महिलाओं के लिए प्राइवेट कंपनी ने क्यों लिया ये क्रांतिकारी फैसला?

कहते हैं कि देश की आधी आबादी समाज के किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कमतर नहीं है और वे हर तरफ अपनी प्रतिभा के झंडे गाड़ रही हैं. लेकिन निजी क्षेत्र की एक कंपनी ने महिलाओं के लिए ऐसी सौगात देने का ऐलान किया है, जिसने ऑटो सेक्टर में खासी हलचल मचा दी है.
देश के ऑटो बाजार में पिछले कुछ समय से धूम मचाने वाली कंपनी ओला इलेक्ट्रिक (Ola Electric) ने बेरोजगारी के इस दौर में एक क्रांतिकारी फैसला लेकर नई मिसाल पेश की है. कंपनी ने ऐलान किया है कि वो तमिलनाडु वाले अपने प्लांट में 10 हजार महिलाओं को नौकरी देगी. यह दुनिया का इकलौता ऐसा प्लांट बन जायेगा जिसकी सारी कमान सिर्फ महिलाओं के हाथों में ही होगी. इसका मकसद महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना तो है ही, साथ ही उन बड़ी कंपनियों को भी इससे प्रेरणा मिलेगी, जिनका इस सेक्टर में वर्चस्व बना हुआ है. लिहाज़ा, इस फैसले की तारीफ इसलिये भी की जानी चाहिए कि ये रोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही समाज-सुधार की दिशा में उठाया गया एक अच्छा कदम है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'मेक इन इंडिया' के जिस प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी, उसके तहत प्राइवेट सेक्टर की हर बड़ी कंपनी अगर महिलाओं के लिए ऐसी ही शुरुआत कर दे, तो काफी हद तक न सिर्फ देश की माली हालत में सुधार होगा, बल्कि बढ़ती हुई बेरोजगारी पर भी लगाम लग सकेगी.
कंपनी के सह-संस्थापक भाविश अग्रवाल ने ट्वीट करके बताया कि इस प्लांट का संचालन महिलाएं ही करेंगी और नीचे से लेकर ऊपर तक सारी जिम्मेदारी वही निभाएंगी. महिलाओं को आर्थिक अवसर प्रदान करने व उन्हें सक्षम बनाने से न केवल उनकी जिंदगी में बदलाव आएगा, बल्कि उनके परिवार व समाज में भी इसका सुधार देखने को मिलेगा.
वैसे देश में अकेला मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ही ऐसा है जहां फिलहाल महिलाओं की हिस्सेदारी सबसे कम यानी महज 12 फीसदी है. इसलिये विशेषज्ञ मानते हैं कि वर्कफोर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने से देश की अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार लाया जा सकता है.
अग्रवाल के मुताबिक सिर्फ महिलाओं को वर्कफोर्स में समान मौका मिलने से देश की GDP में 27 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है. अगर उनका ये दावा सही है, तो फिर सरकार को भी इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर से जुड़ने के लिए महिलाओं को और अधिक प्रोत्साहन देने की दिशा में कुछ लोकप्रिय कदम उठाने की घोषणा करनी चाहिए. वैसे भी पिछले डेढ़-दो दशक में लड़कियों का झुकाव मेडिकल के अलावा इंजीनियरिंग की तरफ भी कुछ ज्यादा बढ़ा है और अब वे कंप्यूटर के अलावा इलेक्ट्रिक, एरोनॉटिकल और मैकेनिकल इंजीनियर बनने के लिए भी उतना ही उत्साह दिखा रही हैं.
ओला इलेक्ट्रिक कंपनी की तरफ से बताया गया कि इन महिलाओं के कोर मैन्युफैक्चरिंग स्किल्स को बेहतर करने के लिए कंपनी ने अच्छा खासा निवेश किया है. महिलाएं प्लांट में बनने वाले हर वाहन के लिए जिम्मेदार होंगी. Ola ने पिछले साल 2020 में तामिलनाडु में अपने पहले ईलेक्ट्रिक स्कूटर प्लांट पर 2,400 करोड़ रुपये के निवेश का ऐलान किया था. शुरुआत में 10 लाख सालाना की क्षमता के साथ प्रोडक्शन का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन बाद में बाजार की डिमांड के हिसाब से इसे बढ़ाया जाएगा.
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