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हर साल बाढ़ से होने वाली तबाही से कोई सबक क्यों नहीं लेती हमारी सरकारें?

देश के कुछ राज्यों में हर साल बारिश से आने वाली बाढ़ के चलते जान माल की भारी तबाही होती है लेकिन हमारी सरकारें उससे कोई सबक नहीं लेतीं और फिर एक नई तबाही का मंजर देखने को मिलता है. पूर्वोत्तर के राज्यों असम, मेघालय और त्रिपुरा के अलावा महाराष्ट्र में भी हर साल बाढ़ से भारी तबाही होती है लेकिन इससे निपटने की सरकारी तैयारियां इतनी नाकाफ़ी होती हैं कि सब कुछ यूं ही धरा रह जाता है.

मुंबई के लिए हर बार बारिश आफ़त बनकर आती है क्योंकि शहर के दर्ज़न भर से ज्यादा इलाकों में जल जमाव का आलम ये होता है कि लोग अपने घरों में दुबकने के लिए मजबूर हो जाते हैं.नाव के बगैर कोई आवाजाही नहीं हो सकती.मानसून आने से पहले हर बार सरकार ये दावा करती है कि इस बार किसी इलाके में जलजमाव नहीं होगा लेकिन वे सब झूठे ही साबित होते हैं.

बुधवार को मौसम विभाग ने देश की आर्थिक राजधानी समेत महाराष्ट्र के कई इलाकों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया है.मुंबई के अंधेरी, सायन, चेंबूर और कुर्ला के कुछ इलाकों में अभी से जलजमाव के हालात बन चुके है. मुंबई में मंगलवार से ही रुक रुक कर तेज बारिश हो रही है और पिछले 12 घंटों में ही वहां औसत से ज्यादा बारिश दर्ज हुई है.

बारिश ने मुंबई को बेहाल करना शुरु कर दिया है क्योंकि शहर की लाइफलाइन यानी लोकल ट्रेनों पर भी बारिश का असर पड़ने लगा हैऑसम विभाग की चेतावनी जारी होने के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ने हालात का जायजा लिया है. मुंबई और इसके आसपास के इलाकों में मंगलवार को भारी बारिश के कारण अनेक स्थानों पर जलभराव देखने को मिला, जिससे ट्रेन और वाहनों की आवाजाही धीमी हो गई है.

मुख्यमंत्री ने राज्य प्रशासन के अधिकारियों को आवश्यक सावधानी बरतने समेत यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि कोई जान-माल का नुकसान न हो. उनके मुताबिक बाढ़ ग्रस्त इलाके से फिलहाल साढ़े तीन हजार से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है. लेकिन मौसम विभाग की चेतावनी को देखते हुए जैसी बाढ़ की आशंका जताई जा रही है, उसके चलते सरकार को और कई हज़ार लोगों को पहले ही सुरक्षित स्थानों पर भेजने का इंतजाम करना होगा.

हालांकि भारी बारिश के बीच राज्य सरकार ने बाढ़ प्रभावित तटीय कोंकण में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की 24 टीमों को तैनात कर स्थिति से निपटने के लिए तैयार किया हुआ है.एनडीआरएफ की दो-दो टीमों को मुंबई, ठाणे और कोल्हापुर में और एक-एक को पालघर, रायगढ़ और रत्नागिरी में तैनात किया गया है.

इसी तरह से एसडीआरएफ की एक-एक टीम नांदेड़ और गढ़चिरौली में पहले से ही बचाव कार्यों में जुटी है जहां मंगलवार शाम से ही भारी बारिश जारी है.इसके अलावा, एनडीआरएफ की 9 टीमों को तैयार रखा गया है,जिनमें मुंबई, पुणे और नागपुर के बेस स्टेशनों में प्रत्येक में 3 और धुले और नागपुर में बेस स्टेशनों पर एसडीआरएफ की 2 टीमों को तैनात किया गया है.

मुंबई के सायन, किंग सर्कल, चेंबूर, कुर्ला,नेहरूनगर आदि ऐसे इलाके हैं,जो अक्सर बारिश के मौसम में पानी में डूब जाते हैं और सड़कें तालाब में तब्दील हो जाती हैं.अमरावती में भी बाढ़ के हालात बन गए हैं
वहीं कोंकण के सिंधुदुर्ग में भी बारिश की वजह से कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं.

उधर,पूर्वोत्तर राज्य असम और मेघालय में भी बाढ़ का कहर लगातार जारी है. बाढ़ और भूस्खलन के कारण अब तक असम और मेघालय में सौ से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.स्थानीय लोगों के मुताबिक इस बाढ़ ने 1984 में आई बाढ़ के ख़ौफ़नाक़ मंजर की याद दिला दी है.असम के कई हिस्सों में बाढ़ में फंसे हज़ारों लोगों को बचाने के लिए अब भारतीय सेना के जवान राहत कार्य में जुटे हुए हैं.

इस साल असम में यह दूसरे चरण की बाढ़ है, जिसमें लाखों घर पानी में डूब गए हैं और कई इलाकों में परिवहन संपर्क पूरी तरह टूट गया है.राज्य के कुल 35 से 32 जिले बाढ़ की चपेट में हैं. असम आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक राज्य के 32 जिलों के 5424 गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं.

बाढ़ की तबाही के कारण 47 लाख 72 हजार से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं. असम सरकार ने बेघर हुए लोगों के लिए 1425 राहत शिविर खोले हैं जहाँ दो लाख 31 हजार लोगों ने शरण ले रखी है.भारी बारिश के कारण असम के अलावा मेघालय, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश में भी हज़ारों लोग बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित हुए हैं.

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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