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विकास दर की ऊंची उड़ान फिर भी इस वजह से देश में सबसे पीछे है बिहार

हर साल बिहार बजट के बाद राज्य के उच्च ग्रोथ रेट की चर्चा होती है. इस बार भी बिहार आर्थिक सर्वे के अनुसार  बिहार में 14.47 प्रतिशत की विकास दर से वृद्धि हुई है. यह पूरे देश में तेलंगाना के 14.5 परसेंट के बाद दूसरा सबसे तेज ग्रोथ रेट है. अब सवाल उठता है कि 2005 में राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद से लगातार देश स्तर पर उच्चतम विकास दर हासिल करने के बावजूद राज्य अभी भी विभिन्न पायदानों पर सबसे नीचे क्यों है ? इसका जवाब छुपा है "लो बेस इफेक्ट" में. दरअसल, 2005-06 में बिहार का बजट आकार सिर्फ 28 हजार करोड़ का था जो कि वित्त वर्ष 2025-26 के लिए वित्त मंत्री सम्राट चौधरी द्वारा पेश किए बजट में बढ़कर 3.17 लाख करोड़ रुपये हो गया है.

अगर प्रति व्यक्ति GSDP राष्ट्रीय औसत से 40 से 50 प्रतिशत कम हो तो इसे राज्य की अर्थव्यवस्था का 'लो बेस' माना जाता है. बिहार के मामले में यह राष्ट्रीय औसत का लगभग एक तिहाई है. यह उच्च विकास दर के बावजूद राज्य के दक्षिण और पश्चिम भारतीय राज्यों की तुलना में पीछे रहने की कहानी को बखूबी बताता है. वित्त वर्ष 2023-24 में राज्य की प्रति व्यक्ति आय 66,828 रुपये थी जबकि तेलंगाना की 3.47 लाख और गुजरात की 2.97 लाख थी. इसी दौरान देश की प्रति व्यक्ति आय 1.84 लाख रुपये थी. बिहार में राज्य के अंदर भी आय में असमानता है. पटना की प्रति व्यक्ति शिवहर से 6 गुना अधिक है. 

क्यों पिछड़ा है बिहार ? 

जातिगत सर्वेक्षण 2023 के अनुसार राज्य की आबादी 13.07 करोड़ है. इसमें से 74 प्रतिशत आबादी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है. जब तक कृषि क्षेत्र से लोगों को निकालकर औद्योगिक और सेवा क्षेत्र में संलग्न नहीं किया जाएगा तब तक प्रगति की सच्ची कहानी नहीं लिखी जा सकती है. राज्य में कैपिटल एक्सपेंडिचर 20.48 फीसदी है. बिहार को लो बेस इफ़ेक्ट से निकलने के लिए इसे बढ़ाकर 30-35 परसेंट करना होगा. बिहार अपने स्रोत से कुल बजट 3.17 लाख करोड़ में से सिर्फ 21.3 फीसदी ही जुटा पाता है.

इस स्थिति से निकलने और आत्मनिर्भर बिहार की ओर बढ़ने के लिए राज्य को ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन (जीएफसीएफ- निवेश में जाने वाली आय) की वर्तमान दर को 4.5 परसेंट से बढ़ाना होगा. विकासशील देशों में जीएफसीएफ की दर 30 से 40 परसेंट अच्छा माना जाता है. इन क्षेत्रों में सुधार कर बिहार खुद के विकास के साथ विकसित भारत @2047 के लक्ष्य को भी हासिल करने में अपनी सकारात्मक भूमिका निभा सकता है.

बजट 2025-26 में राज्य के विकास के लिए प्रयास 

वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने 3 मार्च को चुनाव से पहले नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का आखिरी बजट पेश किया. बजट के व्यय का विश्लेषण करें तो शीर्ष तीन क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़क है. इसमें क्रमशः 60964, 20035 और 17908 करोड़ रुपये का व्यय लक्षित किया गया है. कुल बजट का 20.48 प्रतिशत यानी 64,894 करोड़ रुपये राज्य में पूंजीगत व्यय होगा.

कृषि बिहार की अर्थव्यवस्था में सबसे अधिक रोजगार प्रदान करता है. राज्य के विकास में इस क्षेत्र की अहमियत को देखते हुए अरहर, मूंग, उड़द को एमएसपी पे खरीदने का लक्ष्य रखा गया है. बिहार में 2006 में कृषि मंडी को खत्म करने के बाद राज्य में एक बार फिर कृषि उत्पादन बाजार प्रांगण के विकास के लिए 1289 करोड़ का प्रावधान किया गया है. यह किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने में मदद करेगा. राज्य में 'सुधा' दूध की तर्ज पर सब्जी उत्पादकों को सही मूल्य और बाजार की उपलब्धता के लिए 'तरकारी सुधा' आउटलेट की स्थापना की जाएगी. 

महिला उत्थान नीतीश कुमार की सरकार का मुख्य एजेंडा रहा है. इसी के अनुरूप बजट में महिलाओं के लिए 'पिंक बस' जिसमें ड्राइवर, कंडक्टर भी महिलाएं ही रहेंगी का परिचालन शहरों में किया जाएगा. शहरों में महिलाओं के लिए पिंक टॉयलेट की स्थापना की जाएगी. कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास का निर्माण कर रहने की समस्या का समाधान किया जाएगा. उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु में कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास का मॉडल काफी सफल रहा है. 

राज्य की पूंजी यहां की युवा आबादी है. इन युवाओं की क्षमताओं का इष्टतम उपयोग संभव हो इसके लिए बजट में प्रत्येक प्रखंड में डिग्री कॉलेज खोलने की घोषणा की गई है. 

इंफ्रास्ट्रक्चर की बात करें तो राज्य में राजगीर, सुल्तानगंज और रक्सौल में ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट का निर्माण किया जाएगा. इसके साथ ही प्रदेश के 7 अन्य शहरों- भागलपुर, मुजफ्फरपुर, वाल्मीकिनगर, मुंगेर, मधुबनी, बीरपुर (सुपौल), सहरसा में भी 19 सीट वाले विमानों के परिचालन के लिए एयरपोर्ट का निर्माण किया जाएगा. बता दें कि राज्य में पटना, दरभंगा और गया में पहले से एयरपोर्ट है. 

सड़कों के मामले में नीतीश कुमार की सरकार ने राज्य के किसी भी कोने से 5 घंटे में पटना पहुंचने का लक्ष्य हासिल कर लिया है. अब सरकार का लक्ष्य 2027 तक 4 घंटे में प्रदेश के किसी भी कोने से पटना पहुंचने का है.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही ज़िम्मेदार है.] 

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