एक्सप्लोरर

BLOG: 'एक देश, एक चुनाव': विचार तो उत्तम है, किंतु...!

'एक देश, एक चुनाव'- यह बड़ा चित्ताकर्षक विचार लगता है और सुनने में कानों को मधुर भी और जब देश के पीएम के बाद देश के महामहिम राष्ट्रपति भी इसी विचार को दोहराएं तो यह विचार उपयोगी भी लगने लगता है. मोदी जी ने पिछ्ले साल कानून दिवस के अवसर पर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ सम्पन्न कराने की बात दोहराई थी. लेकिन अभी-अभी बजट सत्र के दौरान दिए गए अपने अभिभाषण में जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि देश में बार-बार चुनाव होने से न केवल मानव संसाधनों पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है बल्कि आचार-संहिता लागू होने की वजह से देश के विकास में भी बाधा पहुंचती है, तो सनसनी फैल गई कि कहीं केंद्र सरकार 2018 में चार राज्यों (कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, मिजोरम) के होने जा रहे विधानसभा चुनावों के साथ ही लोकसभा चुनाव कराने की तो नहीं सोच रही? जो 2019 में होने हैं.

लेकिन दोनों चुनाव इसी साल एक साथ सम्पन्न कराने के मार्ग में सबसे बड़ी व्यावहारिक बाधा यह नजर आती है कि कुछ विधानसभाओं का कार्यकाल घटाना होगा और कुछ का बढ़ाना होगा. केंद्र सरकार को भी छह महीने पहले विदाई लेनी होगी. भला इसके लिए मोदी सरकार क्यों राजी होगी? बीजेपी के दिमाग में तो 'दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है' वाली कहावत नाच रही होगी, जब 'इंडिया शाइनिंग' के फेर में अटल जी ने चुनाव समय से काफी पहले करवा लिए थे और बीजेपी की करारी हार हो गई थी.

एक बड़ी दिक्कत यह भी है कि जिन राज्यों में बीजेपी की सरकारें नहीं हैं, वहां के मुख्यमंत्री समय से पहले ही कुर्सी छोड़ने के लिए क्यों तैयार होंगे? फिर भी पीएम मोदी, उनकी पार्टी बीजेपी और राष्ट्रपति महोदय अगर 'एक देश, एक चुनाव' का विचार उत्तम मानते हैं तो इसमें कोई अच्छी बात तो होगी ही. आडवाणी जी 2012 में ही इस पक्ष में थे.

भारत का नीति आयोग पहले ही कह चुका है कि साल 2024 से लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ सम्पन्न कराना राष्ट्रीय हित में होगा. सिविल सोसाइटी भी मानती है कि अगर स्थानीय निकायों के चुनाव भी शामिल कर लें तो कोई साल ऐसा नहीं जाता, जब भारत में कहीं न कहीं चुनाव न हो रहे हों. इसके चलते राजनीतिक दल एक से बढ़कर एक लोक-लुभावन और अक्सर असंभव से दिखने वाले वादे करते हैं और अपना उल्लू सीधा करते हैं.

देश का थिंक टैंक भी समझता है कि लगातार चुनावी मोड में रहने के चलते देश के अंदर और बाहर अस्थिरता बढ़ती है और आर्थिक विकास की अनदेखी होती है. अक्सर चुनावी चकल्लस के चलते सामाजिक समरसता भी भंग होती है.

आर्थिक व्यय का ध्यान करें तो एक बार में ही चुनाव कराने से सरकारी खजाने पर भार आधे से ज्यादा घट सकता है. अनुमान है कि 2014 के चुनावों में करीब 30,000 करोड़ रुपए पानी की तरह बहाए गए. सुरक्षा की दृष्टि से देखें तो सुरक्षा बल चुनाव ड्यूटी बजाने की बजाए देश की सीमाओं पर अपनी निर्बाध सेवाएं दे सकेंगे, घुसपैठ और आतंकी गतिविधियों पर अंकुश लगा सकेंगे. लाखों सरकारी कर्मचारी और शिक्षक अनावश्यक तनावपूर्ण स्थितियों का सामना करने से बच जाएंगे. उपर्युक्त बिंदुओं को ध्यान में रखा जाए तो भारत में एक साथ चुनाव करा लेना ही श्रेयष्कर लगता है.

लेकिन कल्पना करने से ज्यादा कठिनाई किसी विचार को जमीन पर उतारने में आती है. पहली कठिनाई तो यही है कि संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ सम्पन्न कराने की वकालत करता हो. इससे राज्यों की स्वायत्तता भी प्रभावित होगी. चुनाव आयोग की राय है कि इसके लिए संविधान में संशोधन करना होगा क्योंकि संविधान विशेषज्ञ एक साथ चुनाव कराने को संघीय ढांचे पर प्रहार बताते हैं.

इसका कारण यह बताया जाता है कि अलग-अलग महत्व के मुद्दों पर लड़े जाने वाले ये चुनाव अगर एक साथ कराए जाएंगे तो जनता तत्कालीन हवा में बह जाएगी और अपने मनोनुकूल मत व्यक्त नहीं कर सकेगी. एक साथ चुनाव कराने में सबसे बड़ा पेंच यह भी है कि राष्ट्रीय दल तो अपना सिक्का जमाने में कामयाब हो जाएंगे लेकिन क्षेत्रीय दलों के हाशिए पर चले जाने का खतरा पैदा हो जाएगा, जो 'लेवल प्लेइंग फील्ड' और लोकतंत्र की भावना के अनुरूप नहीं होगा. अपने अस्तित्व की कीमत पर क्षेत्रीय दल अपनी सहमति क्यों और किस विधि देंगे?

अब तक देश में कई अनिवार्यताओं के चलते चुनाव कराए जाते रहे हैं. मध्यावधि चुनाव संवैधानिक अपरिहार्यता के चलते होते हैं. कई बार राष्ट्रपति शासन भी लगाना पड़ता है. एक साथ चुनाव कराने के बाद यह भी देखना होगा कि किसी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाने की परिस्थिति में कौन से प्रावधान काम आएंगे. दिक्कत यह भी होगी कि भारत जैसे विशाल और भौगोलिक विषमता वाले देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए इतने सारे कर्मचारी, ईवीएम मशीनें, चुनाव सामग्री का इंतजाम कैसे होगा और सुरक्षा बलों का प्रभावी संचालन किस प्रक्रिया के तहत सम्पन्न होगा. एक खतरा यह भी है कि अन्य राज्यों में जनाक्रोश झेलने का भय नदारद हो जाने के चलते जनप्रतिनिधि निरंकुश और सरकारें लापरवाह हो सकती हैं.

यह बात सही है कि मोदी सरकार फिलहाल विपक्ष के विरुद्ध 'एडवांटेज' की स्थिति में है. इसलिए वह 'एक देश, एक चुनाव' की वकालत कर सकती है. लेकिन संविधान में संशोधन के लिए दो-तिहाई बहुमत चाहिए. वह कहां से मैनेज होगा? अगर हम भविष्य की बात करें तो यह एक अच्छा विचार है. लेकिन सारे 'चेक एंड बैलेंसेज' सुनिश्चित करने के बाद ही इस राह पर कदम रखना उचित होगा. भारत के संविधान, संघीय ढांचे, निष्पक्ष चुनाव और निर्भय मतदाता से ऊपर कोई चीज नहीं है.

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आकड़ें लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

Exclusive: 'हाई फ्रिक्वेंसी, डुअल सेंसर और हाईटैक क्वालिटी..' , बॉर्डर पर निगरानी के लिए पाकिस्तान लगा रहा मॉर्डन कैमरे
Exclusive: 'हाई फ्रिक्वेंसी, डुअल सेंसर और हाईटैक क्वालिटी..' , बॉर्डर पर पाकिस्तान लगा रहा मॉर्डन कैमरे
यूपी में शुरू हुआ सर्दी का सितम, गाजियाबाद-नोएडा और लखनऊ में सांस पर संकट, जानें कितना है AQI?
यूपी में शुरू हुआ सर्दी का सितम, गाजियाबाद-नोएडा और लखनऊ में सांस पर संकट, जानें कितना है AQI?
भारत-साउथ अफ्रीका के बीच टी20 इतिहास में सर्वाधिक विकेट लेने वाले टॉप-5 गेंदबाज, इस भारतीय का नाम चौंका देगा
भारत-साउथ अफ्रीका के बीच टी20 इतिहास में सर्वाधिक विकेट लेने वाले टॉप-5 गेंदबाज, इस भारतीय का नाम चौंका देगा
Virat-Anushka Wedding Anniversary: एक एड ने बना दी अनुष्का-विराट की जोड़ी, ऐसे शुरू हुई थी क्यूट लव स्टोरी की शुरुआत
एक एड ने बना दी अनुष्का-विराट की जोड़ी, ऐसे शुरू हुई थी क्यूट लव स्टोरी की शुरुआत
ABP Premium

वीडियोज

Bollywood News: बाॅलीवुड गलियारों की बड़ी खबरें | Salman Khan | Mumbai | Diljit Dosanjh
Chhattisgarh News: रायपुर के व्यापारी ने महिला DSP पर लगाया करोड़ों हड़पने का आरोप | ABP News
जुबां पर प्यार का वादा... लेकिन आंखों में दौलत के सपने... हर वक्त उसे पैसा ही पैसा | Sansani
बेकाबू कार...मच गया हाहाकार, हादसे का वीडियो कंपा देगा! | Gujarat | Greater Noida
Parliament Winter Session: संसद सत्र के बीच जर्मनी जाएंगे Rahul Gandhi? | Amit Shah | Janhit

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Exclusive: 'हाई फ्रिक्वेंसी, डुअल सेंसर और हाईटैक क्वालिटी..' , बॉर्डर पर निगरानी के लिए पाकिस्तान लगा रहा मॉर्डन कैमरे
Exclusive: 'हाई फ्रिक्वेंसी, डुअल सेंसर और हाईटैक क्वालिटी..' , बॉर्डर पर पाकिस्तान लगा रहा मॉर्डन कैमरे
यूपी में शुरू हुआ सर्दी का सितम, गाजियाबाद-नोएडा और लखनऊ में सांस पर संकट, जानें कितना है AQI?
यूपी में शुरू हुआ सर्दी का सितम, गाजियाबाद-नोएडा और लखनऊ में सांस पर संकट, जानें कितना है AQI?
भारत-साउथ अफ्रीका के बीच टी20 इतिहास में सर्वाधिक विकेट लेने वाले टॉप-5 गेंदबाज, इस भारतीय का नाम चौंका देगा
भारत-साउथ अफ्रीका के बीच टी20 इतिहास में सर्वाधिक विकेट लेने वाले टॉप-5 गेंदबाज, इस भारतीय का नाम चौंका देगा
Virat-Anushka Wedding Anniversary: एक एड ने बना दी अनुष्का-विराट की जोड़ी, ऐसे शुरू हुई थी क्यूट लव स्टोरी की शुरुआत
एक एड ने बना दी अनुष्का-विराट की जोड़ी, ऐसे शुरू हुई थी क्यूट लव स्टोरी की शुरुआत
नीतीश सरकार ने अनंत सिंह को दिया पहले से छोटा घर, अब नहीं रख सकेंगे गाय-भैंस, एक गाड़ी की पार्किंग
नीतीश सरकार ने अनंत सिंह को दिया पहले से छोटा घर, अब नहीं रख सकेंगे गाय-भैंस, एक गाड़ी की पार्किंग
Kidney Damage Signs: आंखों में दिख रहे ये लक्षण तो समझ जाएं किडनी हो रही खराब, तुरंत कराएं अपना इलाज
आंखों में दिख रहे ये लक्षण तो समझ जाएं किडनी हो रही खराब, तुरंत कराएं अपना इलाज
Trump Tariff on Indian Rice: भारत के चावल से खुन्नस में क्यों ट्रंप, इस पर क्यों लगाना चाहते हैं टैरिफ?
भारत के चावल से खुन्नस में क्यों ट्रंप, इस पर क्यों लगाना चाहते हैं टैरिफ?
Video: मालिक की मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाया कुत्ता, फूट फूटकर लगा रोने- भावुक कर देगा वीडियो
मालिक की मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाया कुत्ता, फूट फूटकर लगा रोने- भावुक कर देगा वीडियो
Embed widget