एक्सप्लोरर

BLOG: 48 साल पुरानी काठ की हांडी फिर चढ़ा रही है कांग्रेस

भूख सबसे पहले दिमाग खाती है उसके बाद आंखें फिर जिस्म में बाकी बची चीजों को (नरेश सक्सेना)

भूख क्या है? इसके कई जवाब हैं सबसे ऊपर व्यवस्था का जवाब है

भूख को मिटाने के लिए हर सरकार के पास हैं वादे वादे स्वादिष्ट होते हैं हिंदू-मुस्लिम सब खाते हैं ( सनातन कुमार)

चुनाव का बिगुल बजते ही वादों का सुरीला संगीत शुरू हो जाता है. कफन तक के जुगाड़ के लिए अपनों का शव बेच देने वाली भूखी जनता वादों को ललचाई नजर से देखती है और इन्हीं आधारों पर झंड़ा भी उठा लेती है. नये किरदार आते हैं लेकिन नाटक वही पुराना चलता रहता है. गरीबी हटाओ और समाजवाद... हर चुनाव में, हर नारे में अंतिम व्यक्ति की चिंता. वह व्यक्ति जो 1971 में इंदिरा गांधी के समय में अंतिम पायदान पर था, आज भी अंतिम पायदान से आगे बढ़ा ही नहीं. पीढ़ी दर पीढ़ी गरीबी हटाने वाले संसद में सुशोभित होते रहे और वह पीढ़ी दर पीढ़ी सुनहरे वादों का संगीत सुनता रहा. जैसे ही चुनाव आते हैं सत्ता पक्ष 'आपदा प्रबंधन' में जुट जाता है तो विपक्ष वादों की बारिश करने लगता है.

राहुल गांधी ने केंद्र में कांग्रेस की सरकार आने पर 25 करोड़ गरीब लोगों को मिनिमम इनकम गारंटी देने का एलान किया है, जिससे वह गरीबी से बाहर निकल सकें. राहुल गांधी के वादे के मुताबिक इस योजना से पांच करोड़ गरीब परिवारों को फायदा होगा और कम से 72 हजार रुपए सालाना उन्हें मदद दी जाएगी. इस योजना का आधार है कि किसी की भी आमदनी कम से कम 12 हजार रुपए तक पहुंचा दी जाएगी.

राहुल गांधी की इस योजना से अर्थव्यवस्था पर कितना बोझ पड़ेगा?

अभी देश की जीडीपी 207 लाख करोड़ है और राजकोषीय घाटा 7 लाख करोड़ का है. ऐसे में राजकोषीय घाटा कुल जीडीपी का 3.4 फीसदी है. राहुल की नई योजना से 3.6 लाख करोड़ के खर्च का अनुमान लगाया गया है. इससे राजकोषीय घाटे पर 1.7 फीसदी अतिरिक्त भार बढ़ सकता है. योजना लागू हुई तो राजकोषीय घाटा बढ़कर 10.6 लाख करोड़ रुपये का हो जाएगा.

अब चलिए वक्त का पहिया 48 साल पहले ले चलें 1971 के चुनावों में इंदिरा गांधी के चुनावी कैंपेन का नारा था 'गरीबी हटाओ'. इंदिरा गांधी उस समय चुनावी कैंपेनिंग के दौरान कहा करती थीं कि 'वो कहते हैं इंदिरा हटाओ, मैं कहती हूं गरीबी हटाओ'. 1970 के दशक में जब इंदिरा गांधी सत्ता में आईं तो देश में 51.5 फीसदी लोग गरीबों की श्रेणी में थे और इसी दौरान यानी 1970 में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या 29.15 करोड़ थी. 1977-78 में जब इंदिरा गांधी सत्ता से बाहर चली गईं तो उस समय देश के 48.3 फीसदी लोग गरीबों की श्रेणी में थे और 30.68 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे बने हुए थे. ये आंकड़े योजना आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक हैं.

वर्तमान हालात... साल 2013 में जारी की गई तेंदुलकर कमिटी रिपोर्ट के मुताबिक देश में गरीबी की स्थिति को देखा जाए तो 22 फीसदी भारतीय गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं और इनकी संख्या 27 करोड़ है.

सियासी नजरिये से फायदा या नुकसान?

पहले स्पष्ट कर दिया जाए कि अनुमान निश्चयात्मकता के ठोस दर्शन से हीन होता है. कालाधन और 15 लाख खाते में मिलेंगे.. जैसे अनुभवों के आधार पर कहा जा सकता है कि राजनीतिक लोकतंत्र के संकरे गलियारों में सुरक्षित संवाद वही हैं जो द्विअर्थी हो ताकि बाद में आपसे कहा जा सके कि उनका मतलब यह था ही नहीं. खैर.. राहुल गांधी सॉफ्ट हिन्दुत्व, फोटोऑप पॉलिटिक्स के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टक्कर दे रहे हैं. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में मिली जीत से राहुल गांधी का बढ़ा आत्मविश्वास राफेल मुद्दा उठाते वक्त और सहयोगी दलों के साथ गठबंधन करते वक्त स्पष्ट दिख रहा है. गोवा में वक्त की देरी से हुए नुकसान से सीखकर कर्नाटक में लचीलापन और तेजी से फैसला लेकर राहुल गांधी ने सियासी समझदारी दिखाई. अब आज के वादे और प्रेस कॉन्फ्रेंस पर गौर करें तो पता चलता है कि आर्थिक मुद्दों पर कांग्रेस 2014 वाली गलती तो नहीं दोहरा रही है? 2014 में जब प्रधानमंत्री मोदी जनता को स्मार्ट सिटी, बुलेट ट्रेन, किसानों को उनके खेत से बाजार तक अनाज कैसे लाएंगे, यह समझा रहे थे. तब कांग्रेस के दिग्गज रसोई सिलिंडरों की संख्या बढ़ा रहे थे.

अर्थात 2014 में कांग्रेस समझ ही नहीं पायी कि जनरल डिब्बों में सफर करने वाली जनता स्लीपर क्लास में पहुंच चुकी है. और ये वोट राजनीतिक दलों के काडर वोट के बराबर हो चुके हैं. जिन्हें फ्लोटिंग वोट कहा जाता है. ये जीत और हार में अहम रोल निभाते हैं. इन्हें भविष्य का रोड मैप चाहिए. ये वर्ग खाए अघाए तो नहीं है लेकिन भूख से मर भी नहीं रहा है. ये वर्ग कांग्रेस के रसोई गैस के सिलिंडरों की बढ़ती संख्या से आकर्षित नहीं था, उसे मोदी के रोजगार पैदा करने के अवसरों के वादे पर दिलचस्पी और भरोसा हुआ. आज कांग्रेस अपने वादे के इस पिटारे में मध्यवर्ग के वेल्थ क्रिएशन से दूर दिख रही है. क्या इसे 2014 की गलती 2019 में दोहराना नहीं कहा जाएगा?

आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस महज कुछ ही मिनटों की रही. इस वादे के लिए पैसे कहां से आएंगे? मध्य वर्ग और इनकम टैक्स पेयर्स के मन में सवाल है. जिन्हें आज राहुल गांधी को बताना चाहिए था. गौर कीजिए जिस स्कीम से 25 करोड़ लोग लाभांवित होंगे, उस पर विरोधी दल ने बहुत कुछ प्रतिक्रिया तक नहीं दी. यह स्कीम कोई चर्चा तक नहीं बटोर सकी. अब तो वक्त के गर्भ में है कि यह स्कीम कांग्रेस के लिए वोटों की गुल्लक कितनी भरती है?

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

'असली वजह क्या थी, अभी बता पाना मुश्किल', DGCA के कारण बताओ नोटिस का इंडिगो ने भेजा जवाब
'असली वजह क्या थी, अभी बता पाना मुश्किल', DGCA के कारण बताओ नोटिस का इंडिगो ने भेजा जवाब
बिहार में बड़े स्तर पर IAS अफसरों के तबादले, कई जिलों के DM भी बदले
बिहार में बड़े स्तर पर IAS अफसरों के तबादले, कई जिलों के DM भी बदले
'...एक बार और फिर हमेशा के लिए इसे बंद कर दें', नेहरू की गलतियों पर प्रियंका गांधी ने PM मोदी को दी ये सलाह
'...एक बार और फिर हमेशा के लिए इसे बंद कर दें', नेहरू की गलतियों पर प्रियंका गांधी ने PM मोदी को दी ये सलाह
IND vs SA 1st T20: इतिहास रचने से 1 विकेट दूर जसप्रीत बुमराह, बन जाएंगे ऐसा करने वाले पहले भारतीय गेंदबाज
इतिहास रचने से 1 विकेट दूर जसप्रीत बुमराह, बन जाएंगे ऐसा करने वाले पहले भारतीय गेंदबाज
ABP Premium

वीडियोज

Bengal Babri Masjid Row: काउंटिंग के लिए लगानी पड़ी मशीन, नींव रखने के बाद कहा से आया पैसा?
Vande Matram Controversy: विवादों में किसने घसीटा? 150 साल बाद गरमाया वंदे मातरम का मुद्दा...
Indian Rupee Hits Record Low: गिरते रुपये पर चर्चा से भाग रही सरकार? देखिए सबसे  सटीक विश्लेषण
Indigo Crisis:'अच्छे से बात भी नहीं करते' 6वें दिन भी इंडिगो संकट बरकरार | DGCA | Civil Aviation
LIVE शो में AIMIM प्रवक्ता पर क्यों आग बबूला हो गए Rakesh Sinha? | TMC | Vande Mataram Controversy

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'असली वजह क्या थी, अभी बता पाना मुश्किल', DGCA के कारण बताओ नोटिस का इंडिगो ने भेजा जवाब
'असली वजह क्या थी, अभी बता पाना मुश्किल', DGCA के कारण बताओ नोटिस का इंडिगो ने भेजा जवाब
बिहार में बड़े स्तर पर IAS अफसरों के तबादले, कई जिलों के DM भी बदले
बिहार में बड़े स्तर पर IAS अफसरों के तबादले, कई जिलों के DM भी बदले
'...एक बार और फिर हमेशा के लिए इसे बंद कर दें', नेहरू की गलतियों पर प्रियंका गांधी ने PM मोदी को दी ये सलाह
'...एक बार और फिर हमेशा के लिए इसे बंद कर दें', नेहरू की गलतियों पर प्रियंका गांधी ने PM मोदी को दी ये सलाह
IND vs SA 1st T20: इतिहास रचने से 1 विकेट दूर जसप्रीत बुमराह, बन जाएंगे ऐसा करने वाले पहले भारतीय गेंदबाज
इतिहास रचने से 1 विकेट दूर जसप्रीत बुमराह, बन जाएंगे ऐसा करने वाले पहले भारतीय गेंदबाज
Hollywood OTT Releases: इस हफ्ते OTT पर हॉलीवुड का राज, 'सुपरमैन' समेत रिलीज होंगी ये मोस्ट अवेटेड फिल्में-सीरीज
इस हफ्ते OTT पर हॉलीवुड का राज, 'सुपरमैन' समेत रिलीज होंगी ये फिल्में-सीरीज
UAN नंबर भूल गए हैं तो ऐसे कर सकते हैं रिकवर, PF अकाउंट वाले जान लें जरूरी बात
UAN नंबर भूल गए हैं तो ऐसे कर सकते हैं रिकवर, PF अकाउंट वाले जान लें जरूरी बात
Benefits of Boredom: कभी-कभी बोर होना क्यों जरूरी, जानें एक्सपर्ट इसे क्यों कहते हैं ब्रेन का फ्रेश स्टार्ट?
कभी-कभी बोर होना क्यों जरूरी, जानें एक्सपर्ट इसे क्यों कहते हैं ब्रेन का फ्रेश स्टार्ट?
Video: भीड़ में खुद पर पेट्रोल छिड़क प्रदर्शन कर रहे थे नेता जी, कार्यकर्ता ने माचिस जला लगा दी आग- वीडियो वायरल
भीड़ में खुद पर पेट्रोल छिड़क प्रदर्शन कर रहे थे नेता जी, कार्यकर्ता ने माचिस जला लगा दी आग- वीडियो वायरल
Embed widget