एक्सप्लोरर

BLOG: केंद्र की मोदी सरकार के चार वर्ष पूरे: जश्न जरूर मने, लेकिन किस उपलब्धि का?

मोदी सरकार एक रुपए की योजना के प्रचार के लिए डेढ़ रुपए विज्ञापनों में खर्च कर डालती है.

हिंदी पट्टी में एक मुहावरा प्रचलित है कि अपने मट्ठे को कोई पतला नहीं कहता. केंद्र की मोदी सरकार से भी यह उम्मीद नहीं की जानी चाहिए कि वह अपने कार्यकाल के चार वर्ष पूरा होने पर अपनी आलोचना अथवा निर्मम आत्मवलोकन करेगी. उल्टे उसे तो अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने की लत लगी हुई है. मोदी सरकार एक रुपए की योजना के प्रचार के लिए डेढ़ रुपए विज्ञापनों में खर्च कर डालती है. जब इस सरकार का एक वर्ष पूरा हुआ था तो 25 मई, 2015 को भाजपा के प्रेरणास्रोत पंडित दीनदयाल उपाध्याय के पैतृक ग्राम नंगला चंद्रभान (मथुरा के पास) में करोड़ों रुपए खर्च करके अपनी सरकार की स्वयं पीठ ठोकते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि इस दौरान उनके दामन में भ्रष्टाचार का एक भी दाग नहीं लगा. चार वर्ष बाद भी वे कांग्रेस को कोसते हुए और सरदार भगत सिंह की शहादत को याद करते हुए उड़ीसा के कटक में वही दावा दोहरा रहे हैं. जनता का भरोसा जीतने का श्रेय लेते हुए वह अपनी सरकार को कंफ्यूजन नहीं कमिटमेंट वाली सरकार करार दे रहे हैं. लेकिन मोदी जी की उपलब्धियों का आकलन करते हुए विपक्षी दल कंफ्यूजन में पड़ गए हैं! प्रश्न उठता है कि किसी व्यक्ति, अधिकारी, शासन अथवा विधिनिर्माता के लिए भ्रष्टाचार के क्या मायने होते हैं. क्या आचार भ्रष्ट होने का पैमाना पक्ष और विपक्ष में रहते हुए बदल जाता है? यह जो बेरोजगारी, किसानों की आत्महत्याएं, दलितों-अल्पसंख्यकों के साथ निर्मम अत्याचार की देश में बाढ़ आई हुई है और सरकार शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर गड़ाए बैठी है, वह किस सदाचार का उदाहरण है. आज लगातार 13वें दिन डीजल-पेट्रोल की कीमतों में उछाल आया है, लेकिन दावा किया जा रहा है कि महंगाई अब डायन नहीं बल्कि स्वप्नसुंदरी बन चुकी है. महंगाई बढ़ाने के लिए सेवा क्षेत्र, परिवहन, विनिर्माण, संपत्ति सौदा, व्यापार अर्थात ऐसा कौन-सा सेक्टर इस सरकार ने छोड़ा है, जिस पर अतिरिक्त सेस कर न लागू कर दिया गया हो! सर्जिकल स्ट्राइक के दम पर सीना फुलाने वाली इस सरकार के कार्यकाल में पहले से कहीं ज्यादा संख्या में हमारे वीर जवान सीमा पर शहीद क्यों हो रहे हैं? विदेशों में फंसे कुछ नागरिकों को सुरक्षित निकालने के अलावा पड़ोसी देशों से हमारी विदेश नीति का कोई हासिल क्यों नहीं मिल पा रहा है? देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय इस सरकार की नीतियों से तमतमाए हुए हैं और इसकी नीयत को शंका की दृष्टि से क्यों देखने लगे हैं? मोदी जी के राज में पाठ्यपुस्तकों से छेड़छाड़ करके अपने अनुकूल इतिहास लिखने की साजिश को अंजाम दिया जा रहा है और महाराणा प्रताप, अकबर, औरंगजेब, गांधी, सुभाष, नेहरू, पटेल, जिन्ना आदि के नाम पर भूतकाल के स्कोर वर्तमान काल में क्यों सेटल किए जा रहे हैं? कट्टर समर्थकों द्वारा सामाजिक ताना-बाना छिन्न-भिन्न करने के लिए अन्यथा अतिसक्रिय मोदी की खामोशी को मूक सहमति क्यों समझा जा रहा है? क्या यह सब राजनीतिक-सामाजिक विफलताएं किसी सरकार के जश्न मनाने की वजहें बन सकती हैं? विपक्ष में रहते हुए राम नाईक और शिवराज सिंह चौहान जैसे दिग्गज भाजपा नेता बढ़ती पेट्रोल कीमतों का विरोध करने के लिए बैलगाड़ियों की सवारी किया करते थे, लेकिन अब पुष्पक विमानों में चलते हैं. रफैल विमान सौदे का विवरण घनघोर संदिग्ध है, लेकिन उस पर सफाई देने की कोई जरूरत महसूस नहीं की जा रही. विपक्ष में रहते हुए मोदी जी चिल्लाते फिरते थे कि यूपीए सरकार ने देश के आम आदमी को अंतर्राष्ट्रीय कर्ज से लाद दिया है, लेकिन अब कर्ज का कोई आंकड़ा सामने नहीं रखा जाता! वाजपेई सरकार के दौरान पॉलिटिकल-कॉरपोरेट गठजोड़ का खुलासा करने वाले एस्सार टेप्स पर मोदी जी का पीएमओ आज तक खामोश क्यों है? भाजपाशासित एमपी और राजस्थान महिलाओं के प्रति अत्याचार और बलात्कार के मामलों में क्रमशः नंबर 1 और नंबर 2 पर लगातार क्यों बने हुए हैं? कथित गोरक्षकों की हिंसा को रोकने में मोदी सरकार विफल क्यों हो रही है? इनके राज में देश के चार वरिष्ठ न्यायमूर्ति सार्वजनिक तौर पर लोकतंत्र को खतरे में पड़ता हुआ क्यों बता रहे हैं? बहुमत न होने के बावजूद राज्यों में जोड़तोड़ से सरकारें बना लेना किस रामराज्य का आचार है? आर्थिक प्रगति के बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत किए जाने वाले आंकड़े जमीन पर क्यों नहीं उतर पा रहे हैं?  उज्ज्वला योजना से लाभान्वित गरीब महिलाएं बिना सब्सिडी वाले सिलेंडर क्यों नहीं भरवा पा रही हैं और पुनः लकड़ी-कंडे वाले चूल्हों में सर खपाने पर क्यों मजबूर हो गई हैं? छोटे व्यापारी अपना कारोबार बंद करने की कगार पर क्यों खड़े हो गए हैं और नौकरीपेशा लोगों की बचत घटकर आधी क्यों रह गई है? निजी क्षेत्र के कर्मचारी छंटनी की मार क्यों झेल रहे हैं? इक्कीसवीं सदी की जरूरतों को पूरा करने का दावा करने वाली इनकी सरकार के चार वर्ष बाद भी डॉक्टर-इंजीनियर और पीचडी की डिग्री वाले अभ्यर्थी रेल्वे के गैंगमैन की भर्ती में शामिल होने को क्यों मजबूर हैं? 100 स्मार्ट सिटीज में से एक भी शहर दिखावा करने के लिए भी क्यों नहीं रूपांतरित किया जा सका? बुलेट ट्रेन तो छोड़िए, भीषण दुर्घटनाओं का गवाह बनने के बाद अब भारतीय ट्रेनें 37-37 घंटे देरी से क्यों चल रही हैं? ट्रेन का वेटिंग टिकट रद्द कराने पर भी अनापशनाप पैसे क्यों काटे जा रहे हैं? अब ‘सबका साथ, सबका विकास’ नारा सुधारित रूप में ‘साफ नीयत, सही विकास’ कर दिया गया है. मोदी जी का दावा है कि देश कालाधन से जनधन की ओर जा रहा है क्योंकि उन्होंने आधार कार्ड, जनधन खातों और मोबाइल ऐप्स के माध्यम से कालेधन की उत्पत्ति पर रोक लगा दी है. इस दावे की सच्चाई परखनी हो तो नोटबंदी की विफलता, जीएसटी के बहुस्तर और राष्ट्रीयकृत बैंकों की डूबती नैया देख लेना ही काफी होगा. भ्रष्ट+आचार का सबसे बड़ा उदाहरण तो पिछले आम चुनावों के पहले ही प्रस्तुत कर दिया गया था जब हर भारतवासी के खाते में 15 लाख रुपए डालने का गाजर लटकाया गया, जिसे बाद में जुमला करार देकर पीछा छुड़ा लिया गया. इससे पहले मतदाताओं को लुभाने-रिझाने के लिए साड़ियां, कंबल, शराब-कबाब और कुछ नकदी बांटने की बातें सुनने को मिला करती थीं. सवाल अनगिनत हैं, लेकिन केंद्र में अपनी सरकार के चार वर्ष पूरा होने पर जश्न मनाने का सही हक मोदी जी को तब था, जब कुछ मोर्चों पर ही सही, वह थोड़ा-बहुत सफल होती. योजनाओं का नाम गिनाने को तब तक सफलता नहीं माना जा सकता, जब तक कि आखिरी व्यक्ति तक उनका लाभ न पहुंचे. नौकरों को सेठ बनाने का दावा करने वाली उनकी बहुचर्चित मुद्रा योजना की असलियत उघड़ चुकी है, फिर भी भाजपाध्यक्ष अमित शाह गाना गा रहे हैं कि इस योजना से करोड़ों भारतीयों की बेरोजगारी दूर हो चुकी है. जिस नाकामयाबी पर दुखी, चिंतित और कार्यशील होना चाहिए, उसका यह सरकार जश्न मनाती है. इसे ही जख्मों पर नमक छिड़कना कहते हैं. जांनिसार अख़्तर का एक शेर याद आता है- हमने लोगों के दुःख-दर्दों का हल ढूंढ़ लिया क्या बुरा है जो ये अफवाह उड़ा दी जाए. लेखक से ट्विटर पर जुड़ने के लिए क्लिक करें-  https://twitter.com/VijayshankarC और फेसबुक पर जुड़ने के लिए क्लिक करें-  https://www.facebook.com/vijayshankar.chaturvedi (नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)
View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

'शायद हम उन्हें दोबारा कभी न देख पाएं...' इमरान खान के बेटों ने बताया 'डेथ सेल' में क्या हो रहा उनके साथ
'शायद हम उन्हें दोबारा कभी न देख पाएं...' इमरान खान के बेटों ने बताया 'डेथ सेल' में क्या हो रहा उनके साथ
Jaunpur Murder: पहले सिर फोड़ा, फिर मां-बाप को आरी से काटा, टुकड़े कर नदी में फेंके... जौनपुर में हैवान बना बेटा
Jaunpur Murder: पहले सिर फोड़ा, फिर मां-बाप को आरी से काटा, टुकड़े कर नदी में फेंके... जौनपुर में हैवान बना बेटा
Vijay Mallyas 70th Birthday: लंदन में ललित मोदी की भव्य पार्टी, भगोड़े विजय माल्या के प्री-बर्थडे का जश्न, जानें कौन-कौन हुआ शामिल
लंदन में ललित मोदी की भव्य पार्टी, भगोड़े विजय माल्या के प्री-बर्थडे का जश्न, जानें कौन-कौन हुआ शामिल
'हर लड़की को होता है तुझे क्यों ..'इस बीमारी की वजह से पीरियड्स में मालती चाहर हर महीने जाती थीं अस्पताल, 'बिग बॉस' में नहीं मिली हेल्प
'हर लड़की को होता है तुझे क्यों ..'इस बीमारी की वजह से पीरियड्स में मालती जाती थीं अस्पताल
ABP Premium

वीडियोज

Delhi Pollution: हर 15 सेकंड में एक जिंदगी खत्म..खतरनाक हवा की चपेट में दिल्ली! | Pollution
Kolkata Fire Incident News: 5-6 घर पूरी तरह खाक, बस्ती में लगी भीषण आग | Breaking News | Accident
Delhi Pollution: बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली सरकार का बड़ा फैसला  | Pollution | AQI Delhi
Silver ने रचा इतिहास 40 साल बाद Crude Oil को पछाड़ा | Silver Price New Era शुरू?| Paisa Live
Sansani:घर के अंदर मौत का तहखाना !

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'शायद हम उन्हें दोबारा कभी न देख पाएं...' इमरान खान के बेटों ने बताया 'डेथ सेल' में क्या हो रहा उनके साथ
'शायद हम उन्हें दोबारा कभी न देख पाएं...' इमरान खान के बेटों ने बताया 'डेथ सेल' में क्या हो रहा उनके साथ
Jaunpur Murder: पहले सिर फोड़ा, फिर मां-बाप को आरी से काटा, टुकड़े कर नदी में फेंके... जौनपुर में हैवान बना बेटा
Jaunpur Murder: पहले सिर फोड़ा, फिर मां-बाप को आरी से काटा, टुकड़े कर नदी में फेंके... जौनपुर में हैवान बना बेटा
Vijay Mallyas 70th Birthday: लंदन में ललित मोदी की भव्य पार्टी, भगोड़े विजय माल्या के प्री-बर्थडे का जश्न, जानें कौन-कौन हुआ शामिल
लंदन में ललित मोदी की भव्य पार्टी, भगोड़े विजय माल्या के प्री-बर्थडे का जश्न, जानें कौन-कौन हुआ शामिल
'हर लड़की को होता है तुझे क्यों ..'इस बीमारी की वजह से पीरियड्स में मालती चाहर हर महीने जाती थीं अस्पताल, 'बिग बॉस' में नहीं मिली हेल्प
'हर लड़की को होता है तुझे क्यों ..'इस बीमारी की वजह से पीरियड्स में मालती जाती थीं अस्पताल
नाथन लायन ने तोड़ा रिकॉर्ड तो बौखला गए मैक्ग्रा! कुर्सी पटकने का वीडियो हुआ वायरल
नाथन लायन ने तोड़ा रिकॉर्ड तो बौखला गए मैक्ग्रा! कुर्सी पटकने का वीडियो हुआ वायरल
बिना पीयूसी वाली गाड़ी पेट्रोल पंप पर ले गए तो क्या होगा, क्या जब्त हो जाएगी कार?
बिना पीयूसी वाली गाड़ी पेट्रोल पंप पर ले गए तो क्या होगा, क्या जब्त हो जाएगी कार?
Early Kidney Failure Signs: किडनी फेल्योर के ये 7 लक्षण अक्सर लोग कर देते हैं इग्नोर, नेफ्रोलॉजिस्ट ने बताए बचने के तरीके
किडनी फेल्योर के ये 7 लक्षण अक्सर लोग कर देते हैं इग्नोर, नेफ्रोलॉजिस्ट ने बताए बचने के तरीके
Minorities Rights Day 2025: अल्पसंख्यकों को सबसे पहले कौन-सा अधिकार मिला था, इससे उन्हें क्या हुआ फायदा?
अल्पसंख्यकों को सबसे पहले कौन-सा अधिकार मिला था, इससे उन्हें क्या हुआ फायदा?
Embed widget