठान का बयान आया था कि ‘आई एम नॉट एन आईपीएल टू आईपीएल प्लेयर’ यानि वो सिर्फ आईपीएल से आईपीएल तक के खिलाड़ी नहीं है. उस रोज उन्होंने टीम इंडिया में वापसी की उम्मीदों भी दिखाई थीं. लेकिन महज एक हफ्ते में पूरी कहानी बदल गई. जिस आईपीएल में इरफान पठान को करोड़ों रुपये मिले हैं, वहां आज उन्हें पूछने वाला नहीं मिला.
इरफान के बचपन का संघर्ष जानना जरूरी है
इरफान पठान के भविष्य की संभावनाओं पर बातचीत करने से पहले आपको उनके बचपन के दिनों के बारे में कुछ साझा करना चाहता हूं. इस खिलाड़ी ने बचपन में जब गेंद थामी तो आस पास के घरों के सबसे ज्यादा शीशे तोड़ने का रिकॉर्ड इसके नाम था. वडोदरा के नजरबाग पैलेस के करीब इस खिलाड़ी का पहला मैदान, पहला पवेलियन था. तीन चार मिनट के रास्ते पर ही उनका घर भी था. छोटा सा घर. मस्जिद के करीब. घर में बाथरूम तक नहीं था. बाथरूम था, लेकिन घर से बाहर. उस घर में दो बच्चे पल रहे थे. एक इरफान पठान और दूसरे यूसुफ पठान. परेशानी ये थी कि दोनों बच्चों के बीच साइकिल एक ही थी. उसी साइकिल से घर से स्कूल, स्कूल से ग्राउंड, ग्राउंड से अपने कोच के यहां और फिर वापस घर आने का सफर तय करना होता था. कुल मिलाकर चार सफर उस साइकिल से होते थे. यूसुफ पठान बड़े थे तो वो उनकी धौंस चलती थी. वो खुद एक चक्कर चलाते थे और बाकि के तीन इरफान से चलवाते थे. साइकिल चला चला कर इरफान के पैर मजबूत होते चले गए. साथ ही साथ इरादे भी. तभी तमाम मुश्किलातों के बावजूद वो अपने बड़े भाई से कहीं पहले भारतीय टीम तक पहुंचे.
द ‘रीयल’ पठान
टीम इंडिया में पहुंचने के तुरंत बाद तो जो हुआ वो यकीन से परे था. याद कीजिए उनकी डेब्यू सीरीज की वो गेंद
जैसे कोई फिल्म स्टार अपनी पहली ही फिल्म में धमाल मचा दे वैसे ही 4 जनवरी 2004 को सिडनी में एडम गिलक्रिस्ट का ये विकेट इरफान पठान के लिए था. उस रोज भारतीय क्रिकेट में एक नया स्टार पैदा हुआ था. जिसके साथ वो तमाम किस्से जुड़े हुए थे जो उसके संघर्ष, उसके परिवार के बलिदान और उसकी मेहनत की गाथा सुनाते थे. अभी दो साल ही बीते थे. भारतीय टीम पाकिस्तान के दौरे पर थी. कराची में टेस्ट मैच की पहली सुबह थी. जब इसी खिलाड़ी ने फिर कारनामा किया था. उस कारनामे को भी देखिए
टेस्ट मैच के पहले ही ओवर में हैट्रिक का कारनामा करने वाले इरफान पठान दुनिया के दूसरे गेंदबाज बने थे. टेस्ट क्रिकेट में हैट्रिक लेने वाले वो दूसरे भारतीय गेंदबाज भी थे. ऐसा नहीं है कि इरफान पठान ने और कारनामे नहीं किए हैं. भूलना नहीं चाहिए कि पहले टी-20 वर्ल्ड कप में भारत की जीत में वो फाइनल के स्टार थे. उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया था. 2008 में भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया में जब पर्थ टेस्ट में एतिहासिक जीत दर्ज की तब स्टार वही थे. ऐसे और भी कई मौके दिमाग पर जोर डालने और रिकॉर्ड्स बुक को खंगालने पर मिल जाएंगे.
साइकिल और समय के पहिए का सितम
फिर समय का पहिया घूमा. इरफान आउट ऑफ फॉर्म होते चले गए. उनकी गेंदबाजी में रफ्तार कम होती चली गई. उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया. यूं तो इसकी वजहों का लंबा ‘पोस्टमॉर्टम’ किया जा सकता है लेकिन मोटे तौर पर ये कहा जाने लगा कि उन्होंने अपनी बल्लेबाजी पर ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया था. ये भी कहा गया कि जब तक वो एक ‘रॉ’ गेंदबाज यानि अपनी सोच से गेंदबाजी करते थे तब तक सब ठीक था, जैसे ही उन्होंने वसीम अकरम और तमाम दूसरे गेंदबाजों से राय लेनी शुरू कर दी सब खराब हो गया.
यहां तक कहा गया कि ‘जिम’ में कसरत कर करके बनाई गई ‘मसल्स’ ही उनके ‘एक्शन’ के आड़े आने लगी. इनमें से कुछ बातें सही होंगी कुछ गलत. ये नहीं पता कि इरफान ने इन बातों को कितनी गंभीरता से लिया क्योंकि इन सारी बातों के बावजूद आईपीएल में उनकी पूछ बरकरार रही. उन्हें अच्छी कीमतों पर टीमें लेती रहीं. दस साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि जब इस तरह की उनकी अनदेखी हुई है, ये अनदेखी उनके भीतर के ‘रीयल पठान’ को फिर से जिंदा कर सकती है. बशर्ते उनमें वो भूख बरकरार हो.
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