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अयोध्या रच रहा है नया अर्थशास्त्र, देगा इस शहर को नयी ऊंचाई और भव्यता

अब दो दिन ही बचे हैं. 22 जनवरी को भव्य राम मंदिर में रामलला विराजमान हो जाएंगे, उनकी प्राण प्रतिष्ठा हो जाएगी. यह सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक विषय के साथ आर्थिक संदर्भ भी रखता है. यह अयोध्यानॉमिक्स का मामला है और इसी अयोध्यानॉमिक्स से 30 लाख लोगों के शहर को 85,000 करोड़ रुपये की निवेश राशि से पवित्र नगरी का कायाकल्प होगा. उमंगो भरे उत्सव में 1800 करोड़ रुपये का भव्य रामलला मंदिर 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्राण प्रतिष्ठा के साथ भक्तों के लिए खुलेगा. यह एक अद्भुत अर्थशास्त्र है. राज्य सरकार ने आवास योजनाओं के लिए अयोध्या में केवल 20 करोड़ रुपये का निवेश किया है. आगरा और वाराणसी में 400 करोड़ रुपये, मुरादाबाद और मेरठ में 200 करोड़ रुपये, न्यू कानपुर में 170 करोड़ रुपये और आवास के लिए कुल 3000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है.

श्री रामजन्मभूमि बदल देगा शहर का अर्थतंत्र

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का अनुमान है कि लगभग 5500 करोड़ रुपये के संग्रह से 1800 करोड़ रुपये की मंदिर लागत पूरी की जाएगी. सामजिक अर्थनीति में परिवर्तन के साथ, देश की राजनीतिक सरगर्मियां यही से आएंगी. पांच वर्ग किमी के छोटे से शहर में अनुमानित 45 लाख आगंतुकों के स्वागत के लिए गतिविधियों की बाढ़ देखी जा रही है.  अयोध्या आयुक्त का कहना है कि अगले दस वर्षों में 85000 करोड़ रुपये का निवेश होगा. यह काफी हद तक एक अनुमान है. इसे एक हब में बदलने का सपना 178 परियोजनाओं और विभिन्न स्तरों के होटलों की एक श्रृंखला पर आधारित है. ओयो के 1000 बिस्तरों से लेकर कई नए 5-सितारा होटल खुलेंगे. इसके विपरीत, अयोध्या से 66 किमी दूर, जगदीशपुर औद्योगिक केंद्र है, जिसे 1980 के दशक में संजय गांधी और उनके बाद राजीव गांधी द्वारा हजारों करोड़ रुपये के सार्वजनिक क्षेत्र के निवेश के साथ विकसित करने का प्रयास किया गया था. इनमें से नवीनतम योजना 2012 में एक फूड हब बनाने की थी. पिछड़े क्षेत्र में होने से और बड़े पैमाने पर अस्थिर व्यापार मॉडल के कारण यह फल-फूल न सका.

अयोध्या का हो रहा नवनिर्माण

अयोध्या में सड़कों, पुलों, नए रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डे से लेकर जल मेट्रो सेवा और इसी तरह की अन्य सुविधाओं और सांस्कृतिक केंद्र का निर्माण देखा जा रहा है. अयोध्या का पुनर्विकास, जैसा कि मास्टर प्लान 2031 में परिकल्पना की गई है, आगामी स्मार्ट सिटी के लिए मोटे तौर पर आठ विषयों पर निर्भर है. इस योजना में एक आध्यात्मिक विश्वविद्यालय, एक ग्रीन-फील्ड टाउनशिप, एक शहरी वन आदि शामिल हैं. अन्य मुख्य आकर्षणों में एक केंद्रीय व्यापार जिला, होटल, नदी तट, जल निकाय और धर्मशालाएं शामिल हैं. अब तक प्रति माह लगभग 30000 लोगों की आवाजाही बताई जाती है. उद्योग सूत्रों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में संपत्ति की कीमतें लगभग चार गुना बढ़ गई हैं. ताज, रेडिसन, आईटीसी जैसे शीर्ष पांच सितारा होटल ब्रांड, मांग में अनुमानित वृद्धि को पूरा करने के लिए नई संपत्तियां खोल रहे हैं. दरअसल, अयोध्या में 73 से ज्यादा नए होटल पाइपलाइन में हैं. एक नई संपत्ति, अयोध्या टेंट सिटी, भी आ गई है और शानदार टेंट में रहने की सुविधा प्रदान करती है. इंडियन होटल्स (IHCL) ने विवांता और जिंजर ब्रांड के तहत अयोध्या में दो नए होटल लॉन्च किए. दोनों भारद्वाज ग्लोबल इंफ्रावेंचर के साथ साझेदारी में ग्रीनफील्ड परियोजनाएं हैं. “अयोध्या एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है और पूरे वर्ष यहां भारी संख्या में श्रद्धालु आने की संभावना है. ये होटल लखनऊ और वाराणसी के साथ यात्रा सर्किट भी पूरा करेंगे”, IHCL ने एक बयान में कहा.

निवासियों और पर्यटकों का अनुपात 1:10

दिलचस्प बात यह है कि नागरिक अधिकारी निवासियों और पर्यटकों का अनुपात 1:10 का अनुमान लगा रहे हैं. उद्योग के अनुमान के मुताबिक, 2021 में लगभग 3.25 लाख पर्यटक अयोध्या आए और अगले वर्ष यह संख्या बढ़कर 2.39 करोड़ हो गई. अब, मंदिर के उद्घाटन के बाद, स्थानीय अधिकारी इस वर्ष 4 करोड़ से अधिक तीर्थयात्रियों के अयोध्या आने की उम्मीद कर रहे हैं; शहर को एक विशाल पर्यटन क्षेत्र और वैश्विक आध्यात्मिक केंद्र में बदलना. राज्य सरकार ने वादा किया है कि पवित्र शहर आने वाले वर्षों में एक विश्व स्तरीय शहर बन जाएगा क्योंकि वह सांस्कृतिक सौंदर्य को बनाए रखते हुए आधुनिक सुविधाएं स्थापित करने की योजना बना रही है. देश में 324 पांच सितारा होटल हैं. कहा जाता है कि आगरा में एक दर्जन हैं, लेकिन उनमें शायद ही कभी पूरी सीटें भरी होती हैं क्योंकि ज्यादातर लोग दिल्ली में रहते हैं और सुबह जाकर, शाम को लौट आते हैं. लोकप्रिय तीर्थस्थल वृन्दावन में कोई 5 सितारा आवास नहीं है. अयोध्या में भूमि पूजन समारोह में 3,800 करोड़ रुपये की 126 आतिथ्य क्षेत्र की परियोजनाएं शुरू की जाएंगी. इसमें होटल और रिसॉर्ट समेत चार मेगा प्रोजेक्ट शामिल हैं. जिले में सबसे बड़ा निवेश आतिथ्य क्षेत्र में है, जो कुल 420 करोड़ रुपये है. 126 परियोजनाओं में से 46 पर 1,923 करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं. 

अब तक प्राथमिकता में नहीं थी अयोध्या

अयोध्या अधिकांश श्रद्धालुओं के लिए कम प्राथमिकता वाले जगहों में से एक रहा है. सरकारी निवेश कम है और अभी तक किसी औद्योगिक गतिविधि की योजना नहीं बनाई गई है. 1:10 के अनुपात में पर्यटकों या निवासियों का प्रवाह ही अर्थव्यवस्था को बनाए रखेगा. किसी परियोजना को कायम रखने में राजनीतिक माहौल का बहुत बड़ा योगदान होता है. बड़े जोर-शोर से शुरू किया गया कार्यक्रम सफल नहीं होते हैं. जगदीशपुर.क्षेत्र को एक औद्योगिक केंद्र बनाने की योजना बनाई गई थी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को व्यवहार्यता और लाभप्रदता की चिंताओं के बावजूद इस क्षेत्र में कारखाने स्थापित करने के लिए मजबूर किया गया था. सेल, एचएएल, बीएचईएल जैसे कई बड़े सार्वजनिक उपक्रम और हजारों छोटी कंपनियां राजनीतिक मजबूरियों के कारण इस क्षेत्र में इकाइयां की थी. एक दशक से भी कम समय में गिरावट शुरू हो गई क्योंकि लगभग सभी 135 इकाइयां घाटे में चली गईं. यहां तक कि सेल और राउरकेला स्टील का 1500 करोड़ रुपये का मेगा प्लांट मालविका स्टील भी 2012 से 2014 तक केंद्र सरकार की वित्तीय सहायता के बावजूद ढह गया.

बदल रही है अयोध्या

इसी तरह, अयोध्या से 100 किमी दूर, अमेठी में भी बहुत कुछ देखने को नहीं मिला है. छोटे व्यापारियों के व्यापार में अयोध्या में तेजी आ रही है. सजावटी पेंडेंट, चूड़ियाँ, लॉकेट, चाबी के छल्ले, मालाएं जैसे हस्तशिल्प की मांग बढ़ रही है. रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में अयोध्या से निर्यात 130 प्रतिशत बढ़कर 254 करोड़ रुपये हो गया. अयोध्या में सार्वजनिक निवेश ज्यादा नहीं है. इसे अधिकतर निजी निवेश पर टिके रहने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के उपाध्यक्ष दिनेश गोयल ने प्रेस को बताया कि उन्हें राम मंदिर के उद्घाटन समारोह से पहले चल रही तैयारियों के कारण 50,000 करोड़ रुपये के कारोबार की उम्मीद है. देश भर की व्यावसायिक संस्थाएँ इन अवसरों का लाभ उठा रही हैं.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.] 

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